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पं.शिवकुमार शर्मा का निधन: नौकरी नहीं करना चाहते थे, 500 रु लेकर पहुंचे थे मुंबई

कई यादगार बॉलीवुड फिल्मों के लिए संगीत तैयार करने वाले शिवकुमार की शुरुआत कोई कम चुनौतीपूर्ण नहीं थी.

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भारतीय संगीतकार और मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा (Pandit Shivkumar Sharma) ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. शिवकुमार ने संतूर को सितार और सरोद जैसे प्रसिद्ध वाद्ययंत्रों के बराबर का स्थान दिलाया. कई यादगार बॉलीवुड फिल्मों के लिए संगीत तैयार करने वाले शिवकुमार की शुरुआत कोई कम चुनौतीपूर्ण नहीं थी.

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संसद टीवी को दिए एक इंटरव्यू में, पंडित शिवकुमार शर्मा ने बताया था कि वो केवल 500 रुपये लेकर मुंबई आ गए थे, क्योंकि वो नौकरी नहीं करना चाहते थे. पंडित शिवकुमार ने कहा,

"मैं नौकरी नहीं करना चाहता था. 9 से 5 नौकरी करना मेरे लिए गुलामी का काम था. मैंने पिताजी को कह दिया कि मैं नहीं करूंगा."

संतूर वादक पंडित शिवकुमार ने इस इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने अपने पिता को कह दिया था कि वो नौकरी नहीं करेंगे और खुद से कुछ करेंगे. इतना कहकर वो 500 रुपये लेकर मुंबई आ गए थे. शिवकुमार ने कहा कि वो पिता से पैसे नहीं मांगना चाहते थे, और खुद से कुछ करना चाहते थे.

पंडित शिवकुमार ने बताया कि बचपन में उनकी रुचि तबला की तरफ ज्यादा थी, लेकिन पिता के संतूर की दीक्षा देने के बाद उनका रुझान इस तरफ हुआ.

कई पुरस्कारों से सम्मानित

पंडित शिवकुमार शर्मा को 1986 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1991 में पद्मश्री और 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

राष्ट्रपति-पीएम ने दी श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पंडित शिव कुमार शर्मा को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "उनकी प्रस्तुति भारतीय शास्त्रीय संगीत के दीवानों को मंत्रमुग्ध कर देती थी. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र संतूर को लोकप्रिय बनाया. ये जानकर दुख हुआ कि उनका संतूर अब खामोश हो गया है."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संतूर वादक को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "पंडित शिवकुमार शर्मा जी के निधन से हमारी सांस्कृतिक दुनिया को और तंग कर दिया है. उन्होंने संतूर को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया. उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा. मुझे उनके साथ अपनी बातचीत अच्छी तरह याद है. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना. ऊं शांति."

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