साल 2015 में जब मैंने ‘प्रेमम’ फिल्म देखी, तो मुझे मलयालम फिल्मों से प्यार हो गया. यह एक शख्स की एक आकर्षक प्रेम कहानी थी, जो किशोरावस्था से जवानी के बीच अपनी मोहब्बत को पाता और खोता है. और हां आपने हेडलाइन गलत नहीं पढ़ी है, यह आर्टिकल हिंदी सिनेमा के अभिनेता वरुण धवन के बारे में ही है, न कि मलयालम सिनेमा के बारे में.
अब इसके पीछे की कहानी आपको बताती हूं. ‘प्रेमम’ के नायक निविन पौली के बारे में बड़े ही आसानी के साथ कहा जा सकता है वे बेहद ही सहज और प्रभावशाली कलाकार हैं – जिसने बेहतरीन तरीके से खुद में बदलाव किया.
फिल्म की कहानी के मुताबिक कभी शर्मीले, कभी गंभीर तो कभी संयमित किरदार निभाकर दर्शकों का मन मोह लिया. ‘प्रेमम’ की रिलीज के लंबे वक्त बाद भी हम दोस्त आपस में बैठ जब इस फिल्म पर चर्चा करते हैं, तो ऐसा लगता है कि जैसे फिल्म के तार आज भी दिल में कहीं बज रहे हैं. दूसरे फिल्मों के शौकीनों की तरह हम भी अक्सर सोचा करते हैं कि अगर कभी यह फिल्म हिंदी में बनी, तो फिल्म में किसे कास्ट किया जाएगा.
सभी की पहली पसंद रणबीर कपूर थे, क्योंकि उनके लिए एक मासूम नौजवान का किरदार निभाना सरल था. मगर मेरे दिल में इस किरदार के लिए वरुण धवन का चेहरा था. अगर कोई बिना दर्द के एक संवेदनशील और दिलकश किरदार को लगातार दिल टूटने के बाद भी निभा सकता है, तो वो सिर्फ वरुण धवन ही हैं.
मैंने वरुण का चुनाव उस साल आई वरुण की 2 फिल्मों ‘हम्पटी शर्मा की दुल्हनियां’ और ‘बदलापुर’ देखकर की थी. दोनों ही फिल्मों के किरदार शानदार नहीं थे मगर वरुण ने अपने अभिनय से दोनों ही किरदार में जान डाल दी थी. हम्पटी के किरदार में वरुण ने एक प्रेमी की यादगार भूमिका निभाई. हम्पटी का किरदार निभा रहे वरुण को जब पता चलता है कि जिस लड़की से वे प्यार करते हैं, वो किसी और से शादी करने जा रही है, तो उनका दिल टूट जाता है. वे एक बच्चे की तरह रोते हैं, उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहता कि अब वे बच्चे नहीं, बल्कि एक नौजवान हैं.
दूसरी तरफ ‘बदलापुर’ फिल्म है जिसमें वरुण एक नकारात्मक किरदार में नजर आएं, जिसे देख आपको विश्वास ही नहीं होगा कि यह वहीं वरुण धवन हैं, जिन्होंने ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ के एक चंचल छात्र की भूमिका से हिंदी सिनेमा में कदम रखा था. एक आम सा जीवन जीने वाला नौजवान बदले की आग में इस कदर जलता है कि किसी मासूम की जान लेने से भी गुरेज नहीं करता. इन दोनों ही किरदारों के जरिए वरुण ने साबित किया कि भले ही वे एक मशहूर फिल्म निर्देशक के बेटे हैं, मगर उनमें अभिनय की असीम संभावनाएं हैं.
वरुण के दोनों ही किरदारों ने मुझ पर गहरा असर छोड़ा था, एक चारित्रिक किरदार निभाते हुए उसका ग्राफ ऊपर रखना और सबसे महत्वपूर्ण बात थी, उनके लिए एक निश्चित सा लगाव. आप न चाहते हुए भी वरुण को चाहने लगेंगे, उनके व्यक्तित्व की यही खूबी उन्हें औरों से अलग करती है. फिर चाहे वह रंगमंच हो या असल जिंदगी.
मेरा वरुण को ‘प्रेमम’ के काल्पनिक किरदार में कास्ट करने के 6 महीने बाद उनकी फिल्म ‘ढिशूम’ के सोशल मीडिया कैंपेन के लिए काम करने का मौका मिला.
वरुण के साथ काम करके हमारी टीम को पता चला कि वे एक सरल और प्रतिभावान व्यक्ति हैं. डिजिटल तौर पर वे काफी तेज हैं, सोशल मीडिया पर वे ऐक्टिव रहते हैं, साथ ही नए विचारों का हमेशा खुले तौर पर स्वागत करते हैं. यह बताना भी जरूरी है कि उनमें गजब की ऊर्जा है, जिसका इस्तेमाल उन्होंने अपनी फिल्म को प्रोमोट करने में किया. उनका उत्साह देखते ही बनता था.
इन सब में, अब यह कहा जा सकता है, मैंने अपने बैग में ‘प्रेमम’ की एक डीवीडी रखी रही, लेकिन फिल्म के पूरे प्रोमोशन के दौराम उन्हें कभी दे नहीं पाई.
‘ढिशूम’ फिल्म सामान्य रूप से सफल रही और ‘जुनैद’ के रूप में एक बेवकूफ पुलिसवाले की भूमिका में वरुण धवन को बेहद पसंद किया गया. इसके बाद वररण धवन ने ‘जुड़वां 2’ और ‘बद्रीनाथ की दुल्हनियां’ जैसी फिल्में की. इन दोनों फिल्मों में उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया, ‘जुड़वां-2’ में अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग और ‘बद्रीनाथ की दुल्हनियां’ में बचपने से भरे एक हंसमुख नौजवान के रूप में उन्होंने दर्शकों का दिल जीत लिया. बॉक्स ऑफिस पर भी दोनों फिल्में बड़ी हिट साबित हुईं.
यह कहा जा सकता है इन दोनों फिल्मों में वरुण को उनके कंफर्ट जोन के मुताबिक ही किरदार मिले. लेकिन फिर उन्होंने अक्टूबर में काम किया.
इस साल रिलीज हुई फिल्म अक्टूबर को समीक्षकों की खूब सराहना मिली और इस फिल्म में वरुण धवन को कास्ट करना एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ.
यह वरुण का तिरस्कार करने जैसा ही होगा अगर यह कहा जाए कि फिल्म ‘अक्टूबर’ में उनकी कास्टिंग बिल्कुल सोच से परे की गई थी. वरुण के निभाए गये किरदारों ने पहले ही उनके लिये ‘अक्टूबर’ में डैन के किरदार के लिये रास्ता बना चुकी थी.
किरदारों की बात करें तो चाहे वो बदरी हो, हम्पटी हो या फिर जुनैद, वरुण ने बचपन और जवानी के बीच फंसे शख्स के किरदार को बखूबी निभाया है. ऐसी भूमिका में वरुण धवन सहज दिखते हैं लेकिन हमने अक्सर रणबीर कपूर को ही ऐसे किरदार निभाते हुए देखा है इसलिए हमें दूसरे अभिनेता पूरी तरह प्रभावित नहीं कर पाते.
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असलियत में बॉक्स ऑफिस के हिसाब से वरुण धवन रणबीर कपूर पर इसलिये भारी पड़ते हैं, क्योंकि वो ज्यादा परिपक्व हैं, बल्कि ऐसा कहा जाए कि वो दिलकश भी हैं, तो गलत नहीं होगा.
वरुण के ऐसे किरदारों में दर्शकों को एक चिंतित, चिड़चिड़ा और खुद को तबाह कर लेने वाला शख्स नहीं दिखता, बल्कि एक दिशाहीन नौजवान दिखता है, जिससे दर्शक खुद को ज्यादा जोड़ पाते हैं.
हां, आपको ऐसा लग सकता है कि उनके किरदार में पूरी तरह से वयस्कता की झलक नहीं आती है, फिर भी कम या ज्यादा बद्रीनाथ की दुल्हनियां में उन्होंने मुख्य चरित्र की भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय किया.
‘अक्टूबर’ एक अलग तरह की फिल्म है, जिसके मुख्य किरदार को वरुण ने अपनी बेहतरीन अदायगी से जीवंत कर दिया है. फिल्म के अंत में, वरुण और डैन दोनों अटल रूप से आगे बढ़ते हैं.
वरुण अब एक अभिनेता और एक स्टार के तौर पर उभरे हैं, जो अब एक ऐसी फिल्म करने में भी सहज महसूस करते हैं, जो बॉक्स ऑफिस पर उन्हें बड़ी ओपनिंग और रीमिक्स ट्रैक के साथ डांस नंबर नहीं देती है
वास्तव में, अलग-अलग किरदार निभाने के लिये उन्होंने ‘बदलापुर’ जैसी फिल्म कर प्रयोग भी किये, लेकिन अब इंडस्ट्री में कई बड़े स्टार मुकाबले में हैं. बुरी खबर यह है कि ‘प्रेमम’ की हिंदी रीमेक तो बन रही है, लेकिन मेरी काल्पनिक रीमेक की तरह इसमें वरुण धवन नहीं दिखेंगे. इस वास्तविक हिंदी रीमेक फिल्म में अभिनेता अर्जुन कपूर नजर आएंगे.
हालांकि, अच्छी खबर कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है और वो यह है कि 24 अप्रैल को वरुण धवन 31 साल के हो गये. अब ये बच्चा बड़ा हो गया और ऐसे काम करने के लिये पूरी तरह से तैयार है, जो न सिर्फ लोकप्रिय बल्कि सार्थक भी हो. एक स्टार और अभिनेता के तौर पर वो लगातार उन्नति कर रहे हैं.
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