वैसे तो ये पहेली नहीं है, फिर भी बताइए
- रणवीर सिंह और दीपिका ने अपनी शादी की तारीख का ऐलान 21 अक्टूबर को ही क्यों किया?
- अमिताभ बच्चन ने दो साल पहले अचानक ही पोती आराध्या और नातिन नव्य नवेली को बेहद भावपूर्ण चिट्ठी लिखकर उसे सार्वजनिक क्यों कर दिया, जबकि वो पारिवारिक बातों को प्राइवेट ही रखते हैं.
- तीसरी पहेली भी है. एक बार तबला वादक जाकिर हुसैन के बारे में ये खबर क्यों उड़ गई कि उंगलियों में दर्द की वजह से वो तबला बजाना छोड़ देंगे, पर बाद में ये बात गलत पाई गई.
बॉलीवुड के लिए हर इवेंट कमर्शियल
जिस सिद्धांत के आधार पर अमिताभ बच्चन ने चिट्ठी लिखकर अपनी नातिन और पोती को अपने तरीके से जीने की सलाह दी थी, उसी सिद्धांत को अपनाते हुए रणवीर सिंह और दीपिका ने 21 अक्टूबर को शादी का ऐलान किया.
दीपिका-रणवीर ही क्यों, दूसरे बॉलीवुड स्टार और यहां तक कि तबला वादक जाकिर हुसैन भी इसी सिद्धांत को अपना चुके हैं.
निजी-विजी कुछ नहीं होता
बॉलीवुड में सेलिब्रिटी अक्सर रोना रोते हैं कि उन्हें भी निजी जिंदगी जीने का हक है. लेकिन प्रैक्टिकल में ऐसा होता नहीं है. निजी तभी तक निजी है, जब तक उसमें कोई फायदा नहीं है.
21 अक्टूबर की अहमियत
रणवीर सिंह और दीपिका ने इस बात का ध्यान रखा कि शादी की तारीखों का ऐलान 21 अक्टूबर को किया जाए, ताकि कॉफी विद करण के नए सीजन के पहले एपिसोड को इसका पूरा फायदा मिले. रविवार 21 अक्टूबर से शुरू कॉफी विद करण के नए सीजन के पहले एपिसोड की गेस्ट थीं दीपिका पादुकोण और आलिया भट्ट.
शादी की तारीख के जरिए शो को पब्लिसिटी
रविवार 21 अक्टूबर की दोपहर को जैसे ही रणवीर सिंह और दीपिका ने सोशल मीडिया में अपनी शादी की तारीखों का ऐलान किया, उसके बाद लगे हाथ दीपिका और आलिया के साथ आने वाला कॉफी विद करण भी ट्रेंड करने लगा.
दीपिका वाले एपिसोड को ज्यादा से ज्यादा लोग देखें, इसलिए बड़ा सोच-समझकर प्लानिंग के साथ शादी की तारीखों का ऐलान करने के लिए रविवार 21 अक्टूबर का दिन मुकर्रर किया गया.
सुपरस्टार बच्चन ने सितंबर 2016 में अपनी नातिन नव्य नवेली और पोती आराध्या को चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने दादा (ग्रैंड फादर) के नाते उन्हें सलाह दी कि किसी की सोच को अपने ऊपर हावी मत होने देना, महिला होने के नाते तुम्हें भी अपना जीवन जीने का हक है.
अमिताभ ने सितंबर 2016 में लिखी ये चिट्ठी ट्विटर के अलावा अपने फेसबुक अकाउंट में भी शेयर की. देशभर के अखबारों में टेलीविजन चैनल में इस चिट्ठी को खूब पब्लिसिटी मिली. माहौल ऐसा बनाया गया कि लगा कि अमिताभ महिलाओं के अधिकारों के लिए बहुत फिक्रमंद हैं.
लेकिन इसके कुछ दिन बाद अमिताभ बच्चन की फिल्म पिंक रिलीज हो गई. कमाल का संयोग देखिए, इस फिल्म की कहानी उसी चिट्ठी में उठाए गए विषय से मेल खाती थी, जो उन्होंने अपनी नातिन और पोती को लिखी थी. अमिताभ इस फिल्म में वकील के किरदार में थे और उनकी ज्यादातर दलीलें वही थीं, जो चिट्ठी में लिखी गई थीं.
मतलब साफ है. व्यक्तिगत चिट्ठी सार्वजनिक करके अमिताभ ने इसका इस्तेमाल पिंक फिल्म के प्रचार के लिए किया. इस बात पर वजन बढ़ गया होता, अगर अमिताभ ने अभी चल रहे MeToo में वैसी ही शिद्दत दिखाई होती. लेकिन तनुश्री-नाना पाटेकर मुद्दे समेत बॉलीवुड में MeToo अभियान पर अमिताभ में पूरी तरह चुप्पी साध ली. इसका मतलब तो यही है कि चिट्ठी लिखना उनका स्ट्रैटेजिक कदम था, जो फिल्म के रिलीज के साथ ही पूरा हो गया.
जाकिर हुसैन की चाय
ये करीब 15-16 साल पुराना मामला है. रविवार की सुबह खबर आई कि उंगलियों में तकलीफ होने की वजह से मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन अब कभी तबला नहीं बजाएंगे. खबर बड़ी थी. अगले दिन करीब-करीब हर अखबार की सुर्खियां बन गईं. चारों तरफ बात फैल गई. लेकिन दो-तीन दिन बाद मामला उलट गया. जाकिर हुसैन की तरफ से इस खबर का खंडन आ गया. बात आई-गई हो गई.
पर कहानी में ट्विस्ट आ गया. कुछ दिन बाद ही एक बड़ी मशहूर चाय का विज्ञापन आया, जिसमें जाकिर हुसैन प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और एक पत्रकार उनसे सवाल पूछता है, जनाब आपकी उंगलियों में दर्द की खबर है, क्या आप तबला नहीं बजाएंगे? जवाब में जाकिर कहते हैं, नहीं हुजूर इस चाय का स्वाद और तबले का साथ छूटना मुमकिन नहीं.
मतलब विज्ञापन को हकीकत से जोड़ने के लिए जाकिर हुसैन की उंगलियों के दर्द और तबला बजाना छोड़ने की फर्जी खबर जान-बूझकर विज्ञापन एजेंसी ने फैलायी थी.
वैसे ऐसे ढेरों मामले हैं. पर लब्बोलुआब यही है कि सेलेब्रिटीज बड़ी स्मार्टनेस के साथ अपने निजी मामलों का कमर्शियल इस्तेमाल करते हैं. खबरों के साथ ये चल भी खूब जाता है.
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