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‘हीरोगिरी’ वाला जमाना गया, अब सपोर्टिंग एक्टर्स हैं फिल्मों की जान

आजकल जो फिल्में बॉलीवुड में बन रही हैं, वो नायक प्रधान न होकर किरदार प्रधान होती हैं.

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लंबे समय से एक अदद हिट फिल्म को तरस रहे एक्टर अभिषेक बच्चन को पर्दे पर सपोर्टिंग किरदार निभाना पसंद नहीं. टीवी शो 'कॉफी विद करण' के हालिया एपिसोड में उन्होंने कहा था कि कई फिल्मों में लीड रोल करने के बाद अब सपोर्टिंग रोल करना उनके लिए तकलीफदेह है.

अभिषेक के इस बयान से उनके गिरते करियर ग्राफ से उपज रही निराशा साफ झलकती है. लेकिन वे शायद इस बात से अंजान हैं कि आज के दौर की फिल्मों को हिट कराने के पीछे सपोर्टिंग किरदारों का कितना अहम योगदान होता है. यही वजह है कि आजकल की फिल्मों में स्पोर्टिंग किरदारों को कहानी में दमदार जगह देकर फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी जा रही हैं...और बेशक, ऐसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हो रही हैं.

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इन दिनों बॉलीवुड इंडस्ट्री में ऐसे तमाम एक्टर अपनी जगह बना चुके  हैं, जो सपोर्टिंग रोल्स के बलबूते फिल्में हिट करवा रहे हैं. ये कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म की कामयाबी की जिम्मेदारी जितनी लीड एक्टर के कंधों पर होती है, उतनी ही अब इन्हीं सपोर्टिंग रोल करने वाले कैरेक्टर आर्टिस्ट के कंधों पर भी आ गई है. ऐसे ही कुछ मंझे हुए कलाकारों पर एक नजर-

नवाजुद्दीन सिद्दीकी

लंबे वक्त तक काम पाने के लिए स्ट्रगल करने के बाद बॉलीवुड में जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर कदम रखने वाले नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का स्टारडम आज जगजाहिर है. चाहे साइड रोल हो, या सपोर्टिंग रोल, विलेन का किरदार हो या बायोपिक का टाइटल रोल, नवाजुद्दीन ने हर तरह के किरदारों को बखूबी निभाकर अपनी पहचान बनाई है. अपनी एक्टिंग के दम पर आज नवाजुद्दीन उस मुकाम पर पहुंच चुके हैं, जहां किसी फिल्म में उनका होना ही फिल्म की कामयाबी की गारंटी देता है. सपोर्टिंग किरदार निभाने वाले नवाजुद्दीन आज बड़े बड़े स्टार्स पर भारी पड़ते हैं.

आजकल जो फिल्में बॉलीवुड में बन रही हैं, वो नायक प्रधान न होकर किरदार प्रधान होती हैं.

जीशान अयूब खान

'नो वन किल्ड जेसिका', 'मेरे ब्रदर की दुल्हन', 'रांझणा', 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स', 'डॉली की डोली', 'शाहिद', 'रईस', 'जीरो', 'मणिकर्णिका' जैसी तमाम फिल्मों में  जीशान अयूब खान बेहतरीन सपोर्टिंग रोल्स निभा चुके हैं. अगर इन फिल्मों में जीशान नहीं होते तो शायद फिल्म अधूरी मानी जाती. शाहरुख खान से लेकर सलमान खान तक, जीशान ने कई बड़े स्टार्स की फिल्मों को अपनी मौजूदगी से संवारा है.

आजकल जो फिल्में बॉलीवुड में बन रही हैं, वो नायक प्रधान न होकर किरदार प्रधान होती हैं.

अपारशक्ति खुराना

अपारशक्ति ने जब बॉलीवुड में कदम रखा था, तब उनकी पहचान महज आयुष्मान खुराना के छोटे भाई के तौर  पर थी. लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी काबिलियत के बलबूते इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना ली. 'दंगल', 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया', 'हैपी फिर भाग जाएगी', 'स्त्री', और 'राजमा चावल' जैसी फिल्मों में अपारशक्ति के काम को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि फिल्म हिट कराना सिर्फ लीड हीरो के बस की बात नहीं.

आजकल जो फिल्में बॉलीवुड में बन रही हैं, वो नायक प्रधान न होकर किरदार प्रधान होती हैं.
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दीपक डोबरियाल

'ओमकारा', 'दिल्ली-6', 'गुलाल', 'शौर्य', 'तनु वेड्स मनु' 'दबंग-2', 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स', 'हिंदी मीडियम', 'लखनऊ सेन्ट्रल', 'बागी-2' जैसी तमाम फिल्में हैं, जिनमें दीपक डोबरियाल ने काबिल-ए-तारीफ काम किया है. दीपक की गिनती उन गिने-चुने कलाकारों में होती  है, जो बड़े ही सहज और स्वाभाविक तौर पर किरदार में ढल जाते हैं.

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आजकल जो फिल्में बॉलीवुड में बन रही हैं, वो नायक प्रधान न होकर किरदार प्रधान होती हैं.

पंकज त्रिपाठी

टीवी सीरियल्स और फिल्मों में छोटे-मोटे रोल्स करके पंकज त्रिपाठी ने सालों तक स्ट्रगल किया. लेकिन आज पंकज जिस फिल्म में सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर नजर आते हैं, उस फिल्म से दर्शक एक जुड़ाव महसूस करते हैं. पंकज  त्रिपाठी को 2012 में 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' फिल्म की सीरीज से कामयाबी मिली. इसके बाद 'फुकरे', 'मसान', 'गुंडे', 'निल बटे सन्नाटा', 'मांझी-द माउंटेन मैन', 'बरेली की बर्फी', 'न्यूटन', 'अनारकली ऑफ आरा', 'फुकरे रिटर्न्स' और 'स्त्री' जैसी कई फिल्मों के लिए उन्होंने खूब तारीफें बटोरीं. 'सेक्रेड गेम्स' और 'मिर्जापुर' जैसी वेबसीरीज ने पंकज की शोहरत में इजाफा किया.

आजकल जो फिल्में बॉलीवुड में बन रही हैं, वो नायक प्रधान न होकर किरदार प्रधान होती हैं.

इन सारी बातों का लब्बोलुआब ये है कि बॉलीवुड में अब वो जमाना नहीं रहा, जब अकेला हीरो अपने दम पर फिल्मों को हिट करवाता था. आजकल जो फिल्में बॉलीवुड में बन रही हैं, वो नायक प्रधान न होकर किरदार प्रधान होती हैं. यानी कहानी में सपोर्टिंग किरदारों को भी हीरो के बराबर ही एहमियत दी जाती है, और इन्हीं किरदारों पर फिल्म की कामयाबी भी निर्भर करती है.

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