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गया, गया, गायब हो गया- सिनेमा से सेक्स रफूचक्कर हो गया 

सेक्स को फॉर्मूले की तरह परोसने वाली फिल्में ताश के महल की तरह ढह जाती हैं

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चाहे वो सेक्स से भरी रोमांचक कहानी हो या फिर सॉफ्ट पॉर्न, बॉलीवुड में इस स्टाइल की फिल्में पिछले दो साल से बॉक्स ऑफिस पर पिटने लगी हैं. सनी लियोन का वेबसाइट पर तहलका मचाना जारी है, और उद्घाटन समारोह में किसी चुनावी रैली से ज्यादा भीड़ जुटाना भी. लेकिन फिल्मों में उनकी अदाओं की गर्मी खत्म हो रही है.

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हालांकि, मैं उन्हें कम करके नहीं आंक रहा. सनी लियोन जब बात करती हैं तो अपना दिल-ओ-दिमाग खोलकर रख देती हैं. वो एक ट्वीट के जरिए ही पत्रकारों और टीवी एंकरों पर हावी हो सकती हैं. यही नहीं,‘आइटम गर्ल’ के तौर पर उनसे बेहतर अभी तो कोई नहीं है और ये बात इस साल रईस और बादशाहो से साबित होती है. स्क्रीन पर सनी मतलब सीटियों की गारंटी.

बात बस इतनी है कि बॉलीवुड की खास तरह की सेक्स फिल्में या तो वेब सीरीज के रास्ते पर हैं या फिर फिल्म प्रोडक्शन ऑफिसों में उनके खरीदार खत्म हो रहे हैं.

एकता कपूर के बालाजी बैनर की ‘क्या कूल हैं हम ’ फ्रेंचाइजी हो, इंद्र कुमार की ग्रैंड मस्ती ’ हो या द हेट स्टोरी सीरीज, इन सबका समय खत्म हो चुका है. सेक्स थ्रिलर परोसने में माहिर विक्रम भट्ट अब वेब सीरीज की तरफ मुड़ चुके हैं. विशेष फिल्म्स के महेश और मुकेश भट्ट की दिलचस्पी अब राज, मर्डर औरजिस्म में नहीं है.

सेक्स को फॉर्मूले की तरह परोसने वाली फिल्में ताश के महल की तरह ढह जाती हैं

और तो और, इमरान हाशमी के लंबे चुंबन दृश्य गायब हो गए हैं. मल्लिका शेरावत अब सिर्फ कांस फिल्म फेस्टिवल में रेड कार्पेट पर फोटो खिंचाती दिखती हैं, वो भी जैकी चैन के बिना. और सदाबहार आइटम गर्ल मलाइका अरोड़ा खान, जो चल छैंया छैंया (दिल से, 1998) और मुन्नी बदनाम हुई (दबंग, 2010) से लोगों की याददाश्त में बस गई हैं, उन्होंने भी टीवी पर रियलिटी शो का दामन थाम लिया है.

इस शुक्रवार, सनी लियोन और अरबाज खान स्टारर राजीव वालिया की तेरा इंतजार साल की सबसे खराब फिल्मों में गिनी जाने को तैयार बैठी है. एक ट्रेड रिपोर्ट के मुताबिक फिल्म दर्शकों को खींच पाने में नाकाम रही है और थिएटर में सिर्फ 5 फीसदी सीटें भर पाई है. पिछले महीने, अनंत नारायण महादेवन की अक्सर 2 और दीपक शिवदासानी की जूली 2 डूब चुकी हैं, और इन फिल्मों की हीरोइनों ने ही फिल्म में अंग प्रदर्शन को जरूरत से ज्यादा बताया है.

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अक्सर 2 की जरीन खान ने शिकायत की, “वो (मतलब प्रोड्यूसर-डायरेक्टर) मुझे गैर-जरूरी छोटे कपड़े पहनाना चाहते थे, जिससे मेरा शरीर दिखे...मैं नहीं कहती कि मैं बिकनी नहीं पहनूंगी या किसिंग सीन नहीं करूंगी...लेकिन वो हर फ्रेम में मुझे छोटे कपड़े पहनाना चाहते थे. ऐसी चीजें मानी नहीं जा सकतीं.”

जूली 2 की एक्ट्रेस राय लक्ष्मी, जो दक्षिण भारत की कई फिल्मों में आ चुकी हैं, भी बॉलीवुड की अपनी पहली फिल्म से खुश नहीं थीं. उन्होंने बस यही कहा, “सेक्स परोसने वाली फिल्मों का दौर जा चुका है. हमने काफी ज्यादती कर ली है.”

सेक्स को फॉर्मूले की तरह परोसने वाली फिल्में ताश के महल की तरह ढह जाती हैं
जूली-2 फिल्म की एक तस
(स्क्रीनग्रैबः फिल्म)

ऐसे में सनी लियोन की हैसियत क्या है? दूसरी हीरोइनें ‘आइटम गर्ल’ का दर्जा पाने की कोशिशें कर तो रही हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है. मिसाल के लिए उर्वशी राउतेला के नाइटक्लब में लटके-झटके भी ऋतिक रोशन की काबिल की काबिलियत बढ़ा नहीं सके.

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जहां तक फिल्म की नायिका के रूप में सनी लियोन की बात है, तो ट्रेड पंडितों के मुताबिक, एमएमएस रागिनी 2 (बेबी डॉल फेम) ही उनकी एकमात्र हिट मानी जा सकती है. उनकी दूसरी फिल्मों ने चिंगारी तो भड़काई, लेकिन कैश काउंटर पर आग नहीं लगा सकीं.

निष्कर्ष ये है कि सेक्स की थीम पर बनी फिल्में भी बिना किसी कहानी के सिर्फ एक स्टार, सागर की लहरों के बीच संगीत की धुनों, मोमबत्तियों से सजे बेडरूम के दृश्यों और हर सीन में अंग प्रदर्शन के सहारे नहीं चल सकतीं.
सेक्स को फॉर्मूले की तरह परोसने वाली फिल्में ताश के महल की तरह ढह जाती हैं
लियोन की फिल्म का बॉक्स-ऑफिस कले
(Photo: The Quint)
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फिर भी अच्छी फिल्मों के लिए उम्मीदें कभी खत्म नहीं होतीं. हाल के वर्षों में, अनुराग कश्यप की देव डी (2009), अजय बहन की बी.ए. पास (2013), लीना यादव की पार्च्ड (2015) और अलंकृता श्रीवास्तव कीलिपस्टिक अंडर माई बुर्का (2017) ने सेक्स के मुद्दे को परिपक्वता और ईमानदारी के साथ पेश किया है.

इसलिए इस बात पर चौंकना नहीं चाहिए कि सेक्स को फॉर्मूले की तरह परोसने वाली फिल्में ताश के महल की तरह ढह जाती हैं.

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(लेखक खालिद मोहम्मद, एक फिल्म आलोचक, फिल्ममेकर, थिएटर डायरेक्टर और वीकेंड पेंटर हैं)

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