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ऐश्वर्या-सलमान की वजह से 10 साल लेट हुई बाजीराव मस्तानी

बहुप्रतिक्षित फिल्म बाजीराव मस्तानी अब लांच होने के लिए तैयार है. जानिए, कैसे इसे बनने में 10 साल का समय लगा?

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संजय लीला भंसाली की बहुप्रतिक्षित फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ का इंतजार एक खास दर्शक वर्ग के बीच हो रहा है.

बाजीराव मस्तानी की स्टार कास्ट ने अभी से दर्शकों को खींचना शुरू कर दिया है. खास बात ये है कि रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा पहली बार किसी फिल्म में साथ काम कर रहे हैं.

रणवीर मराठा पेशवा बाजीराव बने हैं तो दीपिका उनकी प्रेमिका मस्तानी बनी हैे.

अगर फिल्म सफल होती है तो इसका श्रेय कास्टिंग को भी जाएगा. पर शायद कुछ ही लोगों को पता होगा कि इस कास्टिंग को फाइनल करने के लिए भंसाली को कितने पापड़ बेलने पड़े हैं.

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शुरुआत होती है सलमान और ऐश्वर्या से

भंसाली के इस दर्द को समझने के लिए आपको उस दौर में जाना होगा जब 1999 में आई फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ सफलता के झंडे गाड़ रही थी.

भंसाली को ऐश के रूप में अपनी प्रेरणा मिल चुकी थी. उस वक्त लगा भंसाली को लगा कि बाजीराव मस्तानी उनकी अगली फिल्म होगी जिसमें बाजीराव का किरदार सलमान और मस्तानी का रोल उनकी रियल लाइफ प्रेमिका ऐश निभाएंगी.

पर किस्मत ने कुछ ऐसी पलटी खाई कि भंसाली का सपना पूरा नहीं हो सका और सलमान-ऐश अलग हो गए. प्रोफेशनल रवैया दिखाते हुए दोनों साथ काम करने के लिए तैयार भी हो जाते पर जब ये मामला सार्वजनिक हुआ तभी ये साफ हो गया कि दोनों अब कभी साथ काम नहीं करेंगे.

सलमान के हटते ही बीच में कूद पड़े शाहरुख

भंसाली का सपना टूट चुका था लेकिन उन्होंने अपनी खूबसूरत प्रेरणा का दामन अब भी नहीं छोड़ा था. उन्होंने ऐश को पारो के रोल में लेकर 2002 में देवदास बनाई. देवदास ने हम दिल दे चुके सनम की सफलता को एक कदम और आगे बढ़ाया.

हालांकि भंसाली ने इस वजह से सलमान की नाराजगी भी झेली. सलमान इस बात से भी दुखी थे कि उन्होंने खामोशी के असफल होने के बाद भी भंसाली का साथ नहीं छोड़ा था लेकिन देवदास में उनकी जगह शाहरुख को लिया गया और उनकी परवाह नहीं की गई.

भंसाली ने सलमान को शाहरुख की आंखों के दर्द का वास्ता देकर मनाने की कोशिश की. भंसाली का मानना था कि जो दर्द देवदास की आंखों में था वो शाहरुख की आंखों से झलकता है. खैर सलमान के साथ बात पूरी तरह बनीं तो नहीं लेकिन पूरी तरह बिगड़ी भी नहीं.

वहीं भंसाली की प्रेरणा उर्फ ऐश ने घोषणा कर दी कि चाहे जो हो जाए वो सलमान के साथ काम नहीं करेंगी. वो चाहती थीं कि शाहरुख, बाजीराव का किरदार निभाएं.

ऐश की जिद, सलमान का गुस्सा और शाहरुख का यूं बीच में आ जाना...हुआ ये कि बाजीराव मस्तानी एक बार ठंडे बस्ते में चली गई.

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एक बार फिर हुई सलमान की वापसी, करीना के साथ

बाजीराव मस्तानी ताबूत में बंद हो गई थी पर भंसाली अब भी सक्रिय थे.

उन्होंने 2005 में ब्लैक बनाकर एक अधूरे सपने को सच किया. रानी के रूप में उन्हें एक और प्रेरणा मिली.

ब्लैक पूरी हो जाने के बाद उन्होंने एक बार फिर अपने पिटारे से बाजीराव मस्तानी को निकाला. किसी तरह सलमान को मनाया. इस बार मस्तानी के लिए करीना फाइनल हुईं. वहीं रानी को काशीबाई के तौर पर कास्ट करना तय हुआ.

सब कुछ फाइनल था पर पंगा ये हुआ कि करीना पहले से ही प्रियदर्शन की फिल्म क्योंकि... साइन कर चुकी थीं.

वो भी सलमान के साथ. इस बात से भंसाली को बहुत धक्का लगा क्योंकि वो अपनी फिल्म से सलमान-करीना की जोड़ी को लाॅन्च करना चाहते थे.

करीना का तर्क था कि जब भंसाली मंसूर खान की फिल्म जोश में साथ काम कर चुके ऐश-शाहरुख को देवदास में ले सकते हैं तो सलमान और उन्हें क्यों नहीं.

इतने बवाल के चलते सलमान ने खुद ही फिल्म से दूरी बना ली और एक बार फिर ये फिल्म ठंडे बस्ते में चली गई.

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फिर आए रणवीर-दीपिका

ये ऐसा वक्त था जब भंसाली ने सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं. उन्होंने रणबीर और सोनम को लेकर फिल्म बनाने का फैसला किया.

दोनों स्टार-किड ब्लैक की शूटिंग के दौरान भंसाली के असिस्टेंट भी रह चुके थे.

सलमान ने एक बार फिर ‘भाईजान’ होने का फर्ज निभाते हुए फिल्म में तीसरा मुख्य किरदार बनना पसंद किया लेकिन यहां भी उन्हें बहुत ही बुरा ट्रीटमेंट मिला.

फिल्म के रिलीज होने के बाद सलमान को एहसास हुआ कि वो तो मेहमान कलाकार भी नहीं थे.

इसके बाद सलमान ने खुद को बाजीराव मस्तानी के सपनों से भी दूर कर लिया. भंसाली ने सांवरिया के बाद अपनी पहली प्रेरणा ऐश के साथ एकबार फिर गुजारिश की लेकिन इस फिल्म का अंजाम भी सांवरिया के जैसा ही हुआ.

2013 में गोलियों की रासलीला-राम-लीला के दौरान उनकी डूबती फिल्म को उबारने वाले दो सितारे मिल गए. उनकी कैमिस्ट्री सूरज की तपिश को भी मात देने वाली थी. भंसाली को सफल फिल्म की तलाश थी और रणवीर-दीपिका ने उन्हें निराश नहीं किया.

अंत में भंसाली को उनके बाजीराव और मस्तानी मिल ही गए. अब जबकि फिल्म रिलीज होने के लिए तैयार है तो ये देखना मजेदार होगा कि भंसाली के 10 साल के सब्र का फल मीठा निकलता है या फिर....

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