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जन्मदिन स्पेशल: सुभाष घई और एक्टिंग का कीड़ा

सुभाष घई की फिल्मों की जान है वो 10-15 सेकेंड का कैमियो

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दमदार डायरेक्टर और बर्थ-डे बॉय सुभाष घई बॉलीवुड में तो एक्टर का ख्वाब लेकर आए थे. 1967 में आई फिल्म तकदीर और 1971 में आई फिल्म आराधना में उन्होंने छोटे-मोटे रोल भी किए थे लेकिन उन्हें जल्द ही ये पता चला गया कि एक एक्टर से कहीं ज्यादा अच्छे वो एक डायरेक्टर बन सकते हैं. फिर क्या था घई साहब कूद गए निर्देशन में और अपनी पहली ही फिल्म में बेमिसाल निर्देशन से झंडे गाड़ दिए. फिल्म का नाम था कालीचरण (1976).

अब मानें या न मानें घई साहब की एक्टिंग उनके लिए लकी जरुर रही है. हिचकॉक स्टाइल के उनके कैमियो आज भी दर्शकों को पसंद आते हैं. तो ये रहे कुछ ऐतिहासिक रोल-

हीरो (1983)

चलिए 1983 में चलते हैं जब सुभाष घई ने ये फैसला किया था कि वो अचानक हीरो फिल्म के गाने डिंग डोंग में दिखेंगे. वो बीच सड़क पर एक कार ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं और अचानक उनका सामना मोटरबाइक पर गुजर रहे कुछ लड़कों से होती है. वो लड़के उन्हें छेड़ते हैं और आगे बढ़ जाते हैं. लेकिन घई का रिएक्शन बेशकीमती था!

खलनायक (1993)

ये हुआ चमत्कार और माधुरी की मनमोहक दुनिया को तोड़कर अचानक कोट- पैंट और टोपी लगाए सुभाष घई पालकी में होके सवार गाने में प्रकट हो जाते हैं. अब यही तो घई का स्टाइल है. भले ही वो अपनी फिल्म में चंद सेकेंड के लिए दिखते हैं लेकिन आप गारंटी के साथ कह सकते हैं ये उनका बेस्ट शॉट होता है.

ताल (1999)

फिल्म ताल में अक्षय खन्ना और ऐश्वर्या के बीच इश्क परवान चढ़ रहा होता है और सोचिए इनकी मदद कौन करता है? अरे और कौन सुभाष घई. संगीत की दीवानगी और कैमियो का शौक ही उनकी फिल्ममेकिंग को दूसरों से अलग करता है.

यादें (2001)

“ये तो होगा जी, ये तो होगा,” कहते हैं सुभाष घई, और ये बताते भी हैं कि करीना और ऋतिक को तो इश्क होना ही है. दरअसल एक निर्देशक होने के नाते उनके पास फिल्म में कुछ भी करने की ताकत होती है. लेकिन हम तो उन्हें इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि वो हमेशा सही रास्ता दिखाने के लिए एक अलग ही स्टाइल में एंट्री मारते हैं. 

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