‘पद्मावती’ फिल्म विवाद संसदीय समिति तक पहुंचने से पहलाज निहलानी काफी नाराज हैं. सेंसर बोर्ड के देखने से पहले ही संसदीय समिति की तरफ से फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली से सवाल करने के फैसले को निहलानी ने चौंकाने वाला बताया.
सेंसर बोर्ड के पूर्व चेयरमैन पहलाज निहलानी ने दावा किया कि सूचना प्रसारण मंत्रालय ने उनके कार्यकाल के दौरान भी ऐसी ही दबंगई दिखाई थी और उन्हें परेशान किया था.
उन्होंने कहा, “माना कि , संसदीय समिति के पास भंसाली और किसी भी निर्माता से सवाल पूछने का पूरा अधिकार है. लेकिन तब, जब केंद्रीय फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड फिल्म को देख ले और उसे सर्टिफिकेट जारी कर दे.
निहलानी ने कहा, "सेंसर सर्टिफिकेट से पहले भंसाली से सवाल करना, सीबीएफसी के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देना है क्योंकि बोर्ड ही किसी फिल्म के भाग्य का फैसला करने वाली आखरी रास्ता है."
निहलानी का मानना है कि लगता है कि सीबीएफसी ने अपना पावर खो दिया है. उन्होंने कहा, “मेरे कार्यकाल के दौरान भी, सूचना प्रसारण मंत्रालय ने निर्णय लेने के लिए मुझे भी परेशान (बुलीड) किया था.”
निहलानी का कहना है कि "अब यह खुला खेल (फ्री फार ऑल) हो गया है. ऐसा लगने कि सरकार का कोई भी विभाग किसी भी फिल्म पर शासी सवाल उठा सकता है. ऐसे में सीबीएफसी के लिए जगह कहां बचती है?
निहलानी को आश्चर्य होता है कि ‘आखिर ‘पद्मावती’ फिल्म को प्रताड़ित किया जाना कब बंद होगा. आखिर भंसाली कितनी समितियों को जवाब देंगे? और, यह कहां जाकर खत्म होगा?
निहलानी ने सवाल किया, "क्यों भारत के एक श्रेष्ठ फिल्म निर्माता से बार बार सफाई देने के लिए कहा जा रहा है? और क्यों नहीं सीबीएफसी मुद्दे को निर्णायक रूप से साफ करने के लिए कोई कदम उठा रहा है."
बता दें कि निहलानी का बतौर सीबीएफसी अध्यक्ष का कार्यकाल विवादों से जुड़ा रहा था.
(इनपुटः IANS से)
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