कंगना रनौत ने आईफा समारोह में करण जौहर, सैफ अली खान और वरुण धवन के मजाक के बाद नेपोटिज्म को लेकर छिड़ी बहस पर आखिर अपनी चुप्पी तोड़ी है. कंगना ने कहा कि अगर परिवार के जीन ही सब कुछ तय करते तो वह ' एक किसान ' होतीं.
पिछले हफ्ते न्यूयार्क में आयोजित अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार (आईफा) समारोह में तीनों ने स्टार्स ने 'नेपोटिज्म रॉक्स ', नेपोटिज्म जिंदाबाद: के नारे लगाए थे और करण जौहर ने कंगना को लेकर कहा था-,
‘कंगना कुछ ना ही बोले तो अच्छा है. वह बहुत बोलती है. ‘ ‘ बता दें कि करण जौहर के चैट शो ‘कॉफी विद करण ‘ में कंगना ने उन्हें बॉलीवुड में भाई-भतीजाबाद का झंडाबदार कहा था.
जहां आईफा के बाद शुरू हुए विवाद और सोशल मीडिया में लोगों के निशाने पर आने के बाद जौहर और वरुण ने माफी मांग ली थी, वहीं सैफ ने एक खुला खत लिखकर कहा कि उन्होंने कंगना से माफी मांग ली है.
कंगना ने उनके खत का जवाब उसी तरह एक खुले खत में देते हुए कहा कि नेपोटिज्म को लेकर विवाद और विचारों का आदान प्रदान ' उत्तेजित करने वाला है लेकिन स्वस्थ ' है.
साथ ही कंगना ने कहा, 'मैंने अपनी जिंदगी का एक अच्छा खासा हिस्सा जेनेटिक्स के अध्ययन में बिताया है, लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि आप आनुवांशिक रूप से रेस के घोड़ों से कलाकारों की तुलना कैसे कर सकते हैं. '
इतना ही नहीं आगे कहा- 'क्या आप यह कहना चाहते हैं कि कलाकारों का कौशल, कड़ी मेहनत, अनुभव, एकाग्रता की अवधि, उत्साह, तत्परता, अनुशासन और प्रेम, परिवार के जीन से विरासत में मिल सकते हैं? अगर आपका यह तर्क सही है तो मैं तो अपने घर पर एक किसान के रूप में काम कर रही होती.
कंगना ने आगे लिखा है- ‘सैफ आपने अपने खत में लिखा है कि ‘मैंने कंगना से माफी मांग ली है और मैं किसी और को स्पष्टीकरण देने के लिए जवाबदेह नहीं हूं और यह मुद्दा यही खत्म होता है. लेकिन यह केवल मुझसे जुड़ा मुद्दा नहीं है. भाई-भतीजावाद एक चलन है, जहां लोग बौद्धिक प्रवृत्तियों की बजाए मानवीय भावनाओं के आधार पर काम करते हैं.
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