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मूवी रिव्यू: खूबसूरत फिल्मांकन के बावजूद ‘फितूर’ चढ़ना मुश्किल

कटरीना कैफ व कश्मीर की खूबसूरती और तब्बू के अभिनय के बिना इस फिल्म को झेलना असंभव होता.

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रणबीर कपूर से ब्रेकअप में कुछ तो खास बात रही होगी कि ‘फितूर’ की मुख्य अभिनेत्री कटरीना कैफ फिल्म में बेहद खूबसूरत नजर आ रही हैं. अभिषेक कपूर की हालिया निर्देशित इस फिल्म में खूबसूरती की कोई कमी नहीं है.

चार्ल्स डिकेन्स के उपन्यास ‘ग्रेट एक्सपेक्टेशन्स’ पर बनी इस फिल्म के ‘रॉक ऑन’ और ‘काई पो चे’ फेम डाइरेक्टर से हमें भी काफी ‘एक्सपेक्टेशन्स’ थीं.

‘फितूर’ का मतलब है पागलपन, और फिल्म में कटरीना और आदित्य रॉय कपूर का जिमिंग को लेकर पागलपन साफ नजर आया है. दोनों ही बहुत शानदार नजर आए हैं.

उनसे भी ज्यादा शानदार दिखी हैं कश्मीर की वादियां. सफेद बर्फ पर लाल चिनार और कश्मीर की खूबसूरत घाटी दर्शक को फिल्म से भटकने से बचा लेती है. अनय गोस्वामी के सिनेमेटोग्राफी ने कश्मीर की खूबसूरती को बेहतरीन ढंग से परदे पर उतारा है. उनके लेंस की नजर से फिल्म जगमगा उठी है.

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अगर आपने डिकेन्स का उपन्यास पढ़ा है या फिर आपको बॉलीवुड फिल्मों की समझ है, तो आप आसानी से फिल्म की कहानी आसानी से समझ जाएंगे. निर्माता ने चालाकी दिखाते हुए कुछ जाने-पहचाने चेहरों को स्पेशल अपीयरेंस में उतारा है. प्रमोशन में किसी को कानों-कान इसकी भनक नहीं लगने दी गई.

डिकेंस के किरदार पिप, फिल्म में नूर निजामी की शक्ल में नजर आया है, जो एस्टेला बनी फिरदौस के प्यार में बेतरह गिरफ्तार है. मिस हाविशाम बनीं बेगम हजरत भी अपने किरदार को बखूबी जीती नजर आई हैं.

‘फितूर’ में काफी कुछ खास है, जैसे कश्मीर की खूबसूरती और फिल्म का संगीत. पर बहुत जल्दी ही इस सारी खूबसूरती का जादू चुक जाता है और फिर सिर्फ हमारा सब्र ही हमें पूरी फिल्म देखने तक रोके रख पाता है.

फिल्म अपना वादा पूरा नहीं करती और सारा क्रेडिट फिरदौस और नूर के बचपन का किरदार निभाने वाले नन्हें कलाकार ले जाते हैं. फिल्म के पहले हिस्से में उन दोनों के बीच का रिश्ता दर्शक को बांधे रखता है. पर खूबसूरत कटरीना और शर्ट उतारने वाले पेंटर आदित्य रॉय कपूर के बीच वो कैमिस्ट्री नजर नहीं आती.

ऐसा नहीं है कि कपूर ने कोशिश नहीं की. उन्होंने पिछली ‘आशिकी 2’ के पियक्कड़ हीरो से कहीं बेहतर काम किया है, इसलिए उनकी थोड़ी तारीफ तो बनती है.

कोल्ड हार्टेड एस्टेला का किरदार निभाने वाली कटरीना ने भी ठीक-ठाक अभिनय किया है. उनकी खूबसूरती के कारण उनके लिए नूर का प्यार तो कुदरती लगता है, पर नूर की फिरदौस को पाने की चाहत और उसका दर्द इतना लंबा खींच दिया गया है कि खोखला लगने लगता है.

जब नूर खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर का कलाकार बनाने दिल्ली आता है, तो समझ ही नहीं आता कि फिल्म किस तरफ जा रही है. ये दोनों साथ खूबसूरत दिखने के बाद कोई और जादू नहीं चला पाते. ऐसे में फिल्म को संभालने की जिम्मेदारी तब्बू पर आ जाती है.

कुल मिलाकर कटरीना और कश्मीर की खूबसूरती और तब्बू के अभिनय के बाद भी फिल्म को देखने के लिए काफी धैर्य की जरूरत होगी. पर्दे पर शानदार नजर आते आदित्य रॉय कपूर को अगर आप झेल पाते हैं, तो ये उनके लिए आपका प्यार ही हो सकता है.

मुझे इस फिल्म को 5 में से 2.5 क्विंट देने पड़ेंगे.

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