कई तरह के विवादों में घिरने के बाद आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘आर्टिकल 15’ रिलीज हो गई है. फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बज है. क्रिटिक्स रिव्यू की बात करें तो आयुष्मान की मच अवेटिड फिल्म ‘आर्टिकल 15’ को क्रिटिक्स से मिले-जुले रिव्यू मिले हैं.
‘स्क्रोल’ ने सुनहरे अक्षरों में ‘आर्टिकल 15’ की तारीफ की है. उन्होंने इसे दलितों के खिलाफ होने वाले जुर्म पर एक सटीक और पॉवरफुल फिल्म बताया है.
क्या कोई फिल्म, जो भारत के दलितों के साथ हो रहे भेदभाव पर आधारित है, वह इतनी बारीक हो सकती है? खासकर तब, जब वह पूरे क्रोध से भरी हो और यूपी, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, जैसी जगहों पर होने वाले जातीय भेदभाव पर आधारित हो.‘स्क्रोल’ के रिव्यू से
वही ‘गल्फ’ ने कहा है कि फिल्म ‘आर्टिकल 15’ आपको कोमल बना देती है, लेकिन इसके साथ ही वह आपको जन्म से ही होने वाले भेदभाव के बारे मे सोचने पर मजबूर कर देगी.
इस फिल्म को देखना आसान नहीं है, लेकिन अगर आप इसे एक मौका नहीं देंगे तो, वह इस फिल्म के साथ ज्यादती होगी.गल्फ
फिल्म में ऐसा कोई प्वाइंट नहीं है जो आपको बताएगा कि क्या सोचना चाहिए, बजाय इसके फिल्म बुलंद आवाज में सबकुछ सामने रख देती है. गल्फ ने ‘आर्टिकल 15’ को 5 में से 4 स्टार दिए हैं
देखा जाए तो इस फिल्म के मेन हीरो आर्यन हैं लेकिन स्क्रिप्ट और डायरेक्शन के हिसाब से देखें तो निशद का रोल आर्यन को बराबर का टक्कर देता है. हालांकि फिल्म में निशद का रोल काफी कम है. इस रोल को और भी दमदार इसकी कास्ट ने बनाया है. निशद के रूप में मोहम्मद जिशान अयूब को लिया गया है, जिन्होंने इसमे जान डाल दी है.‘फर्स्टपोस्ट’
‘फर्स्टपोस्ट’ का कहना है कि- ‘’इस फिल्म को देखना एक इमोशनल एक्सपिरियंस है. ‘आर्टिकल 15’ भारतीय सिनेमा के लिए इस समय की सबसे बेहतरीन फिल्म है. खासकर तब, जब सिनेमा सोसाइटी का आईना है. हम कितने बुरे हो सकते हैं और कितने बेहतर, इस फिल्म में बखूबी दिखाया गया है.’’
दूसरी तरफ ‘खलीज टाइम्स’ का फिल्म आर्टिकल 15 के लिए रिव्यू जरा हटकर है. उनका मानना है कि इस फिल्म के डायलॉग से लेकर स्क्रीनप्ले तक, कुछ भी ज्यादा खास नहीं रहा.
अगर आपने टीवी पर कोई क्राइम सीरीज देखी होगी तो आप जाहिर है ‘आर्टिकल 15’ के मुकाबले उनकी स्क्रिप्ट के लिए तालियां बजा देंगे. क्वालिटी, स्क्रिप्ट और मेकिंग की बात करें तो पॉपुलर टीवी शो ‘क्राइम पेट्रोल’ इस फिल्म से कहीं ज्यादा बेहतर है.‘खलीज टाइम्स’
खलीज टाइम्स का मानना है कि फिल्म में इससे भी बुरा यह है कि बेकार साउंड क्वालिटी होने के कारण आपको कुछ ठीक से सुनाई नहीं देगा, जिससे डायलॉग्स को समझ पाना मुश्किल हो जाता है. वहीं फिल्म के म्यूजिक को भी खलीज टाइम्स ने ज्यादा खास नहीं बताया है.
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