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मूवी रिव्यू: ‘फुकरे रिटर्न्स’ मजेदार, लेकिन ‘फुकरे’ के आगे फीका

‘फुकरे’ की तुलना में ‘फुकरे रिटर्न्स’ की स्क्रिप्ट थोड़ी कमजोर नजर आती है.

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हमारे प्यारे और चहेते फुकरे बॉयज- हनी, लाली, चूचा और जफर एक बार फिर से हाजिर हैं अपने नए कारनामों के साथ. 'दिल्ली के चार लौंडों' और उनकी शरारतों पर आधारित 2013 में आयी हिट फिल्म 'फुकरे' का सीक्वेल बनना पहले से तय था. मजेदार और कसी हुई स्क्रिप्ट के साथ बेहतर अदाकारी को उस फिल्म की कामयाबी का क्रेडिट दिया गया था. लेकिन 'फुकरे रिटर्न्स' उसकी तुलना में थोड़ी कम नजर आती है.

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पहले आए ‘फुकरे’ की बराबरी न कर पाने के बावजूद ‘फुकरे रिटर्न्स’ देखकर आपको मजा आएगा.

फिल्म एक इंट्रोडक्शन सॉन्ग के साथ शुरू होती है, जो आपको पहले पार्ट की पुरानी यादों में ले जाएगा. इसके साथ ही आप फिल्म में होने वाली पागलपंथ‍ियों के बारे में अंदाजा लगाना शुरू कर देंगे.

भोली पंजाबन (रिचा चड्ढा) इतने सालों से जेल में सजा काटते हुए अपनी रिहाई के लिए बेताब है. वो एक भ्रष्ट नेता (राजीव गुप्ता) से एक घटिया डील करके वक्त से पहले ही अपनी रिहाई खरीद लेती है.

जेल से रिहा होते ही वो चारों लड़कों को ढूंढ निकालती हैऔर इसके साथ ही फिल्म में धमाल शुरू होता है. चूचा अब सिर्फ सपने नहीं देखता, बल्कि अब वो भविष्य भी देख सकता है. बाकी तीनों हनी (पुलकित सम्राट), लाली (मनजोत सिंह) और जफर (अली फजल) उसकी इस नई काबिलियत को समझने की कोशिश करते हुए जल्दी पैसे कमाने के चक्कर में उसके भविष्य देखने के ऊटपटांग खयालों के इर्द-गिर्द प्लान बनाते हैं.

‘फुकरे’ की तुलना में ‘फुकरे रिटर्न्स’ की स्क्रिप्ट थोड़ी कमजोर नजर आती है. फिल्म में कई जोक आपको हंसाते हैं, तो कई में आपको हंसी नहीं आएगी. लेकिन वरुण शर्मा की एक्टिंग फिल्म को बांधे रखती है. रिचा चड्ढा और राजीव गुप्ता ने अपने किरदार में दमदार छाप छोड़ी है.
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इसमें कोई शक नहीं कि 'फुकरे' के आगे 'फुकरे रिटर्न्स' कमतर मालूम पड़ती है, लेकिन 2 घंटे 15 मिनट की यह फिल्म आपको हंसाएगी. इसलिए एक बार तो देखना बनता है. क्विंट की तरफ से फिल्म को 5 में से 2.5 रेटिंग.

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