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Movie Review: अच्छी नीयत से बनाई गई कमजोर फिल्म है ‘उजड़ा चमन’

डायरेक्टर अभिषेक पाठक ने इस संजिदा मुद्दे को ह्यूमर देने के हर मुमकिन कोशिश की है, लेकिन वो नाकमयाब रहे

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Ujda Chaman

एक अच्छी नीयत से बनाई गई कमजोर फिल्म है ‘उजड़ा चमन’

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चमन कोहली अपने लिए दुल्हन ढूंढ रहे हैं. कॉलेज में हिंदी लिटरेचर के प्रोफेसर चमन दिल्ली के राजौरी गार्डन में अपने छोटे भाई और माता-पिता के साथ रहते हैं. उनका हर वीकेंड अपने लिए दुल्हन तलाशने में निकलता है, लेकिन चमन की सबसे बड़ी समस्या है उनका गंजापन, जो हमेशा उनकी शादी के रास्ते में आ जाता है. एक के बाद एक लड़की वाले उन्हें उनके गंजेपन के कारण रिजेक्ट कर देते हैं. और कॉलेज के स्टूडेंट उनका जमकर मजाक उड़ाते हैं. यहां तक कि पंडित जी ने भी उन्हें डेड लाइन दी है कि अगर चमन की शादी अगले एक साल में नहीं होती है, तो वो पूरी जिंदगी ब्रह्मचारी ही रहेंगे.

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चमन कोहली (सनी सिंह) एक ऐसे शख्स की कहानी है, जो शादी के लिए बेताब है और शादी के बंधन में बंधने के लिए हर हथकंडा अपनाने के लिए तैयार है. ये फिल्म कन्नड़ फिल्म ओन्दु मोट्टया कथे पर आधारित है. डायरेक्टर अभिषेक पाठक ने इस संजीदा मुद्दे को ह्यूमर देने के हर मुमकिन कोशिश तो की है, लेकिन दर्शकों का दिल छूने में नाकमयाब रहेगी.

डायरेक्टर अभिषेक पाठक ने इस संजिदा मुद्दे को ह्यूमर देने के हर मुमकिन कोशिश  की है, लेकिन वो नाकमयाब रहे
उजड़ा चमन में सनी सिंह 
( फोटो:YouTube Screengrab )
ये एक अच्छे और संजीदा सब्जेक्ट पर बनाई गई फिल्म है. लेकिन फिल्म को जब मजबूती से कसा हुआ नजर आना था, तब फिल्म की कहानी ढीली नजर आती है और फिल्म अपना मैसेज देने में फेल हो जाती है. 

120 मिनट की ये फिल्म उजड़ा चमन काफी लंबी है. फिल्म का फर्स्ट हाफ तो हीरो के गंजेपन के कारण शर्मिंदा होने में निकल गया. और फिल्म के क्लाइमेक्स जब फिल्म को एक मैसेज देना था. वहां फिल्म बिखरी हुईं नजर आती है.

डायरेक्टर अभिषेक पाठक ने इस संजिदा मुद्दे को ह्यूमर देने के हर मुमकिन कोशिश  की है, लेकिन वो नाकमयाब रहे
सनी सिंह और मानवी गगरू
( फोटो: YouTube Screengrab)
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ये एक ऐसी फिल्म है जो आर्टिफिशियल ब्यूटी के पीछे अंधाधुंध दौड़ और इसके लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार समाज की प्रवृति पर सवाल खड़े करती है. फिल्म की कहानी लिखने और इंसानी भावनाओं को समझाने में कमजोर पड़ती नजर आती है.

हालांकि फिल्म और भी कमजोर नजर आती अगर इसमें सपोर्टिंग किरदार ग्रूशा कपूर और अतुल कुमार जैसे एक्टर्स नहीं होते. गगन अरोड़ा छोटे भाई की भूमिका में काफी रियल लग रहे हैं. सौरभ शुक्ला और शारिब हाशमी ने फिल्म में एक्ट्रा टेस्ट देने का काम किया है. चमन कोहली के किरदार में सनी सिंह ने अपना बेस्ट देने की कोशिश की है. मानवी गगरू ने भी अपनी बेहतरीन कलाकारी से दर्शकों का दिल जीत लिया है.

फिल्म में आखिरी तक चमन और अप्सरा एक परफेक्ट कपल हैं, क्योंकि उन दोनों में कोई न कोई कमी है. कुल मिलाकर एक अच्छी नीयत से बनाई गई कमजोर फिल्म है उजड़ा चमन.

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