ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘Ray’ रिव्यू: सत्यजीत रे की कहानियों को बेबाकी से पर्दे पर उतारा

देखना आकर्षक है कि तीन फिल्म निर्माताओं ने कितनी निडरता से कहानियों को रचा है

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

Ray

‘Ray’ रिव्यू: सत्यजीत रे की कहानियों को बेबाकी से पर्दे पर उतारा

नेटफ्लिक्स पर भारत के शेक्सपियर कहे जाने वाले फिल्मकार व लेखक सत्यजीत रे की लिखी हुई चार लघु कहानियों पर चार एपिसोड की एंथोलॉजी सीरीज ‘‘रे’’ आई है, जिसे अलग-अलग डायरेक्टर्स ने बनाया है. इनमें से दो श्रीजीत मुखर्जी ने डायरेक्ट हैं और बाकी दो अभिषेक चौबे और वासन बाला ने डायरेक्ट की हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
रे की शुरुआत में कोई उम्मीद नहीं कर सकता की आगे क्या होने वाला है. यह देखना आकर्षक है कि तीन फिल्म निर्माताओं ने कितनी निडरता से कहानियों को रचा है.

फॉरगेट मी नॉट

रे की पहली कहानी 'फॉरगेट मी नॉट' का निर्देशन श्रीजीत मुखर्जी ने किया है. 'फॉरगेट मी नॉट' एक रिवेंज ड्रामा है जो इप्सित के इर्द-गिर्द केंद्रित है. कहानी में अली फजल इप्सित की भूमिका में हैं, जिसकी मेमोरी कंप्यूटर से भी अच्छी कही जाती है. इप्सित की पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों ही परफेक्ट है. लेकिन कहानी का ट्विस्ट आपको हैरान कर देगा.

0

बहरूपिया

मुखर्जी की दूसरी कहानी 'बहरूपिया' है, जो लघुकथा बहुरूपी से प्रेरित है. इन दोनों फिल्मों का स्क्रीनप्ले सिराज अहमद ने लिखा है. यह एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर है, जहां इंद्राशीष (के के मेनन) उन लोगों का सामना करने का फैसला करता है जिन लोगों ने उसके साथ अन्याय किया है. मेकअप और प्रोस्थेटिक्स के साथ वह अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हो जाते हैं, लेकिन उनका कॉन्फिडेंस ही उनकी सबसे बड़ी खामी साबित होता है.

‘हंगामा है क्यूं बरपा’ के साथ मूड और टोन पूरी तरह से बदल जाता है, जो इस संकलन में सबसे अच्छी कहानी है.

हंगामा है क्यूं बरपा

अभिषेक चौबे, जिन्होंने इश्किया, उड़ता पंजाब और सोनचिरैया जैसी फिल्में की हैं, उन्होंने इस सीरीज में बरिन भौमिक की बीमारी की कहानी को निर्देशित किया है. इस कहानी में हास्य वास्तविक सा लगता है और काल्पनिक स्क्रीन प्ले रे की कहानी से न्याय संगत लगता है . मुसाफिर अली, एक गजल गायक और असलम बेग खेल पत्रकार एक साथ ट्रेन में सफर कर रहे हैं. सफर के दौरान बातें आगे बढ़ती है और अली को याद आता है कि करीब दस साल पहले भी उसने बेग के साथ सफर किया था. मनोज बाजपेयी, गजराज राव के शानदार प्रदर्शन, और बेहतरीन म्यूजिक के साथ ये कहानी रोमांचक होती जाती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्पॉटलाइट

रे की चौथी और आखिरी कहानी 'स्पॉटलाइट' का निर्देशन वासन बाला ने किया है, फिल्म हमें स्पॉटलाइट और सुर्खियों में रहने के दूसरे पक्ष को दिखाती है. क्या कोई अपनी ही इमेज का शिकार हो जाता है? हर्षवर्धन कपूर ने एक बड़े फिल्म स्टार विक्रम अरोड़ा की भूमिका निभाई है, जो रचनात्मक रूप से असंतुष्ट है. दीदी (राधिका मदान) से मिलने पर उसकी चिंताएं और असुरक्षाएं दूर हो जाती हैं, जिसका प्रभाव उसकी प्रसिद्धि को खतरे में डालता है और उस पर हावी हो जाता है. स्पॉटलाइट रे की कहानी की एक ट्रिपी रीटेलिंग है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस एंथोलॉजी में कुछ कहानियां बाकी की तुलना में बेहतर काम करती हैं. रे एक मिक्स्ड बैग है, लेकिन सत्यजीत रे की लघु कहानियों की रिटेलिंग निश्चित रूप से देखने लायक है. फिलहाल इस फिल्म को लोग काफी पसंद कर रहे है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×