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घिसे-पिटे जोक्स और बेतुके किरदारों से भरी फिल्म है ‘टोटल धमाल’ 

स्क्रीनप्ले एक नहीं बल्कि तीन लोगों ने लिखा है, और फिर भी फिल्म में कलाकारों को एक साथ जोड़ने की जद्दोजेहद चलती है.

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घिसे-पिटे जोक्स और बेतुके किरदारों से भरी फिल्म है ‘टोटल धमाल’

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टोटल धमाल में घनी आबादी है. इसमें अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, अजय देवगन, रितेश देशमुख, अरशद वारसी, जावेद जाफरी, बोमन ईरानी, पीतोबश त्रिपाठी, महेश मांजरेकर, संजय मिश्रा और यहां तक कि ईशा गुप्ता भी हैं. इस प्रोजेक्ट में सबसे ऊपर इंद्र कुमार हैं, जिन्होंने डायरेक्शन की कमान संभाली है. फिल्म का स्क्रीनप्ले लिखने के लिए एक नहीं बल्कि तीन लोग जिम्मेदार हैं, और फिर भी कलाकारों को एक साथ जोड़ने की जद्दोजेहद चलती है.

एक लाइन में फिल्म की कहानी ये है कि कुछ लोगों का ग्रुप एक चिड़ियाघर में छिपे 50 करोड़ रुपये को तलाशने की कोशिश करते हैं. इससे वहां हर तरह के मुमकिन ऊट-पटांग हालात पैदा होते हैं.

ट्रेन, कार और हेलीकॉप्टर क्रैश, पुल का गिरना, इमारतों का आग की चपेट में आना और सुने-सुनाए पुराने जोक्स की भरमार इस फिल्म में देखने को मिलती है.

अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित की जोड़ी हमेशा से एक चुलबुली जोड़ी रही है. लेकिन यहां एक गुजराती पति और मराठी पत्नी के तौर पर उनकी जोड़ी में बनी पिछली फिल्मों के जादू का मुश्किल से एक चौथाई हिस्सा ही इस फिल्म में चल पाया. वही पुराने पति-पत्नी वाले जोक्स, जिन्हें चिढ़ मचाने वाले चाचा भी अब फैमिली के वॉट्सऐप ग्रुप पर नहीं भेजते हैं!

अजय देवगन और संजय मिश्रा बदमाश हैं, जो पुलिस चीफ (बोमन ईरानी) से भागते हैं. रितेश देशमुख, जो आमतौर पर अपनी कॉमिक टाइमिंग के लिए शानदार हैं, एक लालची फायर फाइटर बने हैं, जो पैसे के लिए कुछ भी कर सकता है. फिल्म में देशमुख को जितना करने की इजाजत दी गई है, वे उससे कहीं ज्यादा करने में सक्षम है. कोई सिर्फ जॉनी लीवर के साथ उनके सीन्स को बर्दाश्त कर सकता है.

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अरशद वारसी और जावेद जाफरी की एक और प्रतिभाशाली जोड़ी ने ओरिजिनल ‘आदि-मानव’ के तौर पर अपने किरदारों को फिर से निभाया है. पूरी फिल्म में यही इकलौता ऐसा ट्रैक है जो हंसी को बरकरार रखती है. जाहिर तौर पर इसका श्रेय इन दोनों के बेहतरीन कॉमिक एक्टिंग को जाता है.

चिड़ियाघर के जानवर कम बजट के CGI और स्पेशल इफेक्ट से बने हैं. महेश मांजरेकर उस विलेन के तौर पर एंट्री करते हैं जो चिड़ियाघर की जमीन को हथियाना चाहता है. फिल्म में बंदर 'क्रिस्टल' के कुछ सीन्स हैं जो वैल्यू एडीशन का काम करते हैं.

ये वही फिल्म है जिसमें सोनाक्षी सिन्हा का पूरी तरह से एक गैर जरूरी आइटम सॉन्ग है. साथ ही ‘पैसा-पैसा’ का एक नया वर्जन है! म्यूजिक कैसा है, ये बाद की बात है!

'टोटल धमाल' अपने ट्रेलर जितना बुरा नहीं है, ये उससे भी बुरा है- क्योंकि ट्रेलर कुछ ही मिनटों के लिए था और ये दो घंटे के लिए है. फिल्म के किरदारों की तरह, इसके मेकर्स भी 'करोड़ों का कारोबार’ करने के लिए कुछ भी करने को बेताब हैं. मुझे बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का तो पता नहीं है, लेकिन अगर आप अपने समय और पैसे को अहमियत देते हैं - तो आपको इसे देखने से बचना चाहिए!

5 में से 1 क्विंट!

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