यादव खानदान में बीते कुछ महीनों में इतना ड्रामा हुआ है कि पूछो मत. लेकिन हैरत की बात तो ये है की इस ड्रामे ने लोगों को बोर नहीं किया. लोगों ने मजे लिए, सोशल मीडिया पर चुटकी ली. टीवी पर भी खूब ड्रामा दिखा. तो हमने भी सोचा क्यों न टीवी इंडस्ट्री से इस ड्रामे को आगे ले जाया जाए और बॉलीवुड स्टाइल में पूरी कहानी आपको बताई जाए.
एक परिवार जो हमेशा साथ रहता है
साल 2012 में यादव खानदान और समाजवादी पार्टी के लिए सब कुछ एक प्यारे सपने जैसा था. सब अच्छा और सुंदर क्योंकि समाजवादी पार्टी 2012 में पूरी बहुमत के साथ आई थी. और इसी वजह से पापा मुलायम और मुलायम हो गए और बेटे अखिलेश को सीएम बना दिया.
वो कहते हैं ना कि अंत भला तो सब भला... शायद ऐसा नहीं हुआ, या अभी तो पिक्चर बाकी है....!
राम गोपाल एक दीवार
मुलायम सिंद यादव:आज मेरे पास साइकिल है, पार्टी है, शिवपाल है, अमर सिंह है..तुम्हारे पास क्या है?
राम गोपाल:मेरे पास... अखिलेश है!
और खड़ी होगी समाजवादियों के बीच दीवार!
अपने?
नेताजी अखिलेश के बर्ताव से नाखुश थे.. और उन्होंने अखिलेश को पार्टी से 6 साल के लिए बर्खास्त कर दिया... लेकिन भूलिए मत.. नेताजी एक पिता भी हैं. एक पहलवान के सीने में भी भावनाएं हैं, बेटे के लिए लाड़ है.
किस्सा कुर्सी का
ये है कहानी समाजवादी पार्टी की. जिसके दोनों मालियों ने खराब बीज बो कर अपने गार्डन को खराब कर दिया.
खेल शुरू किया जाए
राजनीती कोई खेल नहीं है- ये राज करने की नीती पापा-चाचा-भतीजा से अच्छा कौन जानता है?
नेताजी का हाउस फुल
और ये है फिलहाल समाजवादी पार्टी और यादव खानदान का हाल.
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