“मुल्क सेल्फ-सफिशिएंट नहीं हो गया है...हां, कुछ लोग सेल्फ-सफिशिएंट जरूर हो गए हैं...बिजली, पानी, घर, दवा, कानून, शिक्षा...कौन सी चीज है जो आम आदमी को नसीब हो गई हैं? 60 परसेंट लोग अभी भी गरीबी की रेखा से नीचे हैं, और वो सिर्फ गरीब ही बदनसीब भी हैं, 40 बरस हो गए हैं, हाफ ए सेंचुरी...आखिर कब तक इंतजार करें?”
‘माचिस’ फिल्म के ये बोल तो गुलजार ने लिखे थे लेकिन जब ओम पुरी ने इन डायलॉग्स को अपनी आवाज दी तो जैसे उन्होंने गुलजार के लिखे में रूह फूंक दी. और, सिर्फ ‘माचिस’ ही नहीं ओम पुरी अपनी हर फिल्म में चाहे वो ‘अर्ध-सत्य’ हो, ‘आक्रोश’ हो या ‘चक्रव्यूह’, जब वे स्क्रीन पर आते थे तो ऐसा लगता था जैसे जलता कोयला आपके सामने सुलग रहा हो.
पढ़िए - ओम पुरी के उन डायलॉग्स को, जिन्होंने उन्हें अमर कर दिया...
फिल्म ‘देव’ में ओम पुरी का डायलॉग
फिल्म ‘माचिस’ में ओम पुरी का डायलॉग
फिल्म ‘मकबूल’ में ओम पुरी का डायलॉग
फिल्म ‘ओह माई गॉड’ में ओम पुरी का डायलॉग
फिल्म ‘क्यों हो गया न’ में ओम पुरी का डायलॉग
फिल्म ‘लंदन ड्रीम्स’ में ओम पुरी का डायलॉग
फिल्म ‘बाबुल’ में ओम पुरी का डायलॉग
फिल्म ‘मिर्ज्या’ में ओम पुरी का डायलॉग
फिल्म ‘इलाका’ में ओम पुरी का डायलॉग
ओम पुरी अपने 6 जनवरी, 2017 को भले ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया हो लेकिन आप हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे.
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