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Osho Documentary: पुणे फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीनिंग, 'विवादों' से हटेगा पर्दा

Lakshen Sucameli की डॉक्यूमेंट्री में ओशो की ओकलाहोमा जेल में रहने की कहानी भी दिखाई गई है.

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फिल्ममेकर और डायरेक्टर लक्षेण सुकामेली ने ओशो (Osho) पर बायोडॉक्यूमेंट्री ''OSHO THE MOVIE'' (एन इन्साइडर डॉक्यूमेंट्री ऑन द वर्ल्ड मोस्ट कंट्रोवर्सियल मिस्टिक) बनाई है. शनिवार को इसकी स्क्रीनिंग पुणे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में होगी और इसे PVR पैवेलियन मॉल में दिखाया जा रहा है. एक घंटे चालीस मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री के ट्रेलर में ओशो 'रजनीश' की जिंदगी और ओशो आंदोलन के बारे में जानकारी दी गई है. इस डॉक्यूमेंट्री में उन घटनाओं को दिखाया गया है जो अब तक ओशो पर बनी फिल्म या डॉक्यूमेंट्री में नहीं है.

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फिल्म के डायरेक्टर लक्षेण सुकामेली का कहना है कि वाइल्ड कंट्री में जो बातें दिखाई गई हैं उसके वाइल्ड एंगल को इसमें कवर किया गया है. इसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि कैसे उस वक्त अमेरिका और दुनिया के कई देशों से लोग अपना सब कुछ दांव पर लगाकर रजनीशपुरम को बनाने में जुटे थे. डॉक्यूमेंट्री में अमेरिका के ओकलाहोमा जेल में ओशो को गैरकानूनी तरीके से रखे जाने को भी दिखाया गया है.

‘Ten Thousand Shades of Osho’ डॉक्यू सीरीज

लक्षेण सुकामेली ने ओशो की जिंदगी पर पांच एपिसोड का एक डॉक्यूसीरीज भी बनाया है जिसमें भारत में उनके जन्म, पढ़ाई और फिर आचार्य बनने और वहां से अमेरिका जाने के सफर को दिखाया गया है. Ten Thosands Shades of Osho में लक्षेण सेन ने अमेरिका के ओरेगांव में बने रजनीशपुरम और उससे जुड़े कई लोगों के जरिए बड़ी पिक्चर खींचने की कोशिश की है.

बायोडॉक्यूमेंट्री में मिलेगा जवाब

लक्षेण सुकामेली कहते हैं कि बायोडॉक्यूमेंट्री ओशो और उनसे समर्थकों और ओशो के आंदोलन को सही रोशनी में समझने के लिए बनाई गई है. इसमें उन सभी पहलुओं को शामिल किया गया है जिनको लेकर विवाद रहा है.

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