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बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की जिंदगी का सफर

राजेश खन्ना भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वो आज भी लोगों की यादों में जिंदा हैं. 

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आनंद मरा नहीं, आनंद कभी मरते नहीं...

जी हां, आनंद फिल्म का ये डायलॉग बॉलीवुड के सबसे पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना पर बिल्कुल फिट बैठता है. राजेश खन्ना भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वो आज भी लोगों की यादों में जिंदा हैं, आज भी सबके दिलों पर राज करते हैं. 29 दिसंबर को राजेश खन्ना का जन्मदिन है. इस मौके पर हम आपको बताते हैं एक सुपरस्टार की जिंदगी की कहानी.

राजेश खन्ना ऐसे स्टार थे जो करियर में कामयाबी के शिखर पर पहुंचे, तो वहीं गुमनामी के अंधेरे में तन्हाई के दिन भी देखे.

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राजेश खन्ना की लोकप्रियता का यह आलम था कि बड़े-बड़े स्टार भी उनकी चमक के सामने फीके पड़ जाते थे. वो बॉलीवुड के पहले ऐसे अभिनेता थे, जिन्हें देखने के लिए लोगों की कतारें लग जाती थीं. एक के बाद एक 15 सुपरहिट फिल्में उनका ऐसा रिकॉर्ड है, जिसका टूटना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है, उन्हें दर्जनों अवॉर्ड मिले. अवॉर्ड समारोह कोई भी हो, उसमें काका की मौजूदगी ही रंगत भरती थी.
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रिश्तेदारों ने पाला

राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर, 1942 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था. उनका असली नाम जतिन खन्ना था. राजेश खन्ना को उनके नजदीकी रिश्तेदार ने गोद लिया था और उन्होंने ही पाला था.

राजेश खन्ना को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था और यही शौक उन्हें टैलेंट हंट शो तक ले आया. इस टैलेंट हंट शो में 10 हजार लोगों में से सिर्फ 8 लड़कों को चुना गया, जिसमें से एक राजेश खन्ना थे और आखिर में ये टैलेंट हंट राजेश खन्ना ने ही जीता. इस तरह उनके लिए बॉलीवुड के दरवाजे खुल गए.

पहली फिल्म थी 'आखिरी खत'

1966 में राजेश खन्ना की पहली फिल्म आखिरी खत रिलीज हुई थी. राजेश खन्ना को असली कामयाबी 1969 में आई फिल्म आराधना से मिली, जो उनकी पहली सुपरहिट फिल्म थी. इस फिल्म ने उन्‍हें सुपरस्टार बना दिया.

1969 से 1975 के बीच राजेश खन्ना ने लगातार 15 सुपरहिट फिल्म दीं. देशभर में उनका ऐसा जादू चला कि उस दौर में पैदा होने वाले ज्यादातर बच्चों के नाम राजेश रखे जाने लगे. देशभर में उनको लेकर ऐसी दीवानगी थी कि पूरा देश उन्हें काका कहकर बुलाने लगा. उस दौर में एक कहावत मशहूर हुआ करती थी, ऊपर आका और नीचे काका.

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खून से खत लिखती थीं लड़कियां!

उस दौर में राजेश खन्ना ने जो लोकप्रियता हासिल की थी, आज के जमाने में उसके आसपास भी कोई नहीं पहुंच सकता. उस दौर के स्टाइलिश और हैंडसम हीरो थे राजेश खन्ना. तब के युवा खासतौर पर उनके जैसे कपड़े बनवाया करते थे. लड़कियों में उनको लेकर ऐसी दीवानगी थी कि उनकी एक झलक पाने लिए घंटों इंतजार करतीं. कहा तो ये भी जाता है कि उस दौर में लड़कियां उन्हें खून से खत लिखा करती थीं और उनकी फोटो से शादी करती थीं.

राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार जहां रुकती थी, लड़कियां उस कार को ही चूम लेती थी. लिपिस्टिक के निशान से सफेद रंग की कार गुलाबी हो जाया करती थी. कहा तो ये भी जाता है कि एक बार राजेश खन्ना अस्पताल में भर्ती थे, तो उनके इर्द-गिर्द के कमरे फिल्‍म निर्माताओं ने बुक करा लिए, ताकि मौका मिलते ही वो राजेश को अपनी फिल्मों की कहानी सुना सके.

डिंपल से कैसे हुई पहली मुलाकात

एक प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए राजेश खन्ना प्लेन से अहमदाबाद जा रहे थे, प्लेन में डिंपल की बगल वाली सीट पर राजेश खन्ना जाकर बैठ गए. उस वक्त डिंपल की पहली फिल्म बॉबी रिलीज होने वाली थी. पहली मुलाकात के बाद ही राजेश खन्ना और डिंपल ने एक दूसरे से शादी का फैसला कर लिया. हालांकि दोनों की उम्र में काफी फासला था, लेकिन प्यार के आगे मजबूर इस जोड़े ने 1973 में शादी कर ली.

हालांकि राजेश खन्ना और डिंपल की शादी ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई और 1984 में दोनों अलग हो गए.

राजेश खन्ना भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वो आज भी लोगों की यादों में जिंदा हैं. 
डिंपल-राजेश खन्ना की शादी की तस्वीर
(फोटो: ट्विटर)
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आनंद की कामयाबी

अमिताभ बच्चन जिस दौर में फिल्मों में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे थे, उस वक्त राजेश खन्ना सुपरस्टार हुआ करते थे. दोनों की पहली मुलाकात आनंद फिल्म के सेट पर हुई थी, इस फिल्म में आनंद की मौत के बाद भास्कर बनर्जी बने अमिताभ के आंसुओं ने लाखों लोगों को रुला दिया था.

आनंद के एक-एक डायलॉग से राजेश खन्ना को दर्शकों की तालियां मिलीं. इस फिल्म में अमिताभ और राजेश की केमिस्ट्री ने इतिहास रच दिया था.

अमिताभ इस फिल्म में सहायक एक्टर थे और राजेश खन्ना इस फिल्म की जान थे. 1973 में एक बार फिर अमिताभ और राजेश खन्ना फिल्म नमक हराम में साथ आए. इस फिल्‍म में दोनों का किरदार बराबरी का था. ये वो दौर था, जब अमिताभ धीरे-धीरे कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ रहे थे और राजेश खन्ना पर स्टारडम हावी होता जा रहा था.

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गुमनामी के दौर में काका

राजेश खन्ना के करीबी वरिष्ठ पत्रकार अली पीटर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि राजेश खन्ना के अंदर अमिताभ को लेकर असुरक्षा की भावना आ गई थी. फिल्म बावर्ची में जब जया और राजेश खन्ना एक साथ काम कर रहे थे, तब अमिताभ अक्सर जया को लेने उनके सेट पर जाया करते थे. राजेश खन्ना कभी भी अमिताभ से बात नहीं करते थे, जो बात जया को जरा भी पसंद नहीं आती थी. यहां तक किए एक दिन जया ने ये कह दिया था कि एक दिन अमिताभ राजेश खन्ना से बड़े सुपरस्टार बनेंगे.

जया की बात सच साबित हुई और फिल्म जंजीर के बाद अमिताभ सफलता के शिखर पर पहुंच गए और राजेश खन्ना का सितारा गर्दिश में जाने लगा. राजेश खन्ना की कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ने लगीं. ऐसे किस्से मशहूर हैं कि राजेश खन्ना ने कई फिल्मों के ऑफर तक ठुकरा दिए थे. एंग्री यंगमैन के रूप में अमिताभ शोहरत के आसमान पर थे और राजेश खन्ना गुमनामी के अंधेरे में खोते जा रहे थे.

राजनीति में भी रखा कदम

फिल्मों से निराश होकर राजेश खन्ना ने राजनीति में भी कदम रखा. 90 के दशक में राजेश खन्ना ने कांग्रेस की सीट पर नई दिल्ली से लालकृष्‍ण आडवाणी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि राजेश खन्ना चुनाव हार गए थे.

आडवाणी ने जब बाद में गांधीनगर सीट के लिए नई दिल्ली की सीट छोड़ दी, तो बाद में इस सीट से राजेश खन्ना से शत्रुघ्न सिन्हा को हराया और वो सांसद बने. हालांकि अगले चुनाव में राजेश खन्ना को हार मिली, तो वो फिर फिल्मों में लौट आए. लेकिन उन्हें फिर वो कामयाबी नहीं मिली.

18 जुलाई 2012 को राजेश खन्ना ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

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