संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ के लिए भले दिसंबर तक का इंतजार करना पड़े लेकिन स्क्रीन पर पद्मावती कैसी दिखने वाली हैं, उसकी एक झलक जरूर आज नजर आ गई. फिल्म में दीपिका पादुकोण का लुक, फिल्म के दो पोस्टर के जरिए रिलीज किया गया. रानी पद्मावती के अवतार में दीपिका बेहद खूबसूरत और भव्य नजर आ रही हैं.
‘पद्मावती’ के लुक रिलीज के साथ ही लोगों में पद्मावती के इतिहास को करीब से जानने की इच्छा भी बढ़ रही है. पद्मावती आखिर थीं कौन? लोगों से पूछें तो चित्तौड़ की रानी हैं. किताबों में झांकें तो ये कवि की कल्पना है. गूगल से पूछें तो रानी में कहानी मिली हुई है. सरकार से पूछें तो ये पूरी तरह सच है. ऐसे में आइए तलाशते हैं हकीकत और फसाने के बीच पद्मावती कौन थीं - कहानी या रानी...
क्या कहतें हैं इतिहासकार और साहित्यकार?
हिंदी साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यकार राम चंद्रशुक्ल ने अपनी किताब ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ में ‘रानी पद्मावती’ का जिक्र किया है.
आचार्य शुक्ल लिखते हैं, जायसी की अक्षय कीर्ति का आधार ‘पद्मावत’ है. उन्होंने तीन पुस्तकें लिखीं - पद्मावत, अखरावट, आखिरी कलाम. जायसी अपने समय के सिद्ध फकीरों में माने जाते हैं. अमेठी राजघराने में इनका बहुत मान था. कबीर ने अपनी झाड़-फटकार से हिंदू-मुसलमान के कट्टरपन को दूर करने का प्रयास किया. लेकिन जायसी ने हिंदु और मुसलमान के दिलों को आमने-सामने करके अजनबीपन मिटाने का काम किया. पद्मावत कहानी में इतिहास और कल्पना का योग है. इस कहानी की पूर्वार्ध (शुरुआत) पूर्ण तरह से कल्पित है लेकिन उत्तरार्ध (अंत) ऐतिहासिक आधार पर है.
रानी पद्मावती की कहानी
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के मुताबिक, इस कहानी का दूसरा हिस्सा ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर है.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी से जुड़े एक लेख में भी अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ आक्रमण का जिक्र किया गया है. इसके साथ ही इंपीरियल गजट में भी अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ की रानी पद्मावती के रूप से प्रभावित होने की बात को एक कल्पना कहा गया है और इसका श्रेय मलिक मुहम्मद जायसी को दिया गया है.
द हिंदू की एक खबर के मुताबिक, कई इतिहासकार इस मुद्दे पर एक राय हैं कि रानी पद्मावती एक काल्पनिक किरदार हैं.
इतिहास की किताबों में झांकें तो पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच प्रेम एक कहानी के रूप में दिखता है.
आखिर लोगों के लिए कौन हैं पद्मावती?
अगर आप लोगों से बात करेंगे तो कई लोग इस बात की दुहाई देंगे कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है और रानी पद्मावती एक राजपूत वीरांगना थीं और उन्होंने आन-बान-शान के लिए हंसते-हंसते जौहर कर लिया.
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े?
राजस्थान सरकार की पर्यटन वेबसाइट के मुताबिक, अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ की रानी पद्मावती के प्यार में पड़ने की कहानी कोई कल्पना नहीं इतिहास है.
सरकारी वेबसाइट में अलाउद्दीन के चित्तौड़ की रानी के प्रेम में पड़ने के बाद आक्रमण के समय को 1303 बताया गया है.
आखिर क्या है अलाउद्दीन के चित्तौड़ आक्रमण का सच?
दिल्ली सल्तनत के दूसरे शासक अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर सन 1303 में आक्रमण किया था. इस हमले में खिलजी की जीत हुई और किले में रानी समेत कई महिलाएं आग में जिंदा जलकर सती हो गईं. ऐसे में ये बात तो ठीक जान पड़ती है कि पद्मावती कल्पना और हकीकत का योग है और अलाउद्दीन के रानी पद्मावती से प्रभावित होने की बात कल्पना के ज्यादा करीब जान पड़ती है.
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