2019 में जहां एक तरफ कई अच्छी फिल्में रिलीज हुईं, तो वहीं कुछ ऐसी फिल्में भी आईं, जिसे देखकर आप अपना सिर पीट लेंगे.बड़े-बड़े सितारों से सजी कई बड़े बजट की फिल्मों ने दर्शकों को काफी निराश किया. मल्टीस्टारर फिल्म ‘कलंक’ हो या अजय और अनिल कपूर जैसे बड़े स्टार्स की फिल्म ‘टोटल धमाल’. दर्शकों के ऊपर ना तो ‘पागलपंती’ चली और ना ही ‘जबरिया जोड़ी’ का चल पाया जादू. हम आपको बता रहे हैं 2019 की ऐसी ही फिल्मों के बारे में जिसे देखकर आपके सिर में दर्द हो जाए.
पागलपंती
अनिल कपूर, जॉन अब्राहम और सौरभ शुक्ला जैसे बड़े सितारे से सजी फिल्म ‘पागलपंती’ से तो ऐसी उम्मीद बिल्कुल ना थी. पूरी फिल्म में सिर्फ पागलपंती ही हुई है. फिल्म के ट्रेलर में भी कहा गया था कि ‘दिमाग न लगाना, क्योंकि इनमें नहीं है’. पूरी फिल्म भी कुछ ऐसी ही है.
फिल्म के फर्स्ट हाफ को "पागलपंती" ही करार दिया जा सकता है. कोई प्यार में पड़ रहा है तो कोई ऐसे ही गिर-पड़ रहा है. इंटरवल के बाद जब फिल्म आगे बढ़ती है, तो हम धीरे-धीरे अपना सब्र खोने लगते हैं. यहां तक कि पागलपन के लिए भी एक तरीका और स्किल की एक निश्चित महारत होना जरूरी है. यहां तो बिल्कुल ही रायता है. मेकर्स ने कई दिशाओं में फिल्म को भटका दिया. जानवर आ जाते हैं, भूत बंगला खुल जाता है, फिर भी एक भी जोक पर हंसी नहीं आती. पागलपंती की भी हद होती है.
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मरजावां
‘मरजावां’ को देखकर थियेटर में दर्शकों ने यही बोला ऐसी फिल्म देखकर तो मरजावां
'मरजावां' को देखकर लगा कि एक प्रोडक्ट अपनी एक्सपायरी डेट से पहले ही खराब हो गया. 80 के दशक की फिल्मों में जो 'एंग्री यंग मैन' होते थे, जो विलेन से जंग लड़ता था. हर वक्त मारधाड़ और विलेन के कहने पर सौ गुंडे खड़े हो जाते थे, और फिर एक-एक करके सब पटके जाते हैं. वो सब यहां पर दिखा. आप फिल्म देखते हुए सोचते हैं कि ये सब क्यों हो रहा है.
फिल्म में हीरो के पास एक सबसे बड़ा और ताकतवर हथियार भी है- वो है उसके डायलॉग्स. एक जगह खून से लथपथ हीरो कहता है - "मैं मारूंगा तो मर जाएगा, दोबारा जनम लेने से डर जाएगा." एक जगह पर 'ढाई किलो का दिमाग' का भी जिक्र किया गया है. ऐसे ही कई डायलॉग्स और ड्रामा फिल्म में देखने को मिलते हैं. फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा और रितेश देशमुख को देखकर दुख होता है, क्योंकि उन्होंने सच में मेहनत की है, लेकिन फिल्म की कहानी ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया.
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जबरिया जोड़ी
सिद्धार्थ मलहोत्रा और परिणीति चोपड़ा की फिल्म ‘जबरिया जोड़ी’ लोगों को जरा भी पसंद नहीं आई.
करीब ढाई घंटे इस फिल्म को देखकर आखिरी तक ये पता नहीं चलेगा कि फिल्म की प्रेरणा और दिखाने का मकसद क्या था. पकड़वा विवाह पर आधारित ये एक शानदार और एंटरटेनिंग फिल्म हो सकती थी, लेकिन डायरेक्टर प्रशांत सिंह और संजीव झा फिल्म के शुरुआती 30 मिनट में ही स्टोरी लाइन से भटकते हुए नजर आए.
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टोटल धमाल
सितारों से भरी ये फिल्म रिलीज हुई तो ऐसा लगा कि कुछ तो इसमें अलग बात होगी. अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित की जोड़ी हमेशा से एक चुलबुली जोड़ी रही है. लेकिन यहां एक गुजराती पति और मराठी पत्नी के तौर पर उनकी जोड़ी में बनी पिछली फिल्मों के जादू का मुश्किल से एक चौथाई हिस्सा ही इस फिल्म में चल पाया. वही पुराने पति-पत्नी वाले जोक्स, जिन्हें चिढ़ मचाने वाले चाचा भी अब फैमिली के वॉट्सऐप ग्रुप पर नहीं भेजते हैं.
संजय मिश्रा और अजय देवगन जैसे एक्टर भी इस फिल्म को नहीं बचा पाए.
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कलंक
संजय दत्त-माधुरी दीक्षित की जोड़ी, सोनाक्षी, आलिया और वरुण धवन जैसे यंग स्टार्स से भरी कलंक से लोगों को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन इस फिल्म ने लोगों को काफी निराश किया. अभिषेक वर्मन की फिल्म ‘कलंक’ की खूबसूरती है शानदार कपड़े और बेहतरीन ज्वेलरी. साथ ही आलिया भट्ट, आदित्य रॉय कपूर और वरुण धवन के चार्म से विजुअली ये और भी बेहतर हो जाती है. कुल मिलाकर फिल्म तो काफी ‘खूबसूरत’ है, लेकिन जब बात होती है कहानी की तो ये काफी बोरिंग है. ये भी पढ़ें- ‘कलंक’ देखने में काफी खूबसूरत, लेकिन कहानी तो बोरिंग है
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