परिणीति चोपड़ा और सिद्धार्थ मल्होत्रा के लिए बुरा लगता है. जब उन्हें मौका मिलता है अपनी एक्टिंग दिखाने का तो उनके हिस्से में सिर्फ किरदारों के नाम आते हैं. ऐसा तभी होता है जब आप इन सितारों को ऐसी फिल्मों के खांचे में बिठाने की कोशिश करते हैं, जहां वो फिट ही नहीं बैठते. फिल्म की कहानी बबली यादव और अभय सिंह के इर्द गिर्द घूमती है.
ये उन सभी दर्शकों के लिए बुरी खबर है जो करीब दो से ढाई घंटे इस फिल्म को देखकर बिताएंगे और उन्हें आखिरी तक ये पता नहीं चलेगा कि फिल्म की प्रेरणा और दिखाने का मकसद क्या था.
सिद्धार्थ मल्होत्रा और परिणीति चोपड़ा फिल्म में बबली यादव और अभय सिंह के किरदार में नजर आएंगे. जो कि इस उलझी हुई कहानी पकड़वा विवाह में नजर आने वाले हैं.
क्या है पकड़वा विवाह
उत्तर प्रदेश और बिहार में शादी के मकसद से लड़कों को अगवा किया जाता था और लड़के को मार पीटकर जबरन मंडप में बैठाकर शादी कराई जाती थी. खासतौर पर ये तब होता था जब लड़की वालों के पास लड़के वालों को देने के लिए दहेज नहीं होता था तो वो लड़की की शादी कराने के लिए पकड़वा विवाह का जरिया अपनाते थे.
पकड़वा विवाह एक शानदार और एंटरटेनिंग फिल्म हो सकती थी, लेकिन डायरेक्टर प्रशांत सिंह और संजीव झा फिल्म के शुरुआती 30 मिनट में ही स्टोरी लाइन से भटकते हुए नजर आए.
ये सब साल 2005 में माधोपुर बिहार से शुरू होता है. जहां हम स्कूल के दो छोटे बच्चों को खूबसूरत सी मुस्कुराहट के साथ एक दूसरे से लव लेटर एक्सचेंज करते हुए देखते हैं. बच्ची की हरकत से नाराज परिवार शहर छोड़ने का फैसला लेता है. और यहीं से फिल्म सीधे वहां पहुंचती है जहां दर्शकों को ये समझते हुए देर नहीं लगेगी कि ये वही लड़का अभय सिंह है जिसका पकड़वा विवाह होने वाला है.
पर्दे पर दिखी छोटी बच्ची अब चुलबुली बबली अब अपनी शादी को लेकर बेताब. उसका बस एक ही सपना है कि वो अपने प्रेमी के साथ कहीं दूर भाग जाए. कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब अभय और बबली एक दिन अचानक एक दूसरे से टकरा जाते हैं और एक दूसरे को पहचान लेते हैं. यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन उनका मिलना, उनकी कहानी इतनी फीकी लगती है कि दर्शकों सिर्फ ये लगता है कि जनाब इनकी शादी करवा दों और कहानी खत्म करो.
लेकिन क्योंकि हमने टिकट लिया है तो इस फिल्म को 143 मिनट देखने की मजबूरी आपको सीट से बांधे रखाती है. फिल्म में अभय और बबली का जबरदस्ती बिछड़ना और मिलना कहीं-कहीं नागवार गुजरता है.
साफ तौर पर देखा जाए तो पकड़वा विवाह जैसे मुद्दे को ये फिल्म पर्दे पर रखने में न कामयाब रही है
हालांकि फिल्म में सुधीर मिश्रा जो कि बबली के पिता का और नीरज सूद जो कि उसके अंकल का किरदार निभा रहे हैं उनके डायलॉग ने फिल्म में थोड़ी बहुत जान डालने की कोशिश की है. अपारशक्ति खुराना जो कि बबली का करीबी दोस्त और बबली से बेइंतहा प्यार करता है उसके किरदार में भी दर्शकों को कुछ पलों के लिए बांधकर रखा. परिणीति चोपड़ा और सिद्धार्थ मल्होत्रा की एक्टिंग और लहजे की बात करें तो ये कहना गलत नहीं होगा की ये बहुत ही बकवास और लंबी फिल्म है.
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