राजेश खन्ना हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार थे. वे ऑरिजिनल थे और हमेशा एक क्लासिक अभिनेता बने रहे. साल 1969 से लेकर 1971 तक उन्होंने 15 सोलो हिट फिल्में दीं. राजेश खन्ना के लिए उनके प्रशंसकों की दीवानगी उनके स्टारडम का सबूत थी.
राजेश खन्ना ने किशोर कुमार की आवाज को एक प्यारा चेहरा दिया था. पर्दे पर उनके व्यक्तित्व को उनकी हिट फिल्मों के गानों ने और भी लोकप्रिय बना दिया था. वे खूबसूरत गाने इतने लाजवाब हैं कि वे आज तक गुनगुनाए जाते हैं. यहां तक कि किशोर दा और आरडी बर्मन बॉलीवुड में उनके सबसे करीबी दोस्त थे.
कटी पतंग (1970), हाथी मेरे साथी (1971), मेरे जीवन साथी (1972), आनंद (1971) और आराधना (1969) जैसी फिल्मों के उनके कुछ सुरीले गीत हमेशा गुनगुनाए जाएंगे.
जब राजेश खन्ना ने 15 साल की डिंपल को शादी के लिए प्रपोज किया, तो उनकी महिला प्रशंसकों को गहरा धक्का लगा था. यहां तक कि कुछ ने आत्महत्या की कोशिशें भी की थीं. इस स्टार ने एक नए चेहरे से शादी कर ली, पर इससे उनकी लोकप्रियता कम होने की बजाय बढ़ ही गई थी.
तनुजा, शर्मिला टैगोर, आशा पारेख, हेमा मालिनी, मुमताज और रेखा उनकी सफल फिल्मों की अभिनेत्रियां रहीं.
राजेश खन्ना की बेटी ट्विंकल खन्ना का जन्मदिन भी अपने पिता के साथ ही होता है. अपने 41वें जन्मदिन पर ट्विंकल ने अपनी और अपने पिता की तस्वीर ट्विटर पर शेयर की.
फिल्म ‘आराधना’ का राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर पर फिल्माया लोकप्रिय गीत ‘रूप तेरा मस्ताना’एक टेक में शूट हो जाने वाले गाने के रूप में इतिहास में दर्ज हो गया.
एक बहुत ही खास फिल्म में राजेश खन्ना ने काम करने से मना कर दिया था. आपको शायद पता नहीं होगा कि प्रसिद्ध फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ सबसे पहले राजेश खन्ना को ऑफर की गई थी. पर वे नजर न आने वाले हीरो के किरदार से खुद को जोड़ नहीं पाए और फिल्म अनिल कपूर को दे दी गई.
वर्ष 1970 से 1979 तक राजेश सबसे ज्यादा फीस लेने वाले अभिनेता थे. 1980 से 1987 तक उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ ‘नंबर वन’ की कुर्सी साझा की. इन दोनों अभिनेताओं के बीच की प्रोफेशनल इनसिक्योरिटी के बारे में उन दिनों काफी बातें की जाती थीं.
मुमताज के साथ 100 फीसदी सफल फिल्में देने के बावजूद उन्हें मुमताज के साथ 8, जबकि हेमा मालिनी के साथ 15 फिल्में मिलीं.
प्यार से राजेश खन्ना को ‘काका’ बुलाया जाता था. काका अपने जमाने के स्टाइल आइकन थे. उनके कुर्तों और हेयरस्टाइल का जादू बाजार पर साफ नजर आता था.
काका भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, पर इन गीतों में उनकी आत्मा आज भी बसी नजर आती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)