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Mahabharat 27 April Episode: धृतराष्ट्र से कहा राज्य लौटा दीजिए 

सम्राट युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के परामर्श के बाद अपना दूत हस्तिनापुर भेजा है. 

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महाभारत धारावाहिक में अब तक के एपिसोड में आपने देखा, भगवान श्री कृष्ण ने द्रुपद से कहा कि क्रोध से नहीं पहले शांति प्रस्ताव हस्तिनापुर के सामने रखा जाएगा. अगर वो नहीं मानते हैं तो ही युद्ध का आहवान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि किसी ऐसे व्यक्ति को शांति प्रस्ताव लेकर हस्तिनापुर जाना चाहिए जो कि मधुर भाषा में वहां के राजा धृतराष्ट्र को समझा सके.

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सम्राट युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के परामर्श के बाद अपना दूत हस्तिनापुर भेजा है. इस बात को सुनकर पितामह भीष्म ने कहा कि मैं जो नहीं चाहता था वो ही हुआ. अब युद्ध होगा ही अनिवार्य है.

श्री कृष्ण से डरा शकुनि

भगवान श्री कृष्ण के परामर्श पर युधिष्ठिर ने राजा द्रुपद के राज पुरोहित को दूत बनाकर हस्तिनापुर भेजा है. जिसकी खबर सुनकर दुर्योधन का खून खौल उठा है. इसके बाद शकुनि ने दुर्योधन से कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है पहले उनकी रणनीति दो देख लो क्या है.

इसके अलावा शकुनि ने कहा कि मैं पांडवों को हमेशा के लिए अज्ञात वास में भेज सकता हूं लेकिन इस सबके बीच सिर्फ एक ही आदमी खड़ा है वो है वासुदेव श्री कृष्ण, जब तक वो पांडवों के साथ है तब तक उनका कुछ बिगाड़ पाना मुश्किल ही है.

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गांधारी ने धृतराष्ट्र से कहा पांडवों को राज्य लौटा दीजिए

धृतराष्ट्र और गांधारी आपस में बात कर रहे हैं. इस दौरान गांधारी ने धृतराष्ट्र से कहा कि हमारा पुत्र दुर्योधन जो कर रहा है वो गलत है. ये राज सिंहासन युधिष्ठिर का है क्योंकि वो दुर्योधन से बड़ा है और दुर्योधन, जो कर रहा है हस्तिनापुर में जो होने वाला है वो बहुत गलत है.

हस्तिनापुर की राज्यसभा में पांडवों का संदेशा लेकर राजा द्रुपद के राज पुरोहित पहुंचे हैं. इस दौरान उन्होंने युधिष्ठिर का संदेशा सुनाया है. हस्तिनापुर पहुंचे युधिष्ठिर के शांति दूत का संदेशा सुनकर अहंकारी दुर्योधन सभा में ही उस पर चीख पड़ा. शांति दूत ने धृतराष्ट्र से कहा कि युधिष्ठिर ने अपना इंद्रप्रस्थ का राज मुकुट वापस मांगा है. जिसके बाद धृतराष्ट्र ने कहा कि मुझे इंद्रप्रस्थ लौटाने के लिए सोचने का समय मांगा है.

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