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CBI विवाद : आलोक वर्मा से जुड़े वो विवाद जिसने छीन ली उनकी कुर्सी

CBI विवाद के मुख्य किरदारों का पूरा लेखा-जोखा

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कुंजी
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सीबीआई विवाद मामले में एक और नया मोड़ आ गया है. अभी 24 घंटे पहले ही फिर से पदभार संभालने वाले सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को हटा दिया गया है. इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को डायरेक्टर पद पर बहाल कर दिया था. उनके अधिकार वापस लेने और छुट्टी पर भेजने के केंद्र के फैसले को रद्द कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि वर्मा के खिलाफ अब कोई भी फैसला सीबीआई डायरेक्टर का चयन और नियुक्ति करने वाली सेलेक्शन कमिटी ही करेगी.

आइए समझते हैं कि CBI के भीतर दो टॉप अफसरों के बीच की ये जंग कब शुरू हुई और इसके मुख्य किरदार कौन हैं?

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कौन हैं राकेश अस्थाना?

राकेश अस्थाना (57) गुजरात काडर के 1984 बैच के आईपीएस अफसर हैं. फिलहाल, वह सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर की पोस्ट पर हैं.

सीबीआई में डायरेक्टर के बाद अस्थाना की हैसियत नंबर दो की है. फरवरी 2017 में आलोक वर्मा के सीबीआई डायरेक्टर पद पर नियुक्त होने से पहले कुछ महीनों तक अस्थाना ने बतौर कार्यवाहक डायरेक्टर सीबीआई की कमान संभाली थी. अस्थाना को मोदी सरकार का करीबी माना जाता है. 
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राकेश अस्थाना 
इंफोग्राफ: रोहित मोर्य 

अस्थाना के खिलाफ क्या है केस?

बीते 15 अक्टूबर को राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने एक एफआईआर दर्ज की. अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने मीट एक्सपोर्टर और हवाला ऑपरेटर मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में की जांच में सतीश बाबू सना से घूस ली.

अस्थाना को इस घूसकांड का मुख्य आरोपी बनाया गया है.

अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने मनोज प्रसाद नाम के एक बिचौलिए और उसके भाई सोमेश प्रसाद के जरिए घूस ली. सीबीआई की एंटी-करप्शन यूनिट ने 16 अक्टूबर को मनोज को दुबई से दिल्ली लौटने के बाद गिरफ्तार किया था.

सीबीआई की अंदरूनी कलह

सीबीआई के भीतर वर्चस्व की जंग आलोक वर्मा के डायरेक्टर बनते ही शुरू हो गई थी. आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच नंबर वन और नंबर टू होने की ये लड़ाई एक-दूसरे के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाने तक पहुंच गई.

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कौन हैं आलोक वर्मा?

आलोक वर्मा (61) सीबीआई के डायरेक्टर हैं. उन्होंने 1 फरवरी 2017 को सीबीआई की कमान संभाली थी. 1979 बैच के आईपीएस अफसर AGMUT काडर से हैं. वह सीबीआई की कमान संभालने से पहले दिल्ली के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं.

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आलोक वर्मा
इंफोग्राफ: रोहित मोर्य 

वर्मा बनाम अस्थाना

सीबीआई द्वारा अस्थाना पर आरोप लगने के बाद उन्होंने सरकार से आलोक वर्मा के खिलाफ शिकायत की. अस्थाना ने सीबीआई डायरेक्टर पर जांच में दखल देने और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया.

सितंबर 2018 में मोईन कुरैशी केस को लेकर अस्थाना और वर्मा के बीच की लड़ाई बढ़ गई.

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सतीश बाबू सना कौन है?

सना हैदराबाद का कारोबारी है, जिसकी शिकायत पर अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. आंध्र प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में काम करने वाला सतीश बाबू नौकरी छोड़कर हैदराबाद चला आया, जहां उसने कई कंपनियां बनाईं.

वह रासमा एस्टेट एलएलपी, गोल्डकोस्ट प्रोपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड, मैट्रिक्स न्यूट्रल रिसोर्स प्राइवेट लिमिटेड और ईस्ट गोदावरी ब्रेवरीज प्राइवेट लिमिटेड में डायरेक्टर है. मीट कारोबारी मोईन कुरैशी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई में चल रहे मामलों में सतीश बाबू गवाह है.

सना ने अस्थाना पर लगाए ये आरोप

सतीश बाबू सना ने अस्थाना पर बिचौलिए मनोज प्रसाद के जरिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया है. गौर करने वाली बात ये है कि अस्थाना की अगुवाई वाली टीम ने ही सना के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया था. सना ने कई बार देश से भागने की कोशिश की, लेकिन सीबीआई की सख्ती की वजह से वह कामयाब नहीं हो सका.

दर्ज कराए गए बयान में सना ने साफ किया है कि उसकी अस्थाना से कभी कोई मुलाकात नहीं हुई थी. ऐसे में सीबीआई की जांच के लिए ये एक अहम पहलू है.

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कौन है देवेंद्र कुमार?

सीबीआई में डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार को एजेंसी ने सोमवार को अस्थाना पर लगे घूस लेने के आरोप के मामले में गिरफ्तार किया. देवेंद्र कुमार मोइन कुरैशी के खिलाफ जांच करने वाली अस्थाना की अगुवाई वाली टीम में जांच अधिकारी थे. सीबीआई का दावा है कि देवेंद्र कुमार ने सना का फर्जी बयान तैयार किया, जिसने केस में राहत के लिए घूस देने का आरोप लगाया था.

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कौन हैं मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद?

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मनोज प्रसाद पर आरोप है की उसने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की तरफ से रिश्वत ली थी.
(फोटो: फेसबुक)

सना ने एफआईआर में अस्थाना के अलावा तीन और लोगों का नाम लिया है, जिनमें सीबीआई डीएसपी देवेंद्र कुमार, मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद का नाम शामिल है. सना के मुताबिक, उसने मनोज और सोमेश के जरिए ही अस्थाना को घूस दी थी.

मनोज प्रसाद बिजनेसमैन और इन्वेस्टमेंट बैंकर है. उसकी दुबई में क्यू कैपिटल नाम की कंपनी है.

मनोज प्रसाद से सना की मुलाकात दुबई में हुई थी. सना ने प्रसाद को सीबीआई से समन मिलने के बारे में बताया था. मनोज प्रसाद ने सना को आश्वस्त किया था कि वह सीबीआई से क्लीनचिट दिलाने में उसकी मदद करेगा. मनोज ने उसे बताया था कि वह क्लीनचिट दिलाने में अपने भाई सोमेश की मदद लेगा, जिसके सीबीआई में लिंक हैं.

सना, मनोज और सोमेश ने मुलाकात के बाद इस मुद्दे पर बातचीत की थी. सना ने लिखित शिकायत में कहा है:

सोमेश प्रसाद ने मेरी मौजूदगी में एक सीबीआई अफसर को कॉल किया, इस दौरान मनोज भी मौजूद था. सोमेश ने उन्हें मेरे मामले के बारे में विस्तार से बताया. कथित सीबीआई अफसर से फोन पर बातचीत के बाद उसने मुझे आश्वस्त किया कि समस्या हल हो जाएगी और भविष्य में सीबीआई की ओर से कोई नोटिस नहीं आएगा. इसके बाद सोमेश ने मुझसे कहा कि मुझे उसके जरिए सीबीआई अफसर को 5 करोड़ रुपये देने होंगे. इसके बाद सोमेश ने कहा कि तीन करोड़ रुपये एडवांस में देने होंगे और बाकी का 2 करोड़ केस की चार्जशीट फाइल होने के समय देना होगा. सोमेश ने कहा कि इस पैसे के बदले सीबीआई अफसर मुझे क्लीनचिट दिलाएगा.  

जब सना ने सीबीआई अफसर के बारे में पूछा तो सोमेश ने कथित तौर पर उस सीबीआई अफसर के नाम का खुलासा भी किया.

सोमेश ने मेरे सामने जिस सीबीआई अफसर से फोन पर बात की थी, उसकी पहचान बताने के लिए उसने वॉट्सऐप पर सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की प्रोफाइल पिक्चर दिखाई.

सना के मुताबिक, उसने दुबई स्थित दफ्तर में मनोज को 1 करोड़ रुपये दिए. इसके बाद दूसरी किश्त में 13 दिसंबर 2017 को 1.95 करोड़ रुपये मनोज के ससुर सुनीत मित्तल को दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की पार्किंग में दिए.

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कौन है सामंत गोयल?

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रॉ के स्पेशल डायरेक्टर सामंत गोयल का नाम एफआईआर में आरोपी के तौर पर नहीं है.
फोटो: indianbureaucracy.com

एफआईआर में सामंत गोयल का भी जिक्र है. वे भारत सरकार के खुफिया विभाग- रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, यानी रॉ में स्पेशल डायरेक्टर हैं. अस्थाना की तरह वे भी पंजाब कैडर से 1984 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं. एफआईआर में कहा गया है कि सोमेश गोयल के संपर्क में था.

सीबीआई ने दावा किया है कि गोयल ने सोमेश के साथ राकेश अस्थाना समेत अन्य सीबीआई अधिकारियों की मीटिंग करवाई थी. एजेंसी ने ये भी दावा किया है कि जांच के दौरान उन्हें गोयल और सोमेश के बीच हुए कुछ वॉट्सऐप मैसेज के बारे में भी पता चला है. ये मैसेज अस्थाना के खिलाफ रिश्वत मामले से सम्बंधित हैं.

एफआईआर में गोयल का नाम आरोपी के तौर पर नहीं है.

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कौन है मोईन कुरैशी?

मोइन अख्तर कुरैशी कानपुर का अरबपति मीट कारोबारी है. देहरादून के दून स्कूल और दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से पढ़ाई खत्म करने के बाद कुरैशी ने रामपुर, उत्तर प्रदेश में एक छोटे से बूचड़खाने से कारोबार की शुरुआत की और देखते ही देखते देश का सबसे बड़ा मीट कारोबारी बन गया. मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में प्रवर्तन निदेशालय ने उसे गिरफ्तार किया था.

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मोईन कुरैशी को मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था.
(फोटो: ANI)

कुरैशी देश-विदेश में दो दर्जन से ज्यादा कंपनियों का मालिक है, जिसमें कंस्ट्रक्शन और फैशन कंपनियां भी शामिल हैं. कुरैशी की प्रमुख कंपनी है एएमक्यू एग्रो जो मांस एक्सपोर्ट करती है. कुरैशी का दिल्ली के छतरपुर में एक शानदार फार्महाउस है, जिसे जर्मनी के जाने माने आर्किटेक्ट जीन लुई ने डिजाइन किया था.

दर्ज हैं कई मामले

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने साल 2015 में कुरैशी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की एफआईआर दर्ज की थी. इसके अलावा ब्लैकमनी, टैक्स चोरी, विदेशों में अघोषित संपत्ति, मनी-लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के अन्य मामलों में भी इनकम टैक्स विभाग और सीबीआई कुरैशी के खिलाफ जांच कर रहे हैं. 15 फरवरी 2014 को मोइन कुरैशी के पंद्रह ठिकानों पर इनकम टैक्स की रेड पड़ी थी.

सियासी गलियारों के अलावा जांच एजेंसियों में भी कुरैशी की गहरी पैठ है. राकेश अस्थाना से पहले सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर रंजीत सिन्हा और एपी सिंह भी कुरैशी से रिश्तों के चलते विवाद में फंस चुके हैं.

अक्टूबर 2016 में कुरैशी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इमिग्रेशन के अफसरों को झांसा देकर दुबई फरार हो गया था. हालांकि अपने खिलाफ चल रहे मामलों की जांच में शामिल होने के लिए कुरैशी नवंबर 2017 में भारत लौट आया.

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