कोरोना के कहर से त्राहिमाम करती दुनिया को जिस खबर का इंतजार था, वो आखिर आ ही गई. खबर है ऑक्सफोर्ड से...खबर है कि इंसानों पर कोरोना वैक्सीन पर ट्रायल के फेज वन के नतीजे आ गए हैं जो काफी उत्साहवर्धक हैं. वैक्सीन का नाम है ChAdOx1 nCoV-19. इसे आप कोरोना से जंग में एक ब्रेकथ्रू कह सकते हैं. सबसे अच्छी बात ये है कि ये वैक्सीन अपने देश भारत में भी बन रही है.
क्या हैं प्रयोग के नतीजे?
वैक्सीन इंसानों में प्रतिरोध क्षमता बढ़ा रही है और कोई खास साइड इफेक्ट भी नहीं है. सिर्फ सिरदर्द और बुखार जो आम पैरासीटामोल से ठीक हो सकता है. माने इसे सुरक्षित भी माना जा रहा है. लांसेट में ट्रायल के नतीजे छपे हैं. अभी कुल 1077 लोगों पर प्रयोग किया गया है. और 90% लोगों में वैक्सीन की सिर्फ एक डोज से प्रतिरोध क्षमता बढ़ती दिखी है. बाकी के 10% में दो डोज के बाद प्रतिरोध क्षमता बढ़ी.
कैसे बनी वैक्सीन
ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों ने चिंपैंजी से एक वायरस लेकर उसमें जेनेटिक बदलाव किए हैं. उसमें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन की जानकारी डाली. मतलब कि वैक्सीन कोरोनावायरस की नकल करने लगती है और इसके शरीर में जाने हमारा प्रतिरोधी तंत्र कोरोना वायरस पर हमला करना सीख लेता है.
अब आगे क्या?
वैक्सीन एंडीबॉडी बनाने में 28 दिन ले रही है. वैज्ञानिकों को अभी नहीं पता कि ये शरीर में कितने दिन टिकते हैं इसलिए अब और ज्यादा लोगों पर प्रयोग किए जा रहे हैं. हो सकता है कि चैलेंज ट्रायल हों जिसमें जिन लोगों को वैक्सीन दी जाएगी उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित कराया जाएगा. ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर एंड्रूयू पोलार्ड का कहना है कि वो ट्रायल के नतीजों से काफी खुश हैं. लेकिन और प्रयोग की जरूरत है ताकि पूरा पक्का किया जा सके कि ये कोरोना को हराने में कामयाब है. साथ ही ये देखना होगा कि ये अलग-अलग उम्र के लोगों पर कैसी प्रतिक्रया करती है? ये सब जानने के लिए ब्रिटेन में ही 10,000 लोगों पर ट्रायल जारी है. अमेरिका में भी 30,000, साउथ कोरिया में 2000 और ब्राजील में 5000 लोगों पर प्रयोग किए जाएंगे. ओके सर्टिफिकेट मिलते ही वैक्सीन बड़ी मात्रा में उपलब्ध हो पाए इसके लिए ऑक्सफोर्ड के साथ काम कर रही कंपनी astrazeneca दुनिया भर में उसका उत्पादन कर रही है.
तो कब मिलेगी वैक्सीन
हो सकता है कि इसी साल. लेकिन ये बहुत ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंच पाएगी. पहले डॉक्टरों, नर्सों को दी जाएगी क्योंकि इस वक्त उन्हें ज्यादा खतरा है. अगले साल के शुरू में ये आम आदमी तक पहुंच सकती है. ब्रिटेन ने तो अभी से 10 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दे दिया है. भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर ये वैक्सीन बनाने में जुटा है
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