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EWS आरक्षण क्या है, क्या EWS आरक्षण संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है?

EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, 10 फीसदी आरक्षण बरकरार

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कुंजी
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सुप्रीम कोर्ट सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज अपना फैसला सुनाया.  

  • क्या संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है EWS आरक्षण?

  • क्या सिर्फ जाति के आधार पर भारत में आरक्षण है?

  • आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी EWS यानी इकनॉमिकली वीकर सेक्शन क्या होता है?

  • EWS कोटे में कौन आते हैं?

ऐसे ही सवालों को और बातों को आसान भाषा में समझाने के लिए हम लेकर आए हैं.. नया वीडियो Quint Explainer- आसान भाषा में.

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क्यों हम EWS पर चर्चा कर रहे हैं?

जवाब- EWS कोटे का मामला सुप्रीम कोर्ट में है और सवाल उठ रहा है कि क्या EWS आरक्षण संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है?

क्या सिर्फ जाति के आधार पर भारत में आरक्षण है?

जवाब है नहीं. जनवरी 2019 में केंद्र सरकार ने लोकसभा में गरीब अगड़ों यानी कि जेनरल कैटेगरी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरी से लेकर शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने वाला संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था. जिसके बाद 14 जनवरी 2019 से ये आरक्षण लागू है. जबकि आरक्षण को दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों का सशक्तीकरण कर उन्हें सामाजिक प्रतिष्ठा दिलाने वाला एक ‘टूल’ माना जाता रहा है.

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आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी इकनॉमिकली वीकर सेक्शन में कौन लोग आते हैं?

जवाब- आपको पहले ही हमने बताया कि जेनरल कैटगरी के गरीब लोग.

  • जो एससी, एसटी, ओबीसी नहीं है

  • जिनकी सालाना आमदनी 8 लाख से कम है

  • गांव है तो जिसके पास 5 एकड़ से कम खेती की जमीन है या 1000 वर्ग फुट का मकान है

  • जिस परिवार के पास अधिसूचित निगम में 100 वर्ग गज या गैर-अधिसूचित निगम में 200 वर्गगज प्लॉट का प्लॉट है.

क्यों EWS को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में है?

जवाब- सुप्रीम कोर्ट में EWS कोटे पर तीन सवालों के जवाब ढूंढे जा रहे हैं.

  • क्या 103वें संविधान संशोधन से आर्थिक आधार पर आरक्षण देना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?

  • क्या 103वें संविधान संशोधन से निजी स्कूल/कॉलेज में आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?

  • क्या OBC, SC, ST को EWS आरक्षण से बाहर रखना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?

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103वां संशोधन क्या है?

जवाब- जब संविधान में दिए किसी कानून में बदलाव होता है, नई बात जोड़ी जाती है या फिर पूरा का पूरा नया मसौदा ही तैयार कर कानून बनाया जाता है तो उसे संविधान संशोधन कहते हैं. ये काम संसद करती है. 103वें संशोधन से संविधान में आर्टिकल 15(6) और 16(6) को शामिल किया, जिससे EWS को 10 प्रतिशत तक आरक्षण मिलने लगा.

अब एक एक करके सवालों पर आते हैं.

क्या 103वें संविधान संशोधन से आर्थिक आधार पर आरक्षण देना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?

दलील ये है कि आरक्षण का आधार सामाजिक भी है, लिहाजा सामाजिक रूप से दलित-पिछड़ों को ही आरक्षण मिलना चाहिए.

दूसरा सवाल ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अपर लिमिट 50% किया था, इस संशोधन के बाद ये 60% हो जाता है. चूंकि 50% को कोर्ट ने संविधान के मूल ढांचे में शामिल कर दिया था, तो 60% तक लिमिट बढ़ने से इस ढांचे का उल्लंघन होता है.

क्या 103वें संविधान संशोधन से निजी स्कूल/कॉलेज में आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?

इसे लेकर एक तर्क ये है कि प्राइवेट संस्था पर सरकार अपनी मनमानी क्यों थोप रही है

एक सवाल उठता है कि जब आपने कोर्ट द्वारा तय 50% सीमा को बढ़ा ही दिया तो जो जातियां अपनी आबादी के आधार पर आरक्षण मांग रही हैं, उन्हें किस दलील के तहत मना करेंगे.

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