पंजाब में आम आदमी पार्टी (Punjab AAP) की सरकार और राज्यपाल के बीच विशेष सत्र (Punjab Special Session) बुलाये जाने को लेकर तलवारें खिंची थीं. लेकिन सवाल ये है कि भगवंत मान की सरकार पंजाब में विश्वासमत क्यों लाना चाहती थी? राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने पहले इजाजत देकर फिर विशेष सत्र बुलाने की अनुमति वापस क्यों ली थी? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब क्विंट एक्सप्लेनर में हम आपको दे रहे हैं.
पंजाबः कभी हां, कभी ना के बीच विश्वासमत प्रस्ताव पेश-विधानसभा में क्या-क्या हुआ?
1. AAP का पंजाब में विश्वासमत लाने के पीछे का मकसद क्या है?
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बाद पंजाब में भी बीजेपी पर ‘ऑपरेशन लोटस’ चलाने का आरोप लगाया था. आम आमदी पार्टी का दावा था कि विधायकों को करोड़ों रुपये देकर तोड़ने की कोशिश की गई, इसीलिए भगवंत मान की सरकार पंजाब में विश्वासमत साबित करने के लिए विशेष सत्र लाना चाहती थी. विश्वासमत प्रस्ताव पेश करते वक्त भगवंत मान ने कहा कि,
हमारे विधायक बिक्री के लिए बाजार में उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए हमने विश्वासमत पेश किया है.
Expand2. विश्वासमत प्रस्ताव पेश करते वक्त सीएम मान ने क्या कहा?
विश्वासमत प्रस्ताव पेश करते वक्त मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि, विधानसभा सत्र कैंसिल होने को लेकर मैंने विपक्ष के नेताओं को सदन में बड़े गौरव से बात करते हुए सुना, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि, बीजेपी हर जगह अपनी सरकार ही क्यों चाहती है. हम सिर्फ ये दिखाना चाहते हैं कि लोगों को हम पर भरोसा है. हमें विश्वासमत इसलिए भी लाना है क्योंकि बीजेपी ने उसे खरीदना शुरू कर दिया है.
Expand3. विश्वासमत प्रस्ताव पर विपक्ष ने क्या कहा ?
मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा विधानसभा में लाए गए विश्वासमत प्रस्ताव को नेता प्रतिपक्ष प्रताप बाजवा ने गैरकानूनी करार दिया. इसके अलावा बीजेपी विधायक भी सदन से वॉकआउट कर गए.
Expand4. पंजाब सरकार ने पहले कब बुलाया था विशेष सत्र?
पंजाब सरकार ने 22 सितंबर को विशेष सत्र बुलाया था. जिसकी इजाजत पहले राज्यपाल ने दे दी थी लेकिन बाद में कैंसिल कर दी.
Expand5. राज्यपाल ने विशेष सत्र की इजाजत वापस क्यों ली थी?
राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने विशेष सत्र की इजाजत देकर वापिस लेने को लेकर बयान जारी कर कहा कि, नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की ओर से रिप्रजेंटेशन मिला था जिसमें कहा गया था कि इस तरह से विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा के स्पेशल सेशन को बुलाए जाने का कोई प्रावधान नियमों में नहीं है.
इसके बाद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन से कानूनी सलाह ली गई. जिसमें यह पाया गया कि इस तरह का कोई प्रावधान विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर नहीं है. इसलिए मैं विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर दिए गए अपने आदेश वापस लेता हूं.
Expand6. विशेष सत्र कैंसिल होने पर आप ने क्या कहा था?
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट किया था कि, राज्यपाल द्वारा विधानसभा ना चलने देना देश के लोकतंत्र पर बड़े सवाल पैदा करता है...अब लोकतंत्र को करोड़ों लोगों द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि चलाएंगे या केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया हुआ एक व्यक्ति...एक तरफ भीमराव जी का संविधान और दूसरी तरफ ऑपरेशन लोटस...जनता सब देख रही है.
इसके अलावा अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट किया था कि, राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं? फिर तो जनतंत्र खत्म है. दो दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाज़त दी. जब ऑपरेशन लोटस फ़ेल होने लगा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फ़ोन आया कि इजाज़त वापिस ले लो, आज देश में एक तरफ़ संविधान है और दूसरी तरफ़ ऑपरेशन लोटस.
Expand7. विशेष सत्र की इजाजत वापस होने के बाद AAP ने क्या किया?
आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार ने फिर कैबिनेट की बैठक कर 27 सितंबर को विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया. इसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दी. इसके अलावा पार्टी के विधायकों ने चंडीगढ़ में विरोध मार्च भी निकाला. जिसमें लोकतंत्र की हत्या बंद करो और पैसा तंत्र मुर्दाबाद जैसी तख्तियां लेकर आप विधायक पहुंचे थे. इसके अलावा मान सरकार की कैबिनेट ने बैठक की ओर दोबारा सत्र बुलाने की इजाजत मांगी. इस बार राज्यपाल ने उन्हें इजाजत दे दी.
Expand8. पंजाब में AAP के पास कितने नंबर?
पंजाब आम आदमी पार्टी की सरकार है और उनके पास 117 सीटों वाली विधानसभा में 92 विधायक हैं. पंजाब में कांग्रेस के 18 विधायक हैं, शिरोमणि अकाली दल के पास 3, बीजेपी के पास 2, बीएसपी के पास 1 और 1 निर्दलीय विधायक है.
Expand9. 27 सितंबर को पंजाब विधानसभा में क्या हुआ?
27 सितंबर को पंजाब विधानसभा में सीएम भगवंत मान ने 2 मिनट के मौन के बाद विश्वासमत प्रस्ताव पेश किया. जिसके बाद विधानसभा में हंगामा हुआ बीजेपी के विधायक वॉकआउट कर गए और कांग्रेस विधायकों को स्पीकर ने बाहर करवा दिया. क्योंकि वो लगातार वेल में आकर हंगामा कर रहे थे. इस विश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा स्कपीकर ने 3 अक्टूबर को वोटिंग कराने का फैसला किया है.
Expand10. विधानसभा सत्र को लेकर राज्यपाल के अधिकार क्या हैं?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 से 162 तक राज्यपाल की भूमिका का वर्णन किया गया है. जिसके अंतर्गत राज्यपाल के पास राज्य की विधानसभा की बैठक को किसी भी आपात स्थिति में बुलाने और किसी भी समय स्थगित करने का अधिकार होता है. साथ ही उसे दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाने का भी अधिकार है. राज्यपाल को राज्य विधानसभा में पारित किये जाने वाले किसी भी विधेयक को रद्द करने, समीक्षा के लिये वापस भेजने और राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार है. इसका मतलब है कि राज्य विधानसभा में कोई भी विधेयक राज्यपाल की अनुमति के बिना पारित नहीं किया जा सकता. राज्य में आपातकाल के दौरान किसी भी प्रकार का अध्यादेश जारी करने का कार्य भी राज्यपाल का ही होता है.
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AAP का पंजाब में विश्वासमत लाने के पीछे का मकसद क्या है?
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बाद पंजाब में भी बीजेपी पर ‘ऑपरेशन लोटस’ चलाने का आरोप लगाया था. आम आमदी पार्टी का दावा था कि विधायकों को करोड़ों रुपये देकर तोड़ने की कोशिश की गई, इसीलिए भगवंत मान की सरकार पंजाब में विश्वासमत साबित करने के लिए विशेष सत्र लाना चाहती थी. विश्वासमत प्रस्ताव पेश करते वक्त भगवंत मान ने कहा कि,
हमारे विधायक बिक्री के लिए बाजार में उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए हमने विश्वासमत पेश किया है.
विश्वासमत प्रस्ताव पेश करते वक्त सीएम मान ने क्या कहा?
विश्वासमत प्रस्ताव पेश करते वक्त मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि, विधानसभा सत्र कैंसिल होने को लेकर मैंने विपक्ष के नेताओं को सदन में बड़े गौरव से बात करते हुए सुना, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि, बीजेपी हर जगह अपनी सरकार ही क्यों चाहती है. हम सिर्फ ये दिखाना चाहते हैं कि लोगों को हम पर भरोसा है. हमें विश्वासमत इसलिए भी लाना है क्योंकि बीजेपी ने उसे खरीदना शुरू कर दिया है.
विश्वासमत प्रस्ताव पर विपक्ष ने क्या कहा ?
मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा विधानसभा में लाए गए विश्वासमत प्रस्ताव को नेता प्रतिपक्ष प्रताप बाजवा ने गैरकानूनी करार दिया. इसके अलावा बीजेपी विधायक भी सदन से वॉकआउट कर गए.
पंजाब सरकार ने पहले कब बुलाया था विशेष सत्र?
पंजाब सरकार ने 22 सितंबर को विशेष सत्र बुलाया था. जिसकी इजाजत पहले राज्यपाल ने दे दी थी लेकिन बाद में कैंसिल कर दी.
राज्यपाल ने विशेष सत्र की इजाजत वापस क्यों ली थी?
राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने विशेष सत्र की इजाजत देकर वापिस लेने को लेकर बयान जारी कर कहा कि, नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की ओर से रिप्रजेंटेशन मिला था जिसमें कहा गया था कि इस तरह से विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा के स्पेशल सेशन को बुलाए जाने का कोई प्रावधान नियमों में नहीं है.
इसके बाद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन से कानूनी सलाह ली गई. जिसमें यह पाया गया कि इस तरह का कोई प्रावधान विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर नहीं है. इसलिए मैं विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर दिए गए अपने आदेश वापस लेता हूं.
विशेष सत्र कैंसिल होने पर आप ने क्या कहा था?
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट किया था कि, राज्यपाल द्वारा विधानसभा ना चलने देना देश के लोकतंत्र पर बड़े सवाल पैदा करता है...अब लोकतंत्र को करोड़ों लोगों द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि चलाएंगे या केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया हुआ एक व्यक्ति...एक तरफ भीमराव जी का संविधान और दूसरी तरफ ऑपरेशन लोटस...जनता सब देख रही है.
इसके अलावा अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट किया था कि, राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं? फिर तो जनतंत्र खत्म है. दो दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाज़त दी. जब ऑपरेशन लोटस फ़ेल होने लगा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फ़ोन आया कि इजाज़त वापिस ले लो, आज देश में एक तरफ़ संविधान है और दूसरी तरफ़ ऑपरेशन लोटस.
विशेष सत्र की इजाजत वापस होने के बाद AAP ने क्या किया?
आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार ने फिर कैबिनेट की बैठक कर 27 सितंबर को विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया. इसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दी. इसके अलावा पार्टी के विधायकों ने चंडीगढ़ में विरोध मार्च भी निकाला. जिसमें लोकतंत्र की हत्या बंद करो और पैसा तंत्र मुर्दाबाद जैसी तख्तियां लेकर आप विधायक पहुंचे थे. इसके अलावा मान सरकार की कैबिनेट ने बैठक की ओर दोबारा सत्र बुलाने की इजाजत मांगी. इस बार राज्यपाल ने उन्हें इजाजत दे दी.
पंजाब में AAP के पास कितने नंबर?
पंजाब आम आदमी पार्टी की सरकार है और उनके पास 117 सीटों वाली विधानसभा में 92 विधायक हैं. पंजाब में कांग्रेस के 18 विधायक हैं, शिरोमणि अकाली दल के पास 3, बीजेपी के पास 2, बीएसपी के पास 1 और 1 निर्दलीय विधायक है.
27 सितंबर को पंजाब विधानसभा में क्या हुआ?
27 सितंबर को पंजाब विधानसभा में सीएम भगवंत मान ने 2 मिनट के मौन के बाद विश्वासमत प्रस्ताव पेश किया. जिसके बाद विधानसभा में हंगामा हुआ बीजेपी के विधायक वॉकआउट कर गए और कांग्रेस विधायकों को स्पीकर ने बाहर करवा दिया. क्योंकि वो लगातार वेल में आकर हंगामा कर रहे थे. इस विश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा स्कपीकर ने 3 अक्टूबर को वोटिंग कराने का फैसला किया है.
विधानसभा सत्र को लेकर राज्यपाल के अधिकार क्या हैं?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 से 162 तक राज्यपाल की भूमिका का वर्णन किया गया है. जिसके अंतर्गत राज्यपाल के पास राज्य की विधानसभा की बैठक को किसी भी आपात स्थिति में बुलाने और किसी भी समय स्थगित करने का अधिकार होता है. साथ ही उसे दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाने का भी अधिकार है. राज्यपाल को राज्य विधानसभा में पारित किये जाने वाले किसी भी विधेयक को रद्द करने, समीक्षा के लिये वापस भेजने और राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार है. इसका मतलब है कि राज्य विधानसभा में कोई भी विधेयक राज्यपाल की अनुमति के बिना पारित नहीं किया जा सकता. राज्य में आपातकाल के दौरान किसी भी प्रकार का अध्यादेश जारी करने का कार्य भी राज्यपाल का ही होता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)