गुरुवार, 3 मार्च को कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने स्टेट लेवेल सेलेक्शन टेस्ट (SLST) में कथित तौर पर हुई धांधली को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दे दिया. SLST के माध्यम से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती होती है.
पिछले दिनों पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (WBBSE) के तहत सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी स्कूलों में ग्रुप सी और ग्रुप डी कर्मचारियों की भर्ती में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था, जिसके काफी दिनों बाद कोर्ट का आदेश आया है.
WB टीचर्स रिक्रूटमेंट स्कैम- HC ने दिया CBI जांच का आदेश, क्या है पूरा मामला?
1. भर्ती प्रक्रिया में कैसे आरोप लगाए गए हैं?
स्टेट लेवेल सेलेक्शन टेस्ट के माध्यम से पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 2014 में नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इसके बाद 2016 में भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी.
भर्ती प्रक्रिया में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कम अंक हासिल करने वाले कई परीक्षार्थियों को मेरिट लिस्ट हाई रैंक दी गई.
यह आरोप भी लगाया गया कि कुछ ऐसे लोगों को भी अप्वाइंटमेंट लेटर दिया गया जिनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं था.
इसके अलावा पश्चिम बंगाल सरकार ने 2016 के दौरान स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) को सरकारी स्कूलों के लिए 13 हजार ग्रुप-डी कर्मचारियों की भर्ती के लिए एक नोटिफिकेशन जारी की थी. इस मामले में आरोप लगाया गया कि 2019 में नियुक्तियां करने वाले पैनल की समय सीमा समाप्त हो गई थी, लेकिन कम से कम 25 व्यक्तियों को WBBSE (West Bengal Board Of Secondary Education) द्वारा नियुक्त किया गया था.
Expand2. कलकत्ता हाईकोर्ट ने क्या कहा?
ग्रुप सी और ग्रुप डी भर्ती मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है.
कोर्ट ने कहा,
रिकॉर्ड में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं और हम कोर्ट द्वारा गठित की गई समिति द्वारा चल रही जांच के बीच उस पर कोई टिप्पणी करने से बचते हैं.
कोर्ट ने यह भी कहा कि जो सबूत पेश किए गए हैं, उनमें न केवल पैनल के समय सीमा के समाप्ति ही नहीं बल्कि उम्मीदवारों की नियुक्तियों के तौर-तरीकों पर भी चिंता जताते हुए स्टैंड लिया गया है.
Expand3. एसएसी और WBBSE ने क्या कहा?
डिवीजन बेंच ने एसएससी और WBBSE से एफिटेविट्स मांगा है. हालांकि दोनो निकायों ने दो अलग-अलग बायन दिए हैं.
एसएससी ने अपने हलफनामे में दावा किया कि किसी भी कर्मचारी के लिए सिफारिश नहीं की गई थी, जबकि WBBSE ने कहा कि उसे डेटा मिला मिला था और नियमों के मुताबिक संबंधित नियुक्तियां की गई थी.
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि एसएससी पैनल की अवधि समाप्त होने के बाद 500 से अधिक लोगों को नियुक्त किया गया था, और वे अब राज्य सरकार से वेतन प्राप्त कर रहे हैं.
Expand4. राज्य सरकार कोर्ट के फैसले को देगी चुनौती.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ममता बनर्जी सरकार बेंच के समक्ष कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी.
दोनों मामलों में हाईकोर्ट की टिप्पणी स्कूली शिक्षा विभाग के लिए शर्मिंदगी की वजह बन चुकी है. अगर जांच में सरकार को दोषी पाया जाता है, तो कम से कम 10,000 लोगों की नौकरी जा सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक 2016 के बाद से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए कोई एग्जाम नहीं आयोजित किया गया है. पश्चिम बंगाल स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक मौजूदा वक्त में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 60,000 से अधिक पद खाली हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
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भर्ती प्रक्रिया में कैसे आरोप लगाए गए हैं?
स्टेट लेवेल सेलेक्शन टेस्ट के माध्यम से पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 2014 में नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इसके बाद 2016 में भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी.
भर्ती प्रक्रिया में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कम अंक हासिल करने वाले कई परीक्षार्थियों को मेरिट लिस्ट हाई रैंक दी गई.
यह आरोप भी लगाया गया कि कुछ ऐसे लोगों को भी अप्वाइंटमेंट लेटर दिया गया जिनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं था.
इसके अलावा पश्चिम बंगाल सरकार ने 2016 के दौरान स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) को सरकारी स्कूलों के लिए 13 हजार ग्रुप-डी कर्मचारियों की भर्ती के लिए एक नोटिफिकेशन जारी की थी. इस मामले में आरोप लगाया गया कि 2019 में नियुक्तियां करने वाले पैनल की समय सीमा समाप्त हो गई थी, लेकिन कम से कम 25 व्यक्तियों को WBBSE (West Bengal Board Of Secondary Education) द्वारा नियुक्त किया गया था.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने क्या कहा?
ग्रुप सी और ग्रुप डी भर्ती मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है.
कोर्ट ने कहा,
रिकॉर्ड में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं और हम कोर्ट द्वारा गठित की गई समिति द्वारा चल रही जांच के बीच उस पर कोई टिप्पणी करने से बचते हैं.
कोर्ट ने यह भी कहा कि जो सबूत पेश किए गए हैं, उनमें न केवल पैनल के समय सीमा के समाप्ति ही नहीं बल्कि उम्मीदवारों की नियुक्तियों के तौर-तरीकों पर भी चिंता जताते हुए स्टैंड लिया गया है.
एसएसी और WBBSE ने क्या कहा?
डिवीजन बेंच ने एसएससी और WBBSE से एफिटेविट्स मांगा है. हालांकि दोनो निकायों ने दो अलग-अलग बायन दिए हैं.
एसएससी ने अपने हलफनामे में दावा किया कि किसी भी कर्मचारी के लिए सिफारिश नहीं की गई थी, जबकि WBBSE ने कहा कि उसे डेटा मिला मिला था और नियमों के मुताबिक संबंधित नियुक्तियां की गई थी.
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि एसएससी पैनल की अवधि समाप्त होने के बाद 500 से अधिक लोगों को नियुक्त किया गया था, और वे अब राज्य सरकार से वेतन प्राप्त कर रहे हैं.
राज्य सरकार कोर्ट के फैसले को देगी चुनौती.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ममता बनर्जी सरकार बेंच के समक्ष कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी.
दोनों मामलों में हाईकोर्ट की टिप्पणी स्कूली शिक्षा विभाग के लिए शर्मिंदगी की वजह बन चुकी है. अगर जांच में सरकार को दोषी पाया जाता है, तो कम से कम 10,000 लोगों की नौकरी जा सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक 2016 के बाद से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए कोई एग्जाम नहीं आयोजित किया गया है. पश्चिम बंगाल स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक मौजूदा वक्त में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 60,000 से अधिक पद खाली हैं.
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