कर्नाटक(Karnataka) के उडुपी में 6 मुस्लिम लड़कियों को हिजाब(Hijab) में क्लास करने से रोके जाने के बाद से ही हिजाब(Hijab Row) का मुद्दा चर्चा में है. मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब बैन को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट का कहना है कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है.
हिजाब के बारे में मुस्लिम महिलाओं का मत है कि ये उनके लिए इस्लाम धर्म में अनिवार्य बताया गया है. क्विंट ने कुछ विशेषज्ञों से बात कर जानने की कोशिश की कि मुसलमानों की सबसे पवित्र धार्मिक किताब कुरान में हिजाब के बारे में क्या कहा गया है? हिजाब की शुरुआत कैसे हुई? और क्या सिर्फ बुर्का या नकाब ही हिजाब के तरीके हैं?
कर्नाटक में हिजाब का मुद्दा उठने के बाद ये सुप्रीम कोर्ट पहुंचा फिर कई अंतरराष्ट्रीय चेहरों के बयान आने के बाद ये मुद्दा इंटरनेशनल बन चुका है. यूएस एम्बेसडर फॉर रिलीजियस फ्रीडम, रशाद हुसैन, नोबेल पुरस्कार विजेता और महिला अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई और मैनचेस्टर यूनाइटेड के फ्रांसीसी फुटबॉलर पॉल पोग्बा ने हिजाब पर बयान दिए हैं.
कुरान में हिजाब के बारे में क्या है?
मुसलमानों की सबसे पवित्र धार्मिक किताब कुरान को इस्लाम धर्म में शरिया कानून का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है. हमने ये जानने की कोशिश की कि कुरान में हिजाब के बारे में क्या है और हिजाब शब्द का प्रयोग कुरान में किन अर्थों में हुआ है?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला इकाई की कन्वीनर और शरिया कमिटी हैदराबाद की अध्यक्ष डॉ. असमा ज़हरा कहती हैं कि “सातवीं सदी में मुस्लिम महिलाओं के लिए कुरान में ये ईश्वरीय आदेश आया कि सभी मुस्लिम महिलाओं को गैर-महरम मर्दों के सामने हिजाब का अनुसरण करना होगा.” (गैर-महरम: अपने सगे भाई, बाप, और परिवार के कुछ मर्दों के आलावा वो व्यक्ति जिनसे एक मुस्लिम महिला शादी कर सकती है को इस्लाम धर्म में गैर महरम माना जाता है)
“पूरे कुरान में कुल 7 जगह पर हिजाब शब्द आया है. अक्सर जगहों पर इसका इस्तेमाल ‘परदे’ के अर्थ में हुआ है, कुछ जगहों पर ये ‘छुपाने’ के अर्थों में भी आया है. कुरान के जिन अध्यायों में हिजाब शब्द आया है उनमें सुरह अहज़ाब, सुरह मरयम, सुरह शूरा, सुरह आराफ, सुरह इसरा, सुरह साद और सुरह फुस्सिलात हैं”डॉ. असमा ज़हरा (कन्वीनर, महिला इकाई, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)
हिजाब का मतलब क्या है?
'हिजाब' अरबी भाषा का शब्द है, शब्दकोश में इसका अर्थ रुकावट और दीवार बताया गया है. मुस्लिम महिलाओं के ज़रिए सार्वजनिक जगहों पर अपना चेहरा ढकने के लिए पहने जाने वाले परिधान को हिजाब कहते हैं. माना जाता है कि सातवीं सदी में इस्लाम धर्म ने हर मुस्लिम महिला के लिए हिजाब करने को अनिवार्य बना दिया था.
असमा ज़हरा बताती हैं कि “कुरान में हिजाब का आदेश के आने के बाद अपने रोज़ मर्रा के कपड़ों के साथ साथ मुस्लिम महिलाओं ने एक और कपड़ा पहनना शुरू किया. इसे कुरान में ‘जलबाब’ कहा गया था.” वो कहती हैं “कुरान में नबी मुहम्मद की बीवियों और मुस्लिम महिलाओं को जलबाब (सर के ऊपर से चेहरे को ढकने वाली एक चादर) के रूप में हिजाब करने को कहा गया था.” इसी आदेश को मुस्लिम समुदाय के लोग हिजाब की धार्मिक अनिवार्यता से जोड़ते हैं.
इंडिया इस्लामिक अकेडमी, देवबंद के निदेशक मुफ़्ती मेहंदी हसन ऐनी कासमी कहते हैं कि “इस्लाम धर्म में मुस्लिम महिलाओं को हिजाब का आदेश दिया गया है. जिसका अर्थ होता है छुपाना. कुरान में ये आदेश चरणबद्ध तरीके से आया. पहले कुरान में मुस्लिम महिलाओं और मर्दों के लिए अपनी निगाहें नीचे रखने का आदेश आया. इसे ही पर्दा और हिजाब की अनिवार्यता का पहला चरण कह सकते हैं.”
“छुपाने के अर्थ को कुरान में तीन आदेशों में स्पष्ट किया गया है. एक आदेश में कहा गया कि औरतें अपना चेहरा ढंके. दूसरे आदेश में कहा कि अपने ऊपर ऐसा कपड़ा डालें जो आपके चेहरे और बदन को ढांप ले. तीसरे आदेश में कहा कि चेहरे का छुपाना और बदन का ढांपना इसलिए है कि मुस्लिम महिलाओं की अलग पहचान बन सके और उन्हें कोई परेशान न करे. तब से ही पूर्वी और पश्चिमी दुनिया के सभी देशों में अक्सर मुस्लिम महिलाएं हिजाब अनुसरण करती नज़र आती हैं.”मुफ़्ती मेहंदी हसन ऐनी कासमी (निदेशक, इंडिया इस्लामिक अकैडमी, देवबंद)
भारतीय उपमहाद्वीप समेत दुनियाभर में मुस्लिम महिलाएं अलग अलग तरीकों से हिजाब का अनुसरण करती हैं. इनमें नकाब, बुर्का, अबाया, स्कार्फ शामिल है.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत कौसर फातिमा बताती हैं कि “कुरान में मुस्लिम महिलाओं को शालीन लिबास धारण करने का आदेश दिया गया था. अरब देशों में मुस्लिम महिलाओं ने जलबाब या लंबी चादर के रूप में हिजाब करना शुरू किया. जबकि अन्य देशों में वहां की महिलाओं ने अपने तरीके से हिजाब अपनाया और इस तरह नकाब, बुर्का, अबाया, स्कार्फ और हिजाब करने के अलग-अलग तरीके हैं. सभी स्वरूपों को कुरान और शरिया के अनुसार साबित किया जाता है, सभी तरीके मान्य हैं.”
''चेहरे को ढकना जरूरी नहीं''
“मेरे अनुसार चेहरे को ढकना इस्लाम में ज़रूरी नहीं है. इस्लाम ने औरत को एक चेहरा और उसकी पहचान दी है. इतिहास में हम कई ऐसी मुस्लिम महिलाओं को जानते हैं जो सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में सक्रिय थी. चेहरा ढकना है या नहीं ये एक मुस्लिम महिला की अपनी समझ और पसंद पर निर्भर करता है. किसी को भी ये अधिकार नहीं है कि वो उस महिला को बताए की क्या पहनना है और कैसे पहनना है.”कौसर फातिमा (असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय)
अलग अलग जगहों पर हिजाब करने के अपने तरीके हैं. भारतीय उपमहाद्वीप की मुस्लिम महिलाएं बुर्का और नकाब में ज़्यादा नज़र आती हैं. हमने जानने की कोशिश की कि यहाँ मुस्लिम महिलाओं ने हिजाब के रूप में बुर्का और नकाब को क्यों वरीयता दी?
मुफ़्ती ऐनी कासमी कहते हैं “जब हिंदुस्तान में इस्लाम आया और यहां के लोगों ने इस्लाम धर्म अपनाया तो शुरुआत में चादर लपेट कर अरबों के तरीके से ही मुस्लिम महिलाएं हिजाब करती थी. मुसलमानों के दूसरे खलीफा उमर बिन खत्ताब ने अपने समय में मुस्लिम महिलाओं को चादर पूरी तरह लपेट कर घरों से बाहर निकलने पर ज़ोर दिया. कुछ लोगों ने चादर को सिलकर इसे बुर्के का रूप दे दिया. धीरे-धीरे यही तरीका आम हो गया."
वो आगे बताते हैं कि “हिंदुस्तान में भी मुस्लिम महिलाओं ने बुर्के और नकाब को हिजाब का सबसे बेहतर तरीका समझ कर अपनाया. इसीलिए नकाब करना और बुर्का पहनना भारतीय उपमहाद्वीप की मुस्लिम महिलाओं में सबसे आम है. वे इसे एक धार्मिक अनिवार्यता के रूप में पहनती हैं और उनके लिए इसे छोड़ना एक असंभव बात है.”
हिजाब के रूप
कुरान के अनुसार हिजाब मुस्लिम महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थानों पर पहने जाने वाले कपड़ों के लिए बनाई गई एक प्रणाली है. लेकिन भारत समेत अन्य दक्षिण एशियाई देशों में हिजाब करने के लिए इस्तेमाल होने वाले परिधानों को अलग-अलग तरीके से पहना जाता है और इन्हें नाम भी अलग दिए गए हैं.
नकाब:
चेहरा छुपाने के लिए इस्तेमाल होने वाला अतिरिक्त कपड़ा.
बुर्का:
आम तौर पर बुर्का उसे कहा जाता है जिसमें काले रंग का लंबा गाउन और नकाब शामिल हैं. कुछ महिलाऐं नकाब के स्थान पर स्कार्फ या दुपट्टे का इस्तेमाल भी करती हैं.
अबाया:
अलग-अलग रंगों का लंबा ढीला गाउन जिसपर अलग-अलग रंगों के स्कार्फ पहने जाते हैं.
हेडस्कार्फ:
कई महिलाएं आम कपड़ों जैसे सूट-सलवार, जीन्स-शर्ट वगैरह के साथ ही सर पर स्कार्फ का इस्तेमाल करती हैं. ये मुस्लिम महिलाओं समेत अन्य धर्मों की महिलाओं में भी आम है.
हिजाब केस में अब तक क्या हुआ है?
भारत में हिजाब पर विवाद की शुरुआत दिसंबर 2021 में हुई, जब 6 मुस्लिम लड़कियों को कर्नाटक के उडुपी के एक गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्रिंसिपल ने हिजाब में क्लास करने से रोक दिया.
उन्होंने विरोध जताया लेकिन प्रिंसिपल अपने मत पर जमे रहे.
मुद्दे के मीडिया में आने के बाद इसी तरह के मामले कर्नाटक के दूसरे कॉलेजों में भी नज़र आए.
हिजाब पहनने वाली लड़कियों का विरोध करने वाले छात्र भगवा शॉल पहन कर आने लगे. इस तरह मामला काफी गंभीर हो गया.
31जनवरी को उडुपी की लड़कियों ने वकीलों और कुछ संगठनों की मदद से कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दी.
कर्नाटक हाई कोर्ट ने 10 फरवरी को कर्नाटक में स्कूल कॉलेज खोलने के आदेश दिए लेकिन मामले पर बेंच का अंतिम फैसला आने तक हिजाब पहनकर आने पर रोक लगा दी.
इस फैसले के खिलाफ एक पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में पहुंची. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा इसे ‘नेशनल मुद्दा’ नहीं बनाना चाहिए कर्नाटक हाई कोर्ट ही इस पर सुनवाई करेगा.
कर्नाटक हाई कोर्ट में लगातार सुनवाई जारी है. आखिरी बार 17 फरवरी को पांचवी सुनवाई हुई.
इस दौरान राजधानी दिल्ली समेत कई शहरों में हिजाबी लड़कियों के समर्थन में प्रदर्शन भी हुए.
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