Sleeping With Phone Charging By Your Side: मोबाइल फोन दुनिया में सबसे कॉमन और सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक गैजेट में गिना जाता है. यह एक ऐसी चीज जो लगभग सभी के पास पाई जाती है. मोबाइल फोन के बिना जागे रहना तो छोड़िए, आजकल फोन साइड में न हो तो लोग सोने तक नहीं जाते और यहीं से शुरू होती है मोबाइल फोन से जुड़ी बड़ी समस्या.
हाल ही में Apple ने iPhone उपयोगकर्ताओं को चार्ज करते समय अपने फोन के बगल में सोने के बारे में चेतावनी दी है.
क्या सोते समय मोबाइल फोन को बगल में चार्ज करना खतरनाक हो सकता है? इससे किस तरह के नुकसान हो सकते हैं? क्या है WHO का कहना? सोते समय कितना दूर होना चाहिए मोबाइल फोन? फोन चार्ज करते समय क्या सावधानियां बरतें? फिट हिंदी ने इन सवालों के जवाब जानें एक्सपर्ट्स से.
क्यों खतरनाक है सोते समय मोबाइल फोन को बगल में चार्ज करना?
Apple ने चार्जिंग मोबाइल फोन के बगल में सोने के संभावित खतरों के बारे में चेतावनी जारी की है, जिसमें आग, बिजली का झटका, चोट और संपत्ति के नुकसान का खतरा शामिल है. ओवरहीटिंग के बढ़ते जोखिम के कारण कंबल या तकिये के नीचे फोन चार्ज करने से भी सावधान किया गया है.
"अपने बिस्तर के बगल में फोन को चार्जिंग पर रखकर सोना आपके हेल्थ के लिए कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है, जो कि फोन की बैटरी के अधिक गर्म होने और रेडिएशन उत्सर्जनों (emmission) की वजह से होता है."डॉ. सोनल गुप्ता, डायरेक्टर एंड एचओडी– न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग
डॉ. के मदन गोपाल का कहना है कि फोन को चार्ज पर लगा कर उसके बगल में सोने से आपके हेल्थ पर कई नेगेटिव प्रभाव पड़ सकते हैं. जब आप फोन को चार्ज करते समय सोते हैं, तो फोन के चार्जर में उत्पन्न होने वाली इलेक्ट्रॉमैग्नेटिक रेडिएशन आपके शरीर के नजदीकी हिस्सों तक पहुंच सकती है. यह रेडिएशन आपके शरीर के सेल्स को प्रभावित कर सकती हैं और हेल्थ समस्याओं का कारण बन सकती हैं.
APPLE की एडवाइजरी में बताया गया है, iPhones चार्ज करते समय गर्मी पैदा करते हैं. जब यह गर्मी सीमित स्थानों के कारण प्रभावी ढंग से फैलने में असमर्थ होती है, तो इससे जलने या अधिक गंभीर मामलों में, आग लगने का खतरा पैदा हो जाता है. नतीजतन, अपने तकिए के नीचे चार्जिंग फोन रखना स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए जोखिम भरे व्यवहारों में से एक माना जाता है.
डॉ. मयंक अरोड़ा ने एडवाइजरी को सटीक बताते हुए कहा,
"पूरी रात या अपने बिस्तर पर फोन को चार्ज करने से ओवरहीटिंग होने और आग लगने का खतरा बढ़ जाता है, जो खतरनाक हो सकता है. इसकी वजह से तकिया, कंबल या आपके बिस्तर में आग पकड़ सकता है, जिसका आपको एहसास भी नहीं होगा और सोने वाले व्यक्ति और घर के दूसरे लोगों को गंभीर खतरा हो सकता है."डॉ. मयंक अरोड़ा, कंसलटेंट– इंटरनल मेडिसिन, मणिपाल हॉस्पिटल, गाजियाबाद
डॉ. आशु कुमार जैन के अनुसार, सोते समय अपने पास मोबाइल को चार्जिंग पर लगाकर छोड़ देने से, नींद की कमी के शिकार होने की आशंका बढ़ती है, इससे दिमाग की नर्व्स पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है. हर समय अपने पास फोन को रखने से तनाव और चिंता में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे मेंटल हेल्थ प्रभावित हो सकता है.
वहीं प्राइमस हॉस्पिटल में न्यूरोसर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. रवींद्र श्रीवास्तव ने वर्तमान वैज्ञानिक ज्ञान के अनुसार, फोन साइड में रखकर सोने का सीधा खतरनाक होने का कोई प्रमाण नहीं होने की बात कही. लेकिन उन्होंने सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करने से नींद की गुणवत्ता प्रभावित होने की बात से भी इनकार नहीं किया.
इससे हो सकते हैं कई नुकसान
"चार्जिंग फोन को लंबे समय तक अपने शरीर के करीब रखने से रेडिएशन एक्सपोजर बढ़ सकता है. ऐसी कई स्टडीज भी सामने आई हैं, जिनमें लंबे समय तक आरएफ (RF) तरंगों के संपर्क में रहने वाले लोगों में मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर (ग्लियोमा) और बिनाइन ब्रेन ट्यूमर्स (मेनिंजियोमा) की समस्याएं दिखायी दी हैं. इसीलिए इन तरंगों को ‘संभावित मानवीय कैंसरकारक’ माना जाता है."डॉ. सोनल गुप्ता, डायरेक्टर एंड एचओडी– न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग
यहां कुछ ऐसे कारण गिनाए जा रहे हैं, जो बताते हैं कि ऐसा करना रिस्की क्यों होता है:
ओवरहीटिंग और आग लगने का खतरा: जब भी फोन चार्जिंग पर होता है, तो वह हीट पैदा करता है. बिस्तर, कपड़े, तकिये या कंबल पर अगर फोन को चार्ज करते हुए रखा जाए तो इसकी वजह से आग भी लग सकती है.
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन: मोबाइल फोन्स जब सैल टावर्स और दूसरे डिवाइसों के साथ कम्युनिकेट करते हैं, तो उनसे रेडियोफ्रीक्वेंसी (आरएफ) रेडिएशन समेत इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन निकलती हैं. इस प्रकार की रेडिएशन के संपर्क में लंबे समय तक रहने से हेल्थ को काफी नुकसान पहुंचता है. फिलहाल इस बारे में लगातार शोध और चर्चाएं जारी हैं. कुछ स्टडीज से पता चला है कि लंबे समय तक आरएफ रेडिएशन के संपर्क में रहना कैंसर जैसी हेल्थ समस्याओं का कारण बन सकता है.
"फोन को चार्ज करते समय सोने के नुकसान में से कुछ शामिल हैं इंसोमनिया (नींद की कमी), डीएनए में परिवर्तन, मेंटल हेल्थ का नुकसान और ब्लड प्रेशर का बढ़ना."डॉ. के मदन गोपाल, सलाहकार- जन स्वास्थ्य प्रशासन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (NHSRC), MoHFW, GOI
नींद में खलल: सोते हुए फोन को नजदीक रखना, भले ही वह चार्जिंग पर नहीं हो, तो भी आपके नींद में खलल हो सकती है. बार-बार आने वाले नोटिफिकेशंस, एलर्ट्स और इनकमिंग कॉल्स, मैसेज या ऐप अपडेट्स की वजह से आप नींद से जगा सकते हैं या आपका स्लीप साइकिल बाधित कर सकता है, जिसके कारण नींद की क्वालिटी खराब होती है. इससे लौंग टर्म मेडिकल कंडीशन भी पैदा हो सकती हैं.
ब्लू लाइट एमिशन: जब फोन चार्ज हो रहा होता है, उसकी स्क्रीन बीच-बीच में आने वाले नोटिफिकेशंस वगैरह की वजह से चमकती है. स्क्रीन्स से निकलने वाली ब्लू लाइट आपकी नींद की लय को बिगाड़ सकती है और इस कारण आपके लिए सोना मुश्किल हो सकता है. यह ऐसी समस्या है जो खासतौर से फोन को अपने सोने की जगह के आसपास रखने वाले लोगों में देखा गया है.
"बहुत लंबे समय तक चार्ज होते मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन के आसपास रहने से दिमाग पर भी बुरा असर पड़ता है."डॉ. आशु कुमार जैन, हेड- पेन मेडिसिन एंड पैलियेटिव केयर, आर्टेमिस, गुड़गांव
डॉ. मयंक अरोड़ा इससे कॉग्निटिव फंक्शन बिगड़ने की बात कहते हैं. उनके अनुसार, कुछ स्टडीज में मोबाइल फोन के ज्यादा उपयोग और कॉग्निटिव फंक्शन में कमी के बीच संबंध देखा गया है. फोन को सिर के पास रखकर सोने से आप इन रेडिएशन के संपर्क में आ सकते हैं और हमारी बायोलॉजिकल क्लॉक और दिल की धड़कन सहित अनेक सेल्फ-रेगुलेटरी कार्यों में बाधा आ सकती है.
वहीं डॉ. रवींद्र श्रीवास्तव की राय दूसरों से थोड़ी अलग है. वो कहते हैं,
"फोन रेडिएशन के बारे में कई रिसर्च चल रहे हैं और यह एक विवादित विषय है. वैज्ञानिक समुदाय में इसके प्रभावों पर विचार विभिन्न हैं. कुछ रिसर्च इसे कैंसर और दूसरी हेल्थ समस्याओं से जोड़ने की बात कहते हैं जबकि कुछ रिसर्च इस तरह की बातों से इनकार करते हैं."डॉ. रवींद्र श्रीवास्तव, डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी, प्राइमस हॉस्पिटल
क्या है WHO का कहना?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (एफसीसी) सहित वैज्ञानिक संगठनों और रेगुलेटरी ऑथॉरिटीज ने मोबाइल फोन आरएफ रेडिएशन एक्सपोजर के लिए सुरक्षा गाइडलाइन्स बनाए हैं. इन गाइडलाइन्स का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फोन का रेडिएशन कस्टमर्स के लिए हेल्थ रिस्क पैदा न करे.
"नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक मोबाइल फोन सिर के बहुत करीब रखकर उपयोग में लाए जाते हैं, इसलिए फोन से निकलने वाला रेडिएशन ब्रेन ट्यूमर और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में ट्यूमर का कारण बन सकता है."डॉ. मयंक अरोड़ा, कंसलटेंट– इंटरनल मेडिसिन, मणिपाल हॉस्पिटल, गाजियाबाद
लोग निर्धारित सुरक्षा सुझावों के तहत हैंड्स-फ़्री डिवाइसेज का उपयोग कर और उपयोग में न होने पर अपने फोन को सुरक्षित दूरी पर रखकर जोखिमों को कम कर सकते हैं.
"WHO ने इसे कैंसर के लिए कारण मानने का प्रमाण नहीं माना है, लेकिन वे यह भी कहते हैं कि अधिक रिसर्च की आवश्यकता है ताकि यह सवाल पूरी तरह से समझा जा सके. दूसरी स्टडीज भी चल रही हैं, जो इस विषय में नई जानकारी प्राप्त करने का प्रयास कर रही हैं. यह विवादित विषय है और नए रिसर्चों से आए जानकारी में बदलाव हो सकता है.डॉ. रवींद्र श्रीवास्तव, डायरेक्टर- न्यूरोसर्जरी, प्राइमस हॉस्पिटल
सोते समय कितनी दूरी पर रखें मोबाइल फोन?
"रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी से बचने के लिए अपने फोन को बिस्तर से कम से कम तीन फीट की दूरी पर रखें या अपने बिस्तर से कम से कम एक हाथ की दूरी पर" ये कहना हैं डॉ. मयंक अरोड़ा का.
फोन चार्ज करते समय बरतें ये सावधानियां
"नेशनल फायर प्रोटेक्शन एसोसिएशन (एनएफपीए) के अनुसार, ओवरहीटिंग से बचने के लिए स्मार्टफोन को ऐसी जगह चार्ज किया जाना चाहिए, जहां हवा का बहाव बहुत अच्छा हो. सोफे, बिस्तर या तकिए के नीचे रखकर फोन को चार्ज करने पर आवश्यक हवा का बहाव नहीं मिल पाता है."डॉ. मयंक अरोड़ा, कंसलटेंट– इंटरनल मेडिसिन, मणिपाल हॉस्पिटल, गाजियाबाद के सुझाव
अपने हेल्थ और डिवाइस की सुरक्षा के लिए फोन चार्जिंग के समय आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. जोखिम को कम करने के लिए ध्यान दें इन उपायों पर:
सुरक्षित तरीके से चार्ज करें: अपने फोन को किसी ठोस, आग न पकड़ने वाली सतह पर रखकर, अपने बिस्तरे से दूर चार्ज करें ताकि दूसरे किसी वस्तु में आग न पकड़ पाए. चार्जिंग के दौरान फोन को ढकें नहीं ताकि हीट पैदा होने से बचा जा सके.
फोन का चार्जर ही इस्तेमाल करें: फोन के साथ मिला या खरीदा कंपनी वाला चार्जर ही प्रयोग करें. दूसरे चार्जर का प्रयोग फोन की बैटरी को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे समय के साथ बैटरी का पॉवर कम हो जाता है. इसके अलावा चार्जिंग के समय ध्यान रखें और बैटरी फुल होते ही चार्जर निकाल लें.
"वैसे विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि बैटरी को न तो पूरा खाली होने देना चाहिए और न ही हर बार फुल चार्ज करना चाहिए. 15 % से 85% तक की रेंज बैटरी की क्षमता को बनाए रखने के लिए सबसे सही मानी जाती है."डॉ. आशु कुमार जैन, हेड- पेन मेडिसिन एंड पैलियेटिव केयर, आर्टेमिस, गुड़गांव
दूरी रखें: आपको अपने फोन को बेडरूम में रखना जरूरी है, तो उसे अपने सोने वाली जगह से दूर रखें.
"ऐसा कर आप इलैक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन और नींद में खलल डालने वाले नोटिफिकेशंस से बच सकते हैं."डॉ. सोनल गुप्ता, डायरेक्टर एंड एचओडी– न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग
नाइट मोड: सोते समय अपने फोन पर ‘नाइट मोड’ या ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ मोड को ऑन रखें ताकि आपकी नींद में परेशानी न हो.
एयरप्लेन मोड: रेडिएशन कम करने के लिए मोबाइल फोन को एयरप्लेन मोड पर कर दें.
सोने से पहले स्क्रीन टाइम सीमित करें: अपना ब्लू लाइट एक्सपोजर कम रखने के लिए सोने जाने से कुछ देर पहले फोन या स्क्रीन का उपयोग करने से बचें.
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