World Blood Donor Day 2023: वॉलंटरी ब्लड डोनेशन एक परोपकारी कार्य है और हरेक को इसके लिए पहल करनी चाहिए. एक हेल्दी पुरुष हर तीन महीने बाद और महिला चार महीने बाद दोबारा रक्तदान कर सकती है. लेकिन कुछ लोग, कुछ खास समस्याओं की वजह से ब्लड या ब्लड कॉम्पोनेंट्स को दान करने की स्थिति में नहीं होते. यह स्थिति दो प्रकार की होती है– अस्थायी, जिसमें कुछ खास समय तक के लिए ब्लड या ब्लड कॉम्पोनेंट्स को दान नहीं किया जा सकता और दूसरी स्थायी जिसका मतलब है कि प्रभावित व्यक्ति कभी भी (आजीवन) ब्लड डोनेट नहीं कर सकता.
ब्लड डोनेट करने से पहले और बाद क्या सावधानी बरतें?
ब्लड डोनर्स को किस तरह से इसकी पहचान करनी चाहिए ताकि वे अपना कीमती समय बचाएं और रक्तदान के लिए ब्लड सेंटर पहुंचने पर खुद निराश होने से भी बचें. तो आइये, जानें कि कौन रक्तदान करने के लिए उपयुक्त नहीं होते.
सबसे पहले तो यह जान लें कि रक्तदान करने के इच्छुक हर व्यक्ति को सहज और सुकून में होना चाहिए और ब्लड डोनेट करने से पहले पूरा आराम करना चाहिए.
ब्लड डोनेट करने से पहले आपको पर्याप्त मात्रा में भोजन कर लेना चाहिए.
रक्तदान के बाद भी आराम करना बहुत महत्वपूर्ण होता है और साथ ही, ब्लड सेंटर द्वारा आपको दिया जाने वाला रिफ्रेशमेंट (हल्की-फुल्की खाद्य सामग्री/पेय) से इंकार न करें.
रक्तदान के बाद, आपको उन सभी सावधानियों का भी पूरी तरह से पालन करना चाहिए जो आपको बतायी जाएं. अगर जरा भी बेचैनी या परेशानी महसूस हो, तो तत्काल ब्लड सेंटर से संपर्क करें.
अस्थायी रूप से कौन ब्लड डोनेट नहीं कर सकता?
60 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति रक्तदान नहीं कर सकता अगर वो ऐसा पहली बार कर रहा होता है. लेकिन अगर उसने पहले भी रक्तदान किया हो, तो 65 वर्ष की उम्र तक रक्तदान किया जा सकता है.
रक्तदान करने वाले का हिमोग्लोबिन 12.5 g/dL से अधिक होना चाहिए.
जिस व्यक्ति का वजन 45 किलोग्राम से कम हो, उसे रक्तदान नहीं करना चाहिए और 50 किलोग्राम से कम वजन वाला व्यक्ति, एफेरेसिस टैक्नोलॉजी से ब्लड कंपानेंट्स का दान नहीं कर सकता.
कोई भी ऐसा व्यक्ति रक्तदान नहीं कर सकता जिसकी एक साल पहले बड़ी सर्जरी हुई हो और इसी तरह, छोटी-मोटी सर्जरी से गुजरने वाले किसी भी व्यक्ति को छह महीने तक ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए.
किसी भी प्रकार की दवाओं का सेवन करने वाले व्यक्ति को ब्लड डोनेशन या ब्लड कॉम्पोनेंट्स का दान करने से पहले ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन स्पेशलिस्ट से इस बारे में सलाह लेनी चाहिए क्योंकि कुछ दवाओं के साथ यह शर्त होती है कि उनका सेवन करने की अवधि में रक्तदान नहीं किया जाना चाहिए जबकि कुछ के साथ ऐसी शर्त नहीं होती.
मल्टीविटामिन और गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने वाले लोग रक्तदान/रक्त घटकों का दान कर सकते हैं.
वैक्सिनेशन के मामले में, 14 दिनों से 1 साल की अवधि तक, जो कि वैक्सीन के प्रकार पर निर्भर है, रक्तदान नहीं किया जा सकता. इसलिए किसी भी डोनर को अपनी टीकाकरण संबंधी जानकारी को छिपाना नहीं चाहिए.
सीजेरियन सेक्शन से गुजरी किसी भी महिला को एक साल तक ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए और सामान्य प्रसव के मामले में, छह माह तक रक्तदान से बचना चाहिए.
स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इस अवधि में रक्तदान नहीं करना चाहिए.
पीरियड्स के समय भी महिलाओं को ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए.
दवाओं या बिना दवाओं के सेवन के चलते कंट्रोल्ड ब्लड प्रेशर (110-140/60-90 mm) वाले लोग रक्तदान कर सकते हैं. लेकिन इससे अधिक या नीचे की रेंज वाले लोगों को ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए.
मलेरिया, डेंगी, टायफाइड के मरीजों को 3, 6 और 12 महीनों तक रक्तदान नहीं करना चाहिए.
कौन स्थायी रूप से रक्तदान नहीं कर सकता?
ऐसा कोई भी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार के हृदय रोग से पीड़ित हो, जिसकी हृदय रोग संबंधी सर्जरी हुई हो या हृदय रोगों की दवाओं का सेवन करता हो
अस्थमा का शिकार या अस्थमा की वजह से स्टेरॉयड्स का सेवन करने वाला
कैंसर सर्जरी से गुजरा कोई भी व्यक्ति
ऐसा व्यक्ति जिसे अतीत में कभी भी मिर्गी या दौरे पड़ने की समस्या रही हो
डायबिटीज से पीड़ित और इंसुलिन का सेवन करने वाला व्यक्ति
ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, किसी भी प्रकार की मैलिग्नेंसी या एलर्जी विकार से ग्रस्त
एंटीकॉग्यूलेंट्स, एंटीकॉन्वुल्सेंट्स, साइटोटॉक्सिक दवाओं का सेवन करने वाला व्यक्ति
ऑर्गन, स्टेम, सेल और टिश्यू ट्रांस्प्लांट करवा चुका कोई भी व्यक्ति
कौन रक्तदान नहीं कर सकता, इस श्रेणी में और भी कई लोग आते हैं और दूसरे कई कारण भी होते हैं, लेकिन यहां सामान्य परिस्थितियों की ही जानकारी दी गई है. डोनर के स्वास्थ्य तथा मरीज की देखभाल को ध्यान में रखकर ही यह फैसला किया जाता है.
इसलिए, अगर आपको रक्तदान करने से मना किया जाए, तो निराश न हों. डॉक्टर आपको किसी वजह से ही ऐसा करने से रोक रहे होते हैं.
(ये आर्टिकल शालीमार बाग, फोर्टिस हॉस्पिटल की ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की हेड डॉ. निपुण प्रिंजा ने फिट हिंदी के लिए लिखा है.)
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