बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने वाली अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स कोविड-19 के लिए रिकॉम्बिनेंट वैक्सीन 'कोवोवैक्स' बना रही है. अब कंपनी ने इस वैक्सीन के यूके में हुए फेज-3 ट्रायल के बाद एफिकेसी रेट 96.4% होने का दावा किया है. ये एफिकेसी रेट SARS-CoV-2 से पैदा होने वाली माइल्ड, मॉडरेड और सीवियर बीमारियों के लिए लागू होगा. ये वैक्सीन कोरोना के अफ्रीकी और यूके वेरियंट पर भी कारगर है और इसकी ओवरऑल एफिकेसी 89% होने का दावा किया जा रहा है. खास बात ये है कि भारत में कामकाज करने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का नोवावैक्स के साथ मैन्युफैक्चरिंग को लेकर करार है.
सितंबर में 'कोवोवैक्स' लॉन्च कर सकता है सीरम इंस्टीट्यूट
अदर पूनावाला ने ट्विटर पर लिखा है कि -
नोवावैक्स ने आखिरकार भारत में ट्रायल शुरू कर दिए हैं. वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट और नोवावैक्स के बीच 'कोवोवैक्स' नाम की वैक्सीन बनाने को लेकर करार है. इस वैक्सीन को कोरोना वायरस के अफ्रीकी और यूनाइडेट किंगडम पर भी आजमा कर देखा गया है और इसकी ओवरऑल एफिकेसी 89% आई है. उम्मीद है कि हम इसे सितंबर 2021 तक लॉन्च कर देंगे.अदर पूनावाला, सीरम इंस्टीट्यूट
भारत में सेफ्टी को लेकर होगी स्टडी
जनवरी में कंपनी ने बताया था कि अमेरिका में हुए ट्रायल के मुताबिक ये वैक्सीन कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए 89% तक कारगर है. अब कंपनी ब्रिजिंग स्टडी कराएगी जिसमें वैक्सीन की सेफ्टी और भारत के लोगों पर प्रभाव को जांचा जाएगा.
कोवोवैक्स कंपनी बता चुकी है कि कंपनी अफ्रीका में स्वस्थ लोगों और HIV पॉजिटिव 245 लोगों पर टेस्ट कर चुकी है. वैक्सीन की ओवरऑल एफिकेसी तब 48.6% दर्ज की गई. सिर्फ HIV पॉजिटिव वाले समूह पर एफिकेसी रेट 55% था. दोनों ट्रायल में NVX-CoV2373 ने कोरोना के खिलाफ 100% प्रोटेक्शन देने के नतीजे दिए हैं.
अब तक भारत में कोवैक्सीन और कोविशील्ड को ही मंजूरी
बता दें कि अभी तक भारत में जो वैक्सीनेशन हो रहा है उसमें सरकार ने दो ही कोरोना वायरस वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है. इसमें सीरम इंस्टीट्यूट की ऑक्सफोर्ट-एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर बनाई वैक्सीन कोविशील्ड को मंजूरी मिली है. वहीं भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन को भी सरकार ने मंजूरी दी हैं. भारत में लोगों को ये ही दो वैक्सीन लगाई जा रही हैं.
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