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ब्लड टेस्ट जो डिमेंशिया को शुरू होने से दस साल पहले ही प्रेडिक्ट कर सकता है

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में 55 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं.

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Dementia Prevention: यूके और चीन के रिसर्चरों के एक समूह के कारण, अब शायद एक साधारण ब्लड टेस्ट की मदद से डिमेंशिया का पता उसकी शुरुआत से सालों पहले संभव हो सकता है.

नेचर एजिंग नाम के जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, एक प्रोटीन प्रोफाइल ब्लड टेस्ट, डिमेंशिया का पता डाइग्नोसिस से दस साल पहले ही लगा सकता है.

यहां जानते हैं इस टेस्ट के बारे में.

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स्टडी की मुख्य बातें: यह स्टडी 2006 और 2010 के बीच चार वर्षों में आयोजित की गई थी और यू.के. के बायोबैंक रिसर्च भंडार से 52,645 ब्लड सैम्पल का उपयोग किया गया था जिनमें उस समय डिमेंशिया के कोई लक्षण नहीं थे.

बाद में इनमें से 1,417 लोगों में किसी न किसी प्रकार का डिमेंशिया जैसे कि अल्जाइमर, विकसित हो गया. रिसर्चर्स ने पाया कि इन सभी लोगों के ब्लड सैम्पलों में चार प्रकार के प्रोटीन का स्तर बढ़ा हुआ था.

यह कैसे काम करता है? GFAP, NEFL, GDF15 और LTBP2 प्रोटीन के ऊंचे स्तर वाले लोगों में अल्जाइमर, वैस्कुलर डिमेंशिया या डिमेंशिया विकसित होने की अधिक आशंका पाई गई.

उम्र, लिंग और जेनेटिक ससेप्टिबिलिटी जैसे दूसरे जोखिम कारकों के साथ व्यक्ति के प्रोटीन प्रोफाइल में बदलाव का एनालिसिस करते हुए, स्टडी के रिसर्चरों ने पाया कि डिमेंशिया का पता क्लिनिकल डायग्नोसिस से सालों पहले, 90% ऐक्युरसी के साथ करना संभव है.

यह क्यों जरूरी है? वर्तमान में, ब्रेन स्कैन की मदद से डिमेंशिया का पता शुरुआत से कुछ सालों पहले करना संभव है लेकिन ये महंगे होते हैं और इनकी पहुंच सीमित है.

दूसरी ओर, यह ब्लड टेस्ट डिजेनरेटिव कन्डिशन के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने के लिए एक सरल, अधिक सुलभ और कम महंगी डायग्नोस्टिक तकनीक प्रदान करता है.

इसके अलावा, चीन के शंघाई में फुडन यूनिवर्सिटी के स्टडी लेखक जियान-फेंग फेंग के अनुसार, ऐसे टेस्ट वृद्ध आबादी वाले देशों में विशेष रूप से सहायक साबित हो सकते हैं.

बड़ी बात : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर में 55 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, 2030 तक यह आंकड़ा 78 मिलियन तक पहुंचने वाला है.

आम तौर पर, जब तक डिमेंशिया के लक्षणों का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, जिससे इसे मैनेज करना मुश्किल हो जाता है लेकिन अगर डिजेनरेटिव कन्डिशन का पता सालों पहले चल जाए तो इसकी प्रगति को धीमा करना या कम से कम डैमेज को कम करने के लिए प्रभावी ढंग से तैयार होना संभव हो सकता है.

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