World Alzheimer's Day 2022: हर साल 21 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है. इस साल इसका थीम है, डिमेंशिया को जानें, अल्जाइमर को जानें.
60 साल की उम्र के बाद थोड़ी बहुत भूलने की बीमारी परेशानी का कारण नहीं होती. लेकिन अगर खाना क्या खाया, कहां गए थे, घर में कौन सा कमरा कहां है, कौन आया-कौन गया, आज तारीख क्या है, ये सब भूलने लगे तो बात चिंता की है.
अगर भूलने की समस्या इतनी बढ़ जाए कि रोजमर्रा की जिंदगी पर और जीवन जीने के तरीके पर असर पड़ने लगे, तब उस स्थिति को अल्जाइमर रोग बोलते हैं.
किसे कहते हैं अल्जाइमर रोग?
अल्जाइमर रोग, नर्वस सिस्टम संबंधी विकार है, जिसके कारण मस्तिष्क का कुछ हिस्सा सिकुड़ जाता है, इसमें मस्तिष्क की सेल्स में क्षति हो सकती है. अल्जाइमर रोग को डेमेंशिया के सबसे आम कारणों में से एक माना जाता है. इन दोनों ही स्थितियों में मरीज के सोचने, व्यवहार और सोशल स्किल में लगातार गिरावट आती रहती है. जिसके कारण जीवन के सामान्य कामकाज करने तक में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
"ब्रेन सेल्स (न्यूरॉन्स) के सामान्य फंक्शन प्रोटीन के असामान्य अक्क्यूमुलेशन से प्रभावित होती है. इससे 2 असामान्य स्ट्रक्चर्स बनते हैं, जिन्हें नर्व सेल्स के बाहर अमाइलॉइड प्लाक कहा जाता है और सेल्स के साथ एनएफटी (NFT). ये सेल्स के बीच सामान्य संचार को बाधित करते हैं."डॉ (एलटी जनरल) सी एस नारायणन, एचओडी- न्यूरोलॉजी, मणिपाल अस्पताल, नई दिल्ली
अल्जाइमर रोग के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
समय पर अल्जाइमर रोग के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर डॉक्टर से संपर्क कर लेने से, हालात को बिगड़ने से बहुत हद तक रोका जा सकता है. कुछ लक्षण जिन पर ध्यान देना चाहिए:
बात करते हुए शब्दों को भूल जाना या तुरंत बोली हुई बातों को भूल जाना
दिन और समय का अंदाजा नहीं रहना
लोगों को पहचानने में दिक्कत होना
रास्ते या जगह भूल जाना
व्यवहार में बदलाव - ज्यादा गुस्सा आना या चुप हो जाना
नींद ठीक से न आना
वित्त को संभालने में परेशानी
पहल की कमी
दैनिक दिनचर्या को पूरा करने में अधिक समय लेना
अल्जाइमर रोग होने के जोखिम कारक क्या हैं?
बढ़ती उम्र
जेनेटिक समस्या
एपीओई 4 जीनोटाइप
मोटापा
इंसुलिन प्रतिरोध
नसों की बीमारी
डिसलिपिडेमिया
हाइपरटेंशन
डाउन सिंड्रोम
मस्तिष्क की चोट
डिप्रेशन
अल्जाइमर को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?
अल्जाइमर को रोकने के लिए कोई सिद्ध तौर-तरीके नहीं हैं, लेकिन खास तौर पर एपिडेमियोलॉजी, सुझाव देता है कि हेल्दी लाइफस्टाइल रोग के विकास के जोखिम को कम कर सकता है. उनमें से कुछ ये हैं:
फिजिकल एक्टिविटी/एक्सरसाइज करना
कार्डियो रेस्पिरेटरी फिटनेस करना
पौष्टिक आहार लेना
विटामिन बी का सेवन करना
धूम्रपान और शराब की लत से बचना
वजन को कंट्रोल में रखना
कोलेस्ट्रॉल को मापते रहना
डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना
दिल की बीमारी हो, तो चेक उप कराते रहना
दिमाग को एक्टिव रखने वाली गतिविधियां करना, जैसे कि सुडोकू, पहेली सुलझाना, किताबें पढ़ना
अल्जाइमर रोग का इलाज क्या है?
डॉ (एलटी जनरल) सी एस नारायणन ने फिट हिंदी को बताया कि अल्जाइमर का इलाज मुख्य रूप से एसिटाइलकोलाइन और ग्लूटामेट जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के मॉड्यूलेशन पर निर्भर करता है. इनमें डोनेपेजिल, रिवास्टिग्माइन, गैलेंटामाइन और मेमनटाइन शामिल हैं.
इनमें से कुछ दवाएं त्वचा पर लगाने वाले आसान पैच में उपलब्ध हैं. रोग के बाद के स्टेजेज में डिप्रेशन, घबराहट, आक्रामकता, मतिभ्रम और नींद संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए साइकोट्रॉपिक दवाओं का उपयोग किया जाता है.
कुछ रोगियों को मिर्गी रोधी दवाएं भी देने की आवश्यकता हो सकती है.
कुछ स्टडीज में ये भी कहा गया है कि किसी-किसी व्यक्ति में कोविड होने के बाद अल्जाइमर रोग होने की आशंका बढ़ गयी है.
कुछ बातें जो परिवार के सदस्य ध्यान रखें
कुछ वक्त पहले फिट हिंदी के दूसरे लेख में डॉ.समीर पारिख ने बताया था कि ऐसे मरीजों के परिवार वालों को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए. ये हैं वो बातें:
सूर्य की रोशनी मरीज के कमरे में आए और कमरे के पर्दे पूरे दिन खुले रहें
कुछ देर रोज मरीज सूर्य की किरणों का आनंद उठाएं
मरीज व्यायाम नियम से करें
बड़ी दीवार-घड़ी हो कमरे में, जिससे उनका ध्यान समय पर जाता रहे
दिन और महीनों का ध्यान रखने के लिए कमरे में बड़े अक्षर वाला कैलेंडर रखें
उन्हें देश-दुनिया की खबरें सुनायें
उनसे चित्र बनवाएं और उनमें रंग भरवाएं
साथ में लूडो, सांप सीढ़ी या ताश खेलें
मरीज को पौधों की देखभाल करने दें
घर के पालतू जानवर के साथ समय गुजारने दें
पुराने शौक पूरे करने दें, जैसे फिल्म देखना, गाने सुनना
मरीज की शारीरिक गतिविधियों में उनके साथ रहें, ध्यान रहे गिरने से मरीज की स्थिति बिगड़ सकती है
पौष्टिक आहार खिलाएं और परिवार के लोग उनके खाने की मात्रा पर भी ध्यान दें
अल्जाइमर और डिमेंशिया में क्या अंतर है?
अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है, लेकिन किसी भी तरह से केवल एक ही नहीं है. अन्य सामान्य कारणों में वैस्कुलर डिमेंशिया, फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया और पीडी जैसी अन्य स्थितियों से जुड़े डिमेंशिया शामिल हैं.
इन स्थितियों में से हर एक दूसरे से कुछ अलग है, जो डॉक्टर को यह संकेत देते हैं कि वे किस प्रकार के डिमेंशिया से निपट रहे हैं.
वैस्कुलर डिमेंशिया दिमाग में ब्लड वेसल्स के रुकावट के कारण होता है, जो डिमेंशिया सहित विकलांगता के बढ़ते अक्क्यूमुलेशन के साथ बार-बार होने वाले छोटे और बड़े स्ट्रोक का कारण बन सकता है.
यह याद रखना चाहिए कि एक ही रोगी में एक से अधिक प्रकार के डिमेंशिया एक साथ हो सकते हैं.
केयर गिवर मरीज का कैसे रखें ख्याल?
"जैसा कि आप जानते हैं कि अल्जाइमर के मरीजों की याददाश्त समय के साथ काम होती जाती है, उनके लिए एक आम जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में उनके लिए एक नियमित जीवन शैली को निर्धारित करना बहुत जरूरी है, जिससे कि उन्हें एहसास होता रहे कि दिनभर में उन्हें क्या करना होता है. इस रूटीन में जितना कम बदलाव हो, उतना अच्छा है. अचानक से कोई भी बदलाव उनके लिए बाधा बन सकता है."डॉ रमनप्रीत कौर, कन्सल्टंट-साइकाइट्री, मणिपाल होस्पितल, पटियाला
उनकी गतिविधियों की योजना बनानी चाहिए.
कुछ मरीज सुबह में ज्यादा सक्रिय रहते हैं तो कुछ शाम में. ऐसे में उनकी सक्रियता के हिसाब से काम निर्धारित करना चाहिए.
उनकी मनपसंद एक्टिविटीज करनी चाहिए और सही तरीके से समझना चाहिए कि उन्हें क्या करना है.
केयर गिवर को मरीज से हमेशा आई कांटेक्ट बना के रखना चाहिए और हमेशा मुस्कुराते हुए उनसे बात करनी चाहिए.
एक बार में एक ही सवाल पूछने चाहिए ताकि मरीज बात समझ पाए.
कभी भी ऊंची आवाज में या गुस्से से बात नहीं करनी चाहिए.
मरीज को हमेशा ऐसा खाना देना चाहिए जो उन्हें चबाने में आसानी हो.
अल्जाइमर के मरीजों को ज्यादातर एक ही तरह के कपड़े पहनने में खुशी मिलती है.
इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी पसंद के अनुसार सब कुछ हो ताकि उन्हें दुःख न हो.
कुछ मरीजों को पालतू जानवरों से लगाव होता है. कोशिश करें कि वो उनके साथ समय गुजारें.
उनके आस- पास की जगह को सुरक्षित रखें. जैसे कि फर्श गीला न हो, कोनों में सुरक्षा टेप लगा दें ताकि उनको चोट न लगे, नोकीली वस्तुएं दूर रखें और सेफ्टी लॉक्स लगा के रखें.
केयरगिवर भी ऐसे मरीजों का ध्यान रखते-रखते थक जाते हैं. उन्हें सपोर्ट, आराम और प्यार देना परिवार की जिम्मेदारी है.
केयरगिवर कैसे रखें अपना ख्याल?
डॉ रमनप्रीत कौर का कहना है, "अल्जाइमर के बाद के चरणों में, मरीज अपने देखभाल करने वालों पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं. इसलिए यह केयरगिवर के लिए थोड़ा निराशाजनक हो सकता है. उन्हें बर्नआउट का अनुभव होने की सबसे अधिक आशंका होती है".
केयरगिवर को अपनी भावनाओं, अनुभवों के बारे में अपने करीबी दोस्त, रिश्तेदारों से बात करनी चाहिए
अपना ख्याल रखना चाहिए और कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए ताकि वे भ्रमित न हों
मरीज का ध्यान रखने के दौरान आराम करने के लिए बीच-बीच में छोटे-छोटे ब्रेक भी लेने चाहिए
व्यायाम करना चाहिए
योग करना चाहिए, इससे शांत और केंद्रित रहने में मदद मिलती है
चुनौतियों के बावजूद शांत रहना चाहिए और मरीज के प्रति सहानुभूति दिखानी चाहिए
यदि वे अभी भी अपनी भावनाओं से निपटने के लिए चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तो उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए
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