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थाईलैंड की अंधेरी गुफा से निकले बच्चे, क्या होगा सेहत पर असर?

गुफा से बाहर निकलने पर बच्चों की हेल्थ पर बड़े असर दिख सकते हैं 

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फर्ज करें कि अगर आपको किसी गहरी अंधेरी जगह में बंद कर दिया जाए, जहां खाने-पीने के लिए भी कुछ न हो. अंधेरा ऐसा कि आपको खुद अपने हाथ पैर तक नजर न आ रहे हों तो आप कैसा महसूस करेंगे?

जाहिर है ये बहुत मुश्किल है और आप शायद ऐसा सोचना भी नहीं चाहेंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि थाईलैंड की थेम लुआंग गुफा में तीन हफ्ते फंसे रहने के बाद निकाले जाने के बाद 12 बच्चे और उनके फुटबॉल कोच की सेहत पर क्या असर होगा. बच्चे और उनके कोच एक ट्रिप के दौरान गुफा देखने गए थे और बारिश हो जाने की वजह से इसमें इतना पानी भर गया था कि उनका वापस निकलना मुश्किल हो गया था.

गुफा में इतने समय तक फंसे रहने के बाद उनकी मानसिक हालत का अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल है.
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मानसिक सेहत पर असर

मैक्स हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉक्टर समीर मल्होत्रा का कहना है की इस तरह के हादसे के बाद मानसिक सेहत पर ये सब असर हो सकते हैं.

  • डिप्रेशन
  • पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसऑर्डर
  • एंजाइटी

इतने बड़े हादसे से बाहर निकलने के बाद इस तरह की परेशानी हो सकती है. हो सकता है जिस की वजह से बच्चे कुछ दिनों तक अकेले रहने में घबराएं. अचानक सहम जाएं या अपने आप में असहाय महसूस करें

पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसऑर्डर आमतौर पर किसी हादसे से गुजरने के बाद होता है. इसकी वजह से बच्चों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

  • बंद कमरे में रहने से घबराहट,
  • भीड़ में रहने से घबराहट,
  • ऊंचाई से या फ्लाइट में जाने से डर लगने लगता है
  • नींद से डर के उठ जाना, रात में सोते हुए अचानक से उठ जाना
  • बुरे सपने आना
  • अचानक पसीने से तरबतर हो जाना
हो सकता है फुटबाल की टीम को मुश्किल हालात का सामना करने के बारे में सिखाया जाता हो लेकिन यह घटना बिल्कुल आम नहीं है, कोई भी इस तरह की घटना के लिए तैयार नहीं रहता है.ऐसे में एंजाइटी, डिप्रेशन,पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसआर्डर होने की आशंका रहती है. 

क्या हादसे की वजह से वो भविष्य में इस तरह के एडवेंचर्स करने से कतराएंगे?

मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर समीर कहते हैं

ऐसा नहीं है कि वो भविष्य में इस तरह के एडवेंचर्सनहीं करेंगे लेकिन अक्सर ऐसे हालात में किसी चीज से डर जाने की वजह से लोग वो काम करने से कतराते हैं.

इन चीजों से कैसे बाहर निकलें?

ऐसे हालात से निकलने के बाद भी कुछ दिनों तक समय-समय पर उन्हें डॉक्टर की देेखभाल की जरूरत होगी. इस तरह की मेंटल कंडीशन से बाहर निकालने के लिए उन्हें इन सब की जरूरत होगी.

  • साइकोथेरेपी
  • दवाएं
  • पोस्ट ट्रॉमेटिक डी सेंसिटाइजेशन
  • सी. बी. टी थेरेपी
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शारीरिक सेहत पर इसका असर

गुफा से बाहर निकलने के बाद बच्चों को अभी तक अलग जगह रखा गया है. उनके मां-बाप को अभी तक उनसे मिलने नहीं दिया गया है.

अपोलो अस्पताल में बच्चों की डॉक्टर स्मिता मल्होत्रा कहती हैं

आंखों पर अचानक इतनी रोशनी पड़ने का असर हो सकता है. उन्हें दिखाई देने में कठिनाई का सामना करना पड़  सकता है. 
इतने दिनों तक गुफा में रहने के बाद उनमे पोषण की कमी हुई होगी, तो इनकी कुछ दिनों तक इम्युनिटी पर असर पड़ेगा.

लेकिन इसके अलावा उनके पूरी तरह चेकअप के बाद जो भी परेशानी पता चलेगी उसी के अनुसार उनका इलाज किया जाएगा.इतने दिनों तक खाने पीने पर असर पड़ने की वजह से बहुत तेजी से वेटलॉस भी हुआ होगा.

डिहाइड्रेशन होने की आशंका रहती है. ऐसे में इलेक्टोलाइट्स और सोडियम की कमी हो सकती है. डिहाइड्रेशन की वजह से लीवर और किडनी पर असर पड़ने लगता है.
डॉक्टर स्मिता मल्होत्रा, अपोलो हॉस्पिटल 
निमोनिया होने की गुंजाइश भी रहेगी. ऐसे वातावरण में सांस लेने की वजह से लंग इंफेक्शन तक होने की आशंका रहती है.

नॉर्मल सेहत पर लौटते-लौटते उन्हें कम से कम एक हफ्ता लगेगा.

इस मामले पर बीबीसी में छपे लेख में बताया गया है कि अंधेरी गुफा में बंद रहने की वजह से सेहत पर ये दिक्कतें आ सकती हैं.

  • फेफड़ों पर असर: गुफा के अन्दर हवा की गुणवत्ता खराब होने की वजह से फेफड़ों में सक्रंमण होने का खतरा रहता है.
  • त्वचा पर इसका असर: त्वचा की रंगत खत्म हो जाती है और चिपचिपे वातावरण की वजह से त्वचा में इंफेक्शन होने का खतरा रहता है.
  • पाचन तंत्र पर असर: खाने की कमी की वजह से कुपोषण होने का खतरा रहता है, खाना जल्दबाजी में खाने की वजह से दिल का दौरा पड़ने और ऑर्गन फेल होने का खतरा रहता है.

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