उत्तराखंड (Uttarakhand) में मानसून सीजन की दस्तक को देखते हुए फिट हिंदी ने चारधाम यात्रा कर रहे तीर्थयात्रियों के लिए ये FAQ दोबारा प्रकाशित किया है. मानसून की पहली ही बारिश में स्थिति भयावह होने लग गई है. मानसून सीजन के आते ही चारधाम यात्रा कर रहे तीर्थयात्रियों को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है.
देश में कोविड के बीच उत्तराखंड में चार धाम यात्रा (Chardham Yatra) शुरू हुई. 3 मई को अक्षय तृतीया के मौके पर गंगोत्री (Gangotri) और यमुनोत्री धाम (Yamunotri) के पट खुलने और 6 मई को केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) और 8 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारों धाम में श्रद्धालुओं का जमावड़ा शुरू हो गया है.
इसी बीच चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की मौत की खबरें लगातार सामने आ रहीं हैं. यह चारधाम यात्रा समुद्र तल से 9 हजार से लगभग 13 हजार फीट की ऊंचाई की यात्रा है. उंचाई पर ऑक्सीजन की कमी महसूस करने से कई तरह के गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ता है. खास कर उन्हें जो दिल की बीमारी, अस्थमा, हाई या लो बीपी, डायबिटीज, लो हीमोग्लोबिन जैसी अन्य समस्याओं से ग्रसित हैं.
फिट हिंदी ने चारधाम तीर्थयात्रा के स्वास्थ्य संबंधी, अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब जानने के लिए पटना के जीवक हार्ट हॉस्पिटल में चीफ कार्डियक सर्जन डॉ. अजित प्रधान, नारायण हॉस्पिटल में इंटर्नल मेडिसिन के डॉक्टर तुषार तायर और आईटीबीपी (ITBP) के 1Bn जोशीमठ में पोस्टेड डॉ ज्योति खांबरा से बातचीत की.
“श्रद्धालुओं की मौत के मामले में मेडिकल काउन्सिल ऑफ इंडिया को हस्तक्षेप करना चाहिए. ऐसी यात्रा में जाने से पहले सारे जरूरी हेल्थ टेस्ट कराने चाहिए और जो ऐसी यात्रा करने के लिए फिट हों, उन्हें मेडिकल बोर्ड द्वारा यात्रा की अनुमति मिलनी चाहिए. बिना अपने दिल के स्वास्थ्य का हाल जाने चारधाम यात्रा, जो काफी ऊंचाई पर है, के लिए जाना खतरनाक है. ये ऐसा है जैसे डॉक्टर की गैरमौजूदगी में किया जाने वाला टीएमटी (TMT). जिसके के परिणाम गंभीर हो सकते है."डॉ. अजित प्रधान, चीफ कार्डियक सर्जन, जीवक हार्ट हॉस्पिटल, पटना
क्या हैं तीर्थयात्रा पर जाने से पहले स्वास्थ्य संबंधी तैयारियां ?
कुछ महीने पहले से ही अपनी सेहत और फिटनेस पर विशेष ध्यान देना चाहिए
बेसिक मेडिकल टेस्ट के अलावा ईसीजी (ECG), टीएमटी (TMT) और हीमोग्लोबिन की जांच भी कराएं
केवल बुजुर्ग ही नहीं नौजवानों को भी सारे बेसिक टेस्ट करा के ही जाना चाहिए. कई बार ऐसा होता है कि हार्ट, डायबिटीज, रेस्प्रिटॉरी प्रॉब्लम या दूसरी समस्या के बारे में हें मालूम नहीं होता है और वहां पहुंच कर तबियत बिगड़ जाती है.
दिल की बीमारी होने पर तीर्थयात्रा में जाने से पहले कार्डियोलॉजिस्ट से मिलें. कितनी उंचाई तक जाना ठीक है मरीज के लिए ये वो बता सकते हैं.
दूसरी गंभीर बीमारी जैसे कि अस्थमा, हाई या लो बीपी, डायबिटीज के मरीज भी डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही तीर्थयात्रा के लिए जाएं.
"ये बहुत कठिन यात्रा है और जाने से कुछ महीने पहले से ही अपनी सेहत और फिटनेस पर विशेष ध्यान देना चाहिए. बुजुर्ग और व्यायाम नहीं करने वालों के लिए ये यात्रा समस्या पैदा कर सकती है. बेसिक मेडिकल टेस्ट के अलावा ईसीजी (ECG), टीएमटी (TMT) और हीमोग्लोबिन की जांच भी कराएं. लो हीमोग्लोबिन भी ऐसे में दिक्कत दे सकता है" ये कहना है डॉ तुषार तायर का.
तीर्थयात्रा पर अपने साथ क्या जरूर ले जाएं?
अपने डॉक्टर की सलाह पर फर्स्ट ऐड बॉक्स साथ में रखें. जिसमें रोजना लेने वाली दवा के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर लेने वाली दवाएं भी हों, जैसे कि दर्द निवारक, एंटीबायोटिक्स, एंटीसेप्टिक क्रीम, स्प्रेन के लिए स्प्रे, क्रेप बैंडिज, घुटनों के लिए नी केप, पेट दर्द, सर्दी और बुखार के लिए दवा.
अस्थमा के मरीज डॉक्टर द्वारा दी गयी दवा और इन्हेलर साथ में जरूर रखें
ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर बीपी नापने वाली मशीन साथ रखें
ऑक्सीजन नापने की मशीन साथ में रखें
चारधाम यात्रा में ऊनी स्वेटर, कैप, मफलर और कंबल जरूर रखें, खास कर अगर साथ में बच्चे या बुजुर्ग हों
एक अच्छा टॉर्च भी साथ जरूर रखें
पहाड़ों पर आसानी से चढ़ने के लिए आरामदायक जूते-चप्पल रखने चाहिए, नहीं तो हड्डियों से जुड़ी समस्या हो सकती है
पहाड़ में तुरंत बदलने वाले मौसम यानी बारिश से निपटने के लिए छतरी या बरसाती/ रेनकोट रखनी चाहिए. यात्रा के दौरान सर्दी-खांसी होना मुश्किल पैदा कर देगा
सनस्क्रीन 50 SPF का प्रयोग त्वचा को तेज धूप से बचाने के लिए करें
अल्ट्रावायलेट किरणों से आंखों को बचाने के लिए सन ग्लास का प्रयोग करें
“ऊंचाई (high altitude) पर जाने से दिल पर प्रेशर बढ़ता है और अगर दिल से जुड़ी कोई समस्या या बीमारी है, तो कार्डीऐक अरेस्ट के चान्सेस बढ़ जाते हैं. वैसे भी आजकल आजकल कोविड के कारण किसी-किसी व्यक्ति को कार्डियोमायोपैथी (cardiomyopathy) की समस्या हो रही है.”डॉ. अजित प्रधान, चीफ कार्डियक सर्जन, जीवक हार्ट हॉस्पिटल, पटना
यात्रा के दौरान इन चीजों का रखें ख्याल
कोविड गाइडलाइन्स का पालन करें
चारधाम की तीर्थयात्रा की शुरुआत में जरुरी है शरीर को वातावरण के अनुसार कम उंचाई पर अक्लाइमटाइज (Acclimatise) करने देने की. शुरुआती स्थल पर पहुंच कर कम से कम 1 दिन आराम करना चाहिए. पहले दिन से ही कठिन यात्रा शुरू न करें
अपने आपको ऊंचाई (high altitude) पर हाइड्रेटेड रखें. इससे सांस की समस्या कम होती है
तबियत थोड़ी भी खराब लगने पर यात्रा को रोक दें और नजदीकी डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें
पौष्टिक आहार थोड़ी-थोड़ी देर पर लें. ऐसे खाने से बचें जिन्हें खाने के बाद भारी महसूस हो
फ़्रूट्स, जूस, ओआरएस (ORS), ड्राई फ़्रूट्स, बिस्कुट, डार्क चोक्लेट्स, ग्लूकोज और टॉफियां साथ में रखें
सिर दर्द, चक्कर आना, घबराहट, दिल की धड़कनें तेज होना, उल्टी आना, हाथ-पांव व होठों का नीला पड़ना, थकान होना, सांस फूलना, लगातार खांसी आना या दूसरे लक्षण होने पर अपने साथ आए परिवार या दोस्तों की मदद से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचें
यात्रा के दौरान पानी पीते रहें और खाली पेट न रहें
लंबी पैदल यात्रा के दौरान बीच-बीच में विश्राम करते रहें
धूम्रपान व दूसरे मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करें
पूरी नींद लें
किसी भी हाल में अपनी दवा को खाना न भूलें, तबियत थोड़ी भी खराब लगने पर यात्रा को रोक दें और नजदीकी डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.डॉ तुषार तायर, सीनियर कंसल्टेंट, इंटर्नल मेडिसिन, नारायण हॉस्पिटल
“तीर्थयात्रा पर अक्सर लोग भूखे-प्यासे रह कर दर्शन करने के इच्छुक होते हैं और ऐसा करने पर उनकी सेहत बिगड़ जाती है. अगर आप किसी भी बीमारी के मरीज हैं, तो आपकी दवा आपको किसी भी हाल में लेनी चाहिए.”डॉ. अजित प्रधान, चीफ कार्डियक सर्जन, जीवक हार्ट हॉस्पिटल, पटना
लैंड स्लाइड होने पर क्या करें
पहाड़ी रास्तों पर लैंड स्लाइड कभी भी हो सकती है. जिसकी वजह से रास्ता घंटों बंद हो जाता है. ज्यादातर देखा गया है कि आसपास किसी भी तरह की सहायता का होना मुश्किल होता है. इसलिए ऐसी जगहों पर आने से पहले अपने आप को हमेशा इस परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार कर लें.
धैर्य बनाए रखना चाहिए.
खुद को और दूसरों को पैनिक नहीं होने देना चाहिए.
खाने-पीने की वस्तुओं को ज्यादा करके साथ में रखें
ध्यान हटाने के लिए एक-दूसरे से बातें करें या कोई गेम खेलें
“7 फरवरी 2021, में जब ग्लेशियर फटा था, तो उसमें 12 लोग फंस गए थे. लगभग 6-7 घंटे लग गए सभी को वहां से निकालने में. मैंने देखा उन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया था बल्कि एक दूसरे की हिम्मत बने हुए था. समस्या से ध्यान हटाने के लिए वे सभी एक-दूसरे के साथ अंताक्षरी खेलते रहे.”डॉ ज्योति खांबरा, AC/MO 1Bn जोशीमठ
तबियत थोड़ी भी खराब लगने पर यात्रा को रोक दें और नजदीकी डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.
बरसात के मौसम में चारधाम यात्रा पर इन बातों का रखें ख्याल
चारधाम यात्रा की योजना बनाते वक्त मौसम की जानकारी जरुर ले लें
लगातार हो रही बारिश के माहौल में अपने पड़ाव में ही रहें
साथ में पानी, खाना और जरुरी दवाइयां रखें
छाता और बरसाती का इस्तेमाल करें
बारिश में पहनने वाले जूतों का ही प्रयोग करें
तीर्थयात्रा में जल्दीबाजी न करें और मौसम खुलने पर ही यात्रा आगे बढ़ाएं
पहाड़ों पर यातायात के नियमों का अनिवार्य रूप से पालन करें
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