ICMR Guidelines On Indian Diet: आईसीएमआर ने बुधवार को भारतीयों के लिए रिवाइज्ड डाइट्री गाइडलाइन्स (डीजीआई) जारी किए, जिसमें आवश्यक पोषक तत्वों को पूरा करने और गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) को रोकने के लिए आवश्यक गाइडलाइंस दिए हैं.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन) ने बताया कि अधिक मात्रा में प्रोटीन का लंबे समय तक सेवन या हाई प्रोटीन कॉन्संट्रेट का सेवन बोन मिनरल लॉस और किडनी डैमेज जैसे संभावित खतरों से जुड़ा हुआ है.
क्या कहती है आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस? प्रोटीन सप्लीमेंट्स रिकमेंड नहीं करने की वजह क्या है? प्रोटीन सप्लीमेंट्स क्यों लेते हैं? प्रोटीन सप्लीमेंट का हेल्दी विकल्प क्या है? प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने पर किन चेतावनी संकेतों पर नजर रखनी चाहिए?
ICMR Guidelines: प्रोटीन सप्लीमेंट का हेल्दी विकल्प क्या है? एक्सपर्ट्स से जानें
1. क्या कहती है आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस?
हैदराबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन), जो आईसीएमआर का हिस्सा है, ने प्रोटीन सप्लीमेंट्स से बचने की सिफारिश की है. आईसीएमआर-एनआईएन की डायरेक्टर, डॉ. हेमलता आर के नेतृत्व में एक्सपर्ट्स की एक मल्टी-डिसिप्लाइनरी कमिटी द्वारा तैयार किए गए डाइटरी गाइडलाइन्स फॉर इंडियंस (DGI) में कई साइंटिफिक रिव्यूज किए गए और इसमें 17 गाइडलाइंस को शामिल किया.
प्रोटीन सप्लीमेंट्स से बचने की सिफारिश के साथ ही गाइडलाइन यह भी सिफारिश करता है कि नमक का सेवन रेस्ट्रिक्ट किया जाना चाहिए, चीनी और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के सेवन को भी कम किया जाए. साथ ही इंफोर्मेड और हेल्दी फूड चॉइसेस चुनने के लिए फूड पर मौजूद लेबल पर दी गई जानकारी पढ़ी जाए.
गाइडलाइंस के अनुसार, टोटल एनर्जी इंटके में चीनी 5% से कम होनी चाहिए और संतुलित आहार में अनाज और बाजरा से 45% से अधिक कैलोरी नहीं मिलनी चाहिए. और जोड़ते हुए, इसमें कहा गया कि दालों, बीन्स और मांस से प्राप्त कैलोरी में चीनी 15% होनी चाहिए.
गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि बाकी कैलोरी नट्स, सब्जियों, फलों और दूध से आनी चाहिए, जबकि कुल फैट का सेवन 30% एनर्जी से कम या उसके बराबर होना चाहिए.
दालों और मांस की सीमित उपलब्धता और उच्च लागत (high cost) का हवाला देते हुए, आईसीएमआर-एनआईएन ने कहा कि भारतीय आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अनाज पर बहुत अधिक निर्भर है, जिसके कारण आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंस का सेवन कम होता है.
आवश्यक पोषक तत्वों का कम सेवन मेटाबोलिज्म को बाधित कर सकता है और कम उम्र में इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) और संबंधित विकारों (related disorders) का खतरा बढ़ा सकता है.
सेंट्रल हेल्थ मॉनिटरिंग बॉडी के अनुसार, भारत में कुल बीमारी का लगभग 56.4% हिस्सा अनहेल्दी डाइट के कारण है.
गाइडलाइन में कहा गया है कि फिजिकल एक्टिविटी और हेल्दी डाइट की मदद से कोरोनरी हार्ट डिसीस (सीएचडी) और हाई ब्लड प्रेशर (एचटीएन) के मामलों को कम करने और टाइप 2 डायबिटीज को 80% तक रोकने में मदद मिल सकती है.
Expand2. प्रोटीन सप्लीमेंट्स क्यों लेते हैं?
प्रोटीन सप्लीमेंट अलग-अलग हालातों में लिया जा सकता है. इसका कॉमन इस्तेमाल उन लोगों में अधिक होता है, जो एक्सरसाइज करते है या जिम जाते हैं.
इस सवाल के जवाब पर डॉ. शुवनन रॉय बताते हैं कि लोगों में फिट दिखने की इच्छा इसके कुछ कारणों में से एक है.
"लोगों का मानना है कि प्रोटीन सप्लीमेंट लेने से उनकी मांसपेशियां बढ़ेंगी और वे शारीरिक रूप से अधिक ताकतवर और फिट बनेंगे."
डॉ. शुवनन रॉय, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, आनंदपुर, कोलकातावहीं फिट हिंदी से बात करते हुए डॉ. तुषार तायल इंसान की बॉडी में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा कितनी होनी चाहिए के बारे में विस्तार से बताते हैं.
"हमारे बॉडी में प्रोटीन की जरूरत शरीर के वजन के अनुसार हर किलोग्राम पर 0.8 ग्राम होती है. ऐसे समझें अगर किसी व्यक्ति का वजन 50 किलो है, तो 0.8 गुना 50 यानी दिन भर में 40 ग्राम प्रोटीन खाना है."
डॉ. तुषार तायलकई बार नार्मल डाइट से जरूरत अनुसार प्रोटीन शरीर तक नहीं पहुंच पाता, खास कर शाकाहारी लोगों में, जिस कारण प्रोटीन सप्लीमेंट लेना पड़ता है पर, ऐसा डॉक्टर की सलाह से ही किया जाना चाहिए.
डॉक्टर प्रोटीन सप्लीमेंट लेने की सलाह तब भी देते हैं, जब कोई बहुत अधिक बीमार हो या बुजुर्ग जिनमें मसल लॉस हुआ हो.
Expand3. प्रोटीन सप्लीमेंट्स रिकमेंड नहीं करने की वजह क्या है?
प्रोटीन सप्लीमेंट से कई रिस्क फैक्टर्स जुड़े होते हैं और ये तभी फायदेमंद हो सकते हैं, जब उन्हें सही मात्रा में लिया जाए लेकिन आजकल अधिकतर लोग अधिक मात्रा में इसका सेवन करते हैं, जिससे सभी उम्र के लोगों में ब्लोटिंग, कब्ज, दस्त, नौसिया और बेचैनी जैसे साइड इफेक्ट देखे जा रहे हैं.
"प्रोटीन सप्लीमेंट भारी नुकसान पहुंचा सकता है. किडनी डिसफंक्शन के हिस्ट्री वाले व्यक्ति जब प्रोटीन की खुराक लेते हैं, तो प्रोटीन टोक्सिन पदार्थों में बदल जाते हैं, जिससे नींद आना, अनकन्शियसनेस जैसे लक्षण सामने आते हैं और ये हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी का कारण भी बन जाता है."
डॉ. शुवनन रॉय, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, आनंदपुर, कोलकाताएक्सपर्ट आगे कहते हैं कि ये सिर्फ किडनी को ही नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि दिल और लिवर को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
"प्रोटीन पाउडर पौधों, दूध या अंडों से निकाला हुआ पाउडर होता है, जिसके अंदर प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है लेकिन इसके अंदर शुगर, आर्टिफिशियल फ़्लेवरिंग, थिकनर्स और कुछ हद तक विटामिन-मिनरल भी डाले जाते हैं."
डॉ. तुषार तायल, कंसलटेंट- इंटरनल मेडिसिन, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्रामडॉ. तुषार तायल फिट हिंदी को बताते हैं कि प्रोटीन पाउडर को एक तरह का डाइटरी सप्लीमेंट माना गया है न कि दवाई. जिस वजह से सरकार की गाइडलाइन में उसकी मात्रा को तय नहीं किया जा सकता कि कितना खाना है. ये रिकमेंडेशन सरकार ने कंपनी पर छोड़ दी है.
"प्रोटीन सप्लीमेंट में ऊपर से काफी अधिक मात्रा में शुगर और कैलोरीज डाली हो सकती हैं और इतना ही नहीं कभी-कभार कुछ प्रोटीन सप्लीमेंट में बिना लेबल के 20-22 ग्राम शुगर तक हो सकता है. जो आपके शरीर के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक हो सकता है."
डॉ. तुषार तायल, कंसलटेंट- इंटरनल मेडिसिन, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्रामप्रोटीन पाउडर में प्रोटीन की मात्रा एक स्कूप में 10-30 ग्राम होती है.
डॉ. तुषार तायल प्रोटीन सप्लीमेंट पर की गई कुछ रिसर्च का जिक्र करते हुए बताते हैं,
"कुछ रिसर्च में ये भी पता चला है कि कुछ प्रोटीन सप्लीमेंट में हैवी मेटल्स भी पाए गए हैं जैसे कि लेड, आर्सेनिक, मर्क्यूरी, पेस्टीसाइड और अलग-अलग कंटमीनेंट्स जिससे कैंसर या डायबिटीज होनेका रिस्क बढ़ जाता है."
डॉ. तुषार तायलExpand4. प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने पर किन चेतावनी संकेतों पर नजर रखनी चाहिए?
प्रोटीन सप्लीमेंट लेने से मितली, उल्टी, अधिक नींद, अत्यधिक पसीना और बेचैनी के लक्षण अनुभव होते हैं, तो इसे तुरंत बंद कर देना चाहिए.
प्रोटीन सप्लीमेंट का सेवन खूब पानी और शारीरिक व्यायाम के साथ करना चाहिए. लेकिन अधिक पानी कार्डियक डिकम्पेन्सेशन का कारण बन सकता है और दिल की स्थिति खराब कर सकता है.
"हालांकि प्रोटीन सप्लीमेंट का दिल की समस्या से कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन अगर इसे बहुत अधिक पानी के साथ लिया जाए तो इससे हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं."
डॉ. शुवनन रॉय, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, आनंदपुर, कोलकाताऐसा होने के कारण के बारे में बताते हुए डॉ. शुवनन रॉय कहते हैं कि अगर दिल पर्याप्त ब्लड पंप नहीं करता है और प्रोटीन की खुराक शरीर द्वारा अब्सॉर्ब नहीं होती है, तो यह शरीर के अंगों जैसे पैर, तलवे और पेट में फ्लूइड पदार्थ के रूप में जमा हो जाता है, जिससे सूजन हो जाती है और और दिल तेजी से काम करने लगता है और किडनी डिसफंक्शन का कारण भी बनता है.
"इसलिए प्रोटीन सप्लीमेंट केवल उन्हीं लोगों को लेना चाहिए जिन्हें हृदय, किडनी या लीवर डिसफंक्शन का हिस्ट्री नहीं है."
डॉ. शुवनन रॉय, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, आनंदपुर, कोलकाताडॉ. तुषार भी किडनी पर प्रोटीन सप्लीमेंट की अधिक मात्रा या लंबे समय से सेवन के बुरा प्रभाव की बात कहते हुए बताते हैं कि जो लोग जिम जाते हैं, unmeinउनमें में से कुछ को उनको उनके ट्रेनर 2 ग्राम/किलोग्राम बॉडी वेट के प्रोटीन खाने की सलाह दे देते हैं. इसका मतलब हुआ कि अगर किसी का वजह्न 60 किलो है, तो वो हर दिन 120 ग्राम प्रोटीन खाने लगता है. इतना ज्यादा प्रोटीन खाने से किडनी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा और अगर इसे रोका नहीं जाए तो किडनी फेल होने की आशंका भी बढ़ जाती है.
"डॉक्टर की सलाह से ही सप्लीमेंट शुरू करें और सप्लमेंट्स से कोई नुकसान तो नहीं हो रहा उसकी हर 6 महीने पर जांच करते रहें."
डॉ. तुषार तायल, कंसलटेंट- इंटरनल मेडिसिन, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्रामExpand5. प्रोटीन सप्लीमेंट का हेल्दी विकल्प क्या है?
"सबसे हेल्दी विकल्प है हेल्दी डाइट पर फोकस करना होगा, जिसमें उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट शामिल हो. अकेले या अधिक मात्रा में प्रोटीन सप्लीमेंट का सेवन खतरनाक हो सकता है. हेल्दी डाइट के लिए कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट भी उतना ही महत्वपूर्ण है."
डॉ. शुवनन रॉय, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, आनंदपुर, कोलकाताडॉ. तुषार तायल हेल्दी विकल्पों के बारे में बताते हुए ये कहते हैं, "नॉन-वेज फूड में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है पर शाकाहारी लोगों को विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है.
शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन के विकल्पों में शामिल हैं:
दालें
मिल्लेट्स
ड्राई फ्रूट्स
फ्लैक्स सीड्स
चिया सीड्स
पंपकिन सीड्स
हरी सब्जियां में पालक-बथुआ-मेथी
काबुली चना
राजमा
लोबिया
इनमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिससे दिनभर बिना किसी तरह के सप्लीमेंट लिए प्रोटीन की मात्रा को पूरा किया जा सकता है.
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क्या कहती है आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस?
हैदराबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन), जो आईसीएमआर का हिस्सा है, ने प्रोटीन सप्लीमेंट्स से बचने की सिफारिश की है. आईसीएमआर-एनआईएन की डायरेक्टर, डॉ. हेमलता आर के नेतृत्व में एक्सपर्ट्स की एक मल्टी-डिसिप्लाइनरी कमिटी द्वारा तैयार किए गए डाइटरी गाइडलाइन्स फॉर इंडियंस (DGI) में कई साइंटिफिक रिव्यूज किए गए और इसमें 17 गाइडलाइंस को शामिल किया.
प्रोटीन सप्लीमेंट्स से बचने की सिफारिश के साथ ही गाइडलाइन यह भी सिफारिश करता है कि नमक का सेवन रेस्ट्रिक्ट किया जाना चाहिए, चीनी और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के सेवन को भी कम किया जाए. साथ ही इंफोर्मेड और हेल्दी फूड चॉइसेस चुनने के लिए फूड पर मौजूद लेबल पर दी गई जानकारी पढ़ी जाए.
गाइडलाइंस के अनुसार, टोटल एनर्जी इंटके में चीनी 5% से कम होनी चाहिए और संतुलित आहार में अनाज और बाजरा से 45% से अधिक कैलोरी नहीं मिलनी चाहिए. और जोड़ते हुए, इसमें कहा गया कि दालों, बीन्स और मांस से प्राप्त कैलोरी में चीनी 15% होनी चाहिए.
गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि बाकी कैलोरी नट्स, सब्जियों, फलों और दूध से आनी चाहिए, जबकि कुल फैट का सेवन 30% एनर्जी से कम या उसके बराबर होना चाहिए.
दालों और मांस की सीमित उपलब्धता और उच्च लागत (high cost) का हवाला देते हुए, आईसीएमआर-एनआईएन ने कहा कि भारतीय आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अनाज पर बहुत अधिक निर्भर है, जिसके कारण आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंस का सेवन कम होता है.
आवश्यक पोषक तत्वों का कम सेवन मेटाबोलिज्म को बाधित कर सकता है और कम उम्र में इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) और संबंधित विकारों (related disorders) का खतरा बढ़ा सकता है.
सेंट्रल हेल्थ मॉनिटरिंग बॉडी के अनुसार, भारत में कुल बीमारी का लगभग 56.4% हिस्सा अनहेल्दी डाइट के कारण है.
गाइडलाइन में कहा गया है कि फिजिकल एक्टिविटी और हेल्दी डाइट की मदद से कोरोनरी हार्ट डिसीस (सीएचडी) और हाई ब्लड प्रेशर (एचटीएन) के मामलों को कम करने और टाइप 2 डायबिटीज को 80% तक रोकने में मदद मिल सकती है.
प्रोटीन सप्लीमेंट्स क्यों लेते हैं?
प्रोटीन सप्लीमेंट अलग-अलग हालातों में लिया जा सकता है. इसका कॉमन इस्तेमाल उन लोगों में अधिक होता है, जो एक्सरसाइज करते है या जिम जाते हैं.
इस सवाल के जवाब पर डॉ. शुवनन रॉय बताते हैं कि लोगों में फिट दिखने की इच्छा इसके कुछ कारणों में से एक है.
"लोगों का मानना है कि प्रोटीन सप्लीमेंट लेने से उनकी मांसपेशियां बढ़ेंगी और वे शारीरिक रूप से अधिक ताकतवर और फिट बनेंगे."डॉ. शुवनन रॉय, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, आनंदपुर, कोलकाता
वहीं फिट हिंदी से बात करते हुए डॉ. तुषार तायल इंसान की बॉडी में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा कितनी होनी चाहिए के बारे में विस्तार से बताते हैं.
"हमारे बॉडी में प्रोटीन की जरूरत शरीर के वजन के अनुसार हर किलोग्राम पर 0.8 ग्राम होती है. ऐसे समझें अगर किसी व्यक्ति का वजन 50 किलो है, तो 0.8 गुना 50 यानी दिन भर में 40 ग्राम प्रोटीन खाना है."डॉ. तुषार तायल
कई बार नार्मल डाइट से जरूरत अनुसार प्रोटीन शरीर तक नहीं पहुंच पाता, खास कर शाकाहारी लोगों में, जिस कारण प्रोटीन सप्लीमेंट लेना पड़ता है पर, ऐसा डॉक्टर की सलाह से ही किया जाना चाहिए.
डॉक्टर प्रोटीन सप्लीमेंट लेने की सलाह तब भी देते हैं, जब कोई बहुत अधिक बीमार हो या बुजुर्ग जिनमें मसल लॉस हुआ हो.
प्रोटीन सप्लीमेंट्स रिकमेंड नहीं करने की वजह क्या है?
प्रोटीन सप्लीमेंट से कई रिस्क फैक्टर्स जुड़े होते हैं और ये तभी फायदेमंद हो सकते हैं, जब उन्हें सही मात्रा में लिया जाए लेकिन आजकल अधिकतर लोग अधिक मात्रा में इसका सेवन करते हैं, जिससे सभी उम्र के लोगों में ब्लोटिंग, कब्ज, दस्त, नौसिया और बेचैनी जैसे साइड इफेक्ट देखे जा रहे हैं.
"प्रोटीन सप्लीमेंट भारी नुकसान पहुंचा सकता है. किडनी डिसफंक्शन के हिस्ट्री वाले व्यक्ति जब प्रोटीन की खुराक लेते हैं, तो प्रोटीन टोक्सिन पदार्थों में बदल जाते हैं, जिससे नींद आना, अनकन्शियसनेस जैसे लक्षण सामने आते हैं और ये हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी का कारण भी बन जाता है."डॉ. शुवनन रॉय, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, आनंदपुर, कोलकाता
एक्सपर्ट आगे कहते हैं कि ये सिर्फ किडनी को ही नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि दिल और लिवर को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
"प्रोटीन पाउडर पौधों, दूध या अंडों से निकाला हुआ पाउडर होता है, जिसके अंदर प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है लेकिन इसके अंदर शुगर, आर्टिफिशियल फ़्लेवरिंग, थिकनर्स और कुछ हद तक विटामिन-मिनरल भी डाले जाते हैं."डॉ. तुषार तायल, कंसलटेंट- इंटरनल मेडिसिन, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम
डॉ. तुषार तायल फिट हिंदी को बताते हैं कि प्रोटीन पाउडर को एक तरह का डाइटरी सप्लीमेंट माना गया है न कि दवाई. जिस वजह से सरकार की गाइडलाइन में उसकी मात्रा को तय नहीं किया जा सकता कि कितना खाना है. ये रिकमेंडेशन सरकार ने कंपनी पर छोड़ दी है.
"प्रोटीन सप्लीमेंट में ऊपर से काफी अधिक मात्रा में शुगर और कैलोरीज डाली हो सकती हैं और इतना ही नहीं कभी-कभार कुछ प्रोटीन सप्लीमेंट में बिना लेबल के 20-22 ग्राम शुगर तक हो सकता है. जो आपके शरीर के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक हो सकता है."डॉ. तुषार तायल, कंसलटेंट- इंटरनल मेडिसिन, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम
प्रोटीन पाउडर में प्रोटीन की मात्रा एक स्कूप में 10-30 ग्राम होती है.
डॉ. तुषार तायल प्रोटीन सप्लीमेंट पर की गई कुछ रिसर्च का जिक्र करते हुए बताते हैं,
"कुछ रिसर्च में ये भी पता चला है कि कुछ प्रोटीन सप्लीमेंट में हैवी मेटल्स भी पाए गए हैं जैसे कि लेड, आर्सेनिक, मर्क्यूरी, पेस्टीसाइड और अलग-अलग कंटमीनेंट्स जिससे कैंसर या डायबिटीज होनेका रिस्क बढ़ जाता है."डॉ. तुषार तायल
प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने पर किन चेतावनी संकेतों पर नजर रखनी चाहिए?
प्रोटीन सप्लीमेंट लेने से मितली, उल्टी, अधिक नींद, अत्यधिक पसीना और बेचैनी के लक्षण अनुभव होते हैं, तो इसे तुरंत बंद कर देना चाहिए.
प्रोटीन सप्लीमेंट का सेवन खूब पानी और शारीरिक व्यायाम के साथ करना चाहिए. लेकिन अधिक पानी कार्डियक डिकम्पेन्सेशन का कारण बन सकता है और दिल की स्थिति खराब कर सकता है.
"हालांकि प्रोटीन सप्लीमेंट का दिल की समस्या से कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन अगर इसे बहुत अधिक पानी के साथ लिया जाए तो इससे हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं."डॉ. शुवनन रॉय, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, आनंदपुर, कोलकाता
ऐसा होने के कारण के बारे में बताते हुए डॉ. शुवनन रॉय कहते हैं कि अगर दिल पर्याप्त ब्लड पंप नहीं करता है और प्रोटीन की खुराक शरीर द्वारा अब्सॉर्ब नहीं होती है, तो यह शरीर के अंगों जैसे पैर, तलवे और पेट में फ्लूइड पदार्थ के रूप में जमा हो जाता है, जिससे सूजन हो जाती है और और दिल तेजी से काम करने लगता है और किडनी डिसफंक्शन का कारण भी बनता है.
"इसलिए प्रोटीन सप्लीमेंट केवल उन्हीं लोगों को लेना चाहिए जिन्हें हृदय, किडनी या लीवर डिसफंक्शन का हिस्ट्री नहीं है."डॉ. शुवनन रॉय, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, आनंदपुर, कोलकाता
डॉ. तुषार भी किडनी पर प्रोटीन सप्लीमेंट की अधिक मात्रा या लंबे समय से सेवन के बुरा प्रभाव की बात कहते हुए बताते हैं कि जो लोग जिम जाते हैं, unmeinउनमें में से कुछ को उनको उनके ट्रेनर 2 ग्राम/किलोग्राम बॉडी वेट के प्रोटीन खाने की सलाह दे देते हैं. इसका मतलब हुआ कि अगर किसी का वजह्न 60 किलो है, तो वो हर दिन 120 ग्राम प्रोटीन खाने लगता है. इतना ज्यादा प्रोटीन खाने से किडनी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा और अगर इसे रोका नहीं जाए तो किडनी फेल होने की आशंका भी बढ़ जाती है.
"डॉक्टर की सलाह से ही सप्लीमेंट शुरू करें और सप्लमेंट्स से कोई नुकसान तो नहीं हो रहा उसकी हर 6 महीने पर जांच करते रहें."डॉ. तुषार तायल, कंसलटेंट- इंटरनल मेडिसिन, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम
प्रोटीन सप्लीमेंट का हेल्दी विकल्प क्या है?
"सबसे हेल्दी विकल्प है हेल्दी डाइट पर फोकस करना होगा, जिसमें उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट शामिल हो. अकेले या अधिक मात्रा में प्रोटीन सप्लीमेंट का सेवन खतरनाक हो सकता है. हेल्दी डाइट के लिए कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट भी उतना ही महत्वपूर्ण है."डॉ. शुवनन रॉय, डायरेक्टर- कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, आनंदपुर, कोलकाता
डॉ. तुषार तायल हेल्दी विकल्पों के बारे में बताते हुए ये कहते हैं, "नॉन-वेज फूड में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है पर शाकाहारी लोगों को विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है.
शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन के विकल्पों में शामिल हैं:
दालें
मिल्लेट्स
ड्राई फ्रूट्स
फ्लैक्स सीड्स
चिया सीड्स
पंपकिन सीड्स
हरी सब्जियां में पालक-बथुआ-मेथी
काबुली चना
राजमा
लोबिया
इनमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिससे दिनभर बिना किसी तरह के सप्लीमेंट लिए प्रोटीन की मात्रा को पूरा किया जा सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)