बांझपन एक व्यक्ति की गर्भावस्था में योगदान करने की शारीरिक अक्षमता को बताता है. जब महिला की आयु 34 साल से कम हो और दंपति 12 महीने तक गर्भनिरोधक मुक्त यौन संबंध बनाने के बाद भी महिला गर्भवती नहीं हो रही है, या फिर महिला की आयु 35 साल से अधिक है, 6 महीने तक बिना गर्भनिरोधक के यौन संबंध बनाने के बाद भी महिला गर्भवती नहीं हो. तब ऐसे में डॉक्टरी जांच जरूरी है.
बांझपन एक ऐसी स्थिति है, जो गर्भावस्था में बाधा बनती है
आम तौर पर, दुनिया भर में यह अनुमान लगाया जाता है कि सात जोड़ों में से एक को गर्भधारण करने में समस्या होती है, दुनिया भर के अधिकांश देशों में यह समस्या है. बांझपन की वैश्विक घटना लगभग 16-17% है. भारत में बांझपन के मामले 10 से 20% के बीच हैं. भारत में, हालांकि जनसंख्या वृद्धि एक बड़ी चिंता का कारण है, मगर बांझ जोड़ों की तादाद भी बढ़ती जा रही है. जिसके कारण, बांझपन प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण राष्ट्रीय समस्या माना जाता है.
बांझपन रोकने के लिए यह जानना जरूरी है कि किस के प्रजनन क्षमता में क्या समस्या है और उस संभावित समस्या से बचने के लिए उपाय करना सबसे अच्छा तरीका है.
बांझपन स्थिति के लिए आमतौर पर पुरुष और महिला दोनों का समान योगदान होता है. बांझपन के कई जैविक कारण हैं. उनमें से कुछ को डॉक्टर की सलाह और इलाज से ठीक किया जा सकता है. बांझपन के अधिकांश मामले आनुवंशिक होते हैं, जिसे रोका नहीं जा सकता है. लेकिन यह संभव है कि हम अपनी रोजाना जीवन शैली में कुछ बदलाव करके बांझपन के कुछ संभावित रूपों को रोक सकते हैं. हम जिस वातावरण में रहते हैं उसका हमारी जीवनशैली में और हमारी प्रजनन क्षमता पर बड़ा प्रभाव पड़ता है. समय के साथ, बांझपन एक चिकित्सा समस्या से अधिक जीवनशैली की समस्या बन गई है.
प्रजनन क्षमता से जुड़ी जरूरी बातें
सबसे पहले, धूम्रपान और शराब पीने जैसी कुछ आदतें प्रजनन क्षमता पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती हैं. धूम्रपान को पुरुषों में शुक्राणुओं (sperm) की संख्या में कमी और शुक्राणुओं की सुस्त गति और महिलाओं में गर्भपात में वृद्धि से जोड़ा गया है. शराब प्राकृतिक रूप से और डॉक्टर के इलाज के माध्यम से गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहे पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है.
असंतुलित आहार में विटामिन सी, फोलेट, सेलेनियम या जिंक की कमी के कारण बांझपन का खतरा बढ़ जाता है. कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर युक्त संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए. पशुओं के मांस की जगह प्रोटीन युक्त सब्जियों को आहार में शामिल करना चाहिए, जो फाइबर और आयरन से भरपूर होते हैं. सभी महिलाओं में, फोलिक एसिड का सेवन (जो हरी पत्तेदार सब्जियों, फलों, अनाजों में मौजूद होता है और पूरक रूप में भी उपलब्ध होता है) गर्भावस्था के तीन महीनों के दौरान और स्पाइना बिफिडा नामक न्यूरल ट्यूब विकारों के जोखिम को कम करने के लिए बढ़ाया जाना चाहिए.
शारीरिक गतिविधि और मध्यम मात्रा मे किया गया व्यायाम व्यक्ति की प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकता है. लेकिन बहुत अधिक व्यायाम महिलाओं में मासिक धर्म की समस्या पैदा कर सकता है और पुरुषों में अंडकोष के आसपास की गर्मी को बढ़ा सकता है, जिससे शुक्राणु (sperm) उत्पादन पर असर होता है.
बांझपन को रोकने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है अपना वजन संतुलित रखें. मोटापे के कारण पुरुषों में गर्मी बढ़ जाती है और शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है और महिलाओं में यह ओव्यूलेशन पर दबाव डालता है, जो बांझपन का कारण होता है.
प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाली कुछ चिकित्सीय स्थितियों के लिए हर साल जांच करवानी चाहिए. पैल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी), एंडोमेट्रियोसिस और सर्वाइकल कैंसर जैसी स्थितियों का शीघ्र निदान बांझपन को रोक सकता है. इसके अलावा, यौन संचारित रोगों का पता लगाने और उपचार करने से भी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है.
कुछ दवाइयां या हर्बल उपचार (निर्धारित या ओवर-द-काउंटर) भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसी दवाओं पर स्त्री रोग विशेषज्ञ से चर्चा की जानी चाहिए.
इसके अलावा, मारिजुआना और कोकीन जैसी दवाओं से बचना चाहिए, क्योंकि वे पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में कमी से और महिलाओं में बांझपन से जुड़ी होती हैं.
शहर की तेज रफ्तार जीवनशैली अपनी छाप छोड़ रही है. कामकाजी जोड़ों के बीच बांझपन बढ़ रहा है. ज्यादा तनाव और नींद की कमी से बांझपन का खतरा बढ़ सकता है. ध्यान, योग, गहरी सांस लेना और अन्य विश्राम तकनीकों को अपनाना जैसे प्रोग्रेसिव्ह मसल रिलॅक्सेशन से तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है.
गर्भावस्था में इन सभी दवाओं से दूर रहना जरूरी है
जीवन शैली से संबंधित असिस्टेंड रिप्रॉडक्टिव्ह टेक्नॉलॉजी (आर्ट) में प्रगति ने बांझपन का इलाज करना संभव बना दिया है. नई तकनीकों के उदाहरणों में इंट्रासाइटोप्लाज्मिक शुक्राणु इंजेक्शन, उसाइट दान और भ्रूण क्रायोप्रिजर्वेशन शामिल हैं.
इसलिए अगर छह महीने या उससे अधिक समय तक गर्भ धारण करने के प्रयास विफल हो जाते हैं, तो बांझपन की स्थिति जानकर डॉक्टर की सलाह से इसका इलाज किया जा सकता है.
यह सच है कि कुछ दवाएं पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता को खराब कर सकती हैं, जिनमें एंटीडिप्रेसेंट, ट्रैंक्विलाइजर और नशीले पदार्थ शामिल हैं. कैंसर रोधी दवाएं अस्थायी या स्थायी रूप से गर्भाशय और वृषण (testicle) विफलता का कारण बन सकती हैं. इसके अतिरिक्त, गर्भावस्था शुरू होने के बाद कई दवाएं गर्भपात या भ्रूण दोष का कारण बन सकती हैं.
क्रोहन रोग में उपयोग की जाने वाली दवा सल्फासालजीन का स्पर्म उत्पादन पर खराब प्रभाव पड़ता है. एनाबॉलिक स्टेरॉयड, साथ ही अन्य स्ट्रीट ड्रग्स सहित अधिकांश हार्मोनल सप्लीमेंट प्रजनन क्षमता पर प्रभाव डाल सकते हैं. एंटीबायोटिक्स, शराब और तंबाकू का भी प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है.
गर्भ धारण करने का प्रयास करते समय और गर्भावस्था के दौरान जब भी संभव हो, इन सभी दवाओं से दूर रहना जरूरी है.
धूम्रपान केवल आपके हृदय और रेस्पिरेटरी के लिए नहीं बल्कि आपके प्रजनन कार्यों के लिए भी खतरनाक है. धूम्रपान पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को भी कम करता है, जिससे नपुंसकता होती है. महिलाओं में धूम्रपान सर्वाइकल म्यूकस में बदलाव का कारण बनता है, जो शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने से रोकता है और बांझपन की स्थिति पैदा करता है.
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