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World Yoga Day: मां और भ्रूण दोनों के स्वास्थ्य के लिए कैसे फायदेमंद है योग?

Yoga Day 2023: प्रसव पूर्व योग का अभ्यास एक ट्रेनेड योग गुरु की देखरेख में ही किया जाना चाहिए.

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International Yoga Day 2023: योग वैदिक युग से ही चला आ रहा है. उस समय राज परिवारों की महिलाएं अपने शारीरिक बनावट को विकसित करने और आकर्षण को बनाए रखने के लिए योग का अभ्यास किया करती थीं. सही आसन के साथ योग मन को शांति प्रदान करता है और सौंदर्य में वृद्धि करता है. योग के कई लाभ भी हैं. यह व्यायाम का एक ऐसा अनूठा रूप है, जिसे एक महिला युवावस्था, गर्भावस्था, प्रसव और वृद्धावस्था के दौरान भी अभ्यास करना जारी रख सकती हैं. आधुनिक समाज अब प्रसव पूर्व योग के लाभों को बखूबी पहचाने लगा है.

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योग मां और विकसित हो रहे भ्रूण दोनों के स्वास्थ्य पर पॉजिटिव असर डालता है

मां बनना कई विवाहित महिलाओं का सबसे बड़ा सपना होता है. हालांकि, यह डर और चिंता भी साथ लाता है. बच्चे के पालन-पोषण की जिम्मेदारी के साथ-साथ प्रसव पीड़ा, प्रसव को लेकर दूसरी आशंकाएं भी होती हैं.

गर्भावस्था शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक अनुभवों का एक स्पेक्ट्रम है और योग मां और विकसित हो रहे भ्रूण दोनों के स्वास्थ्य पर पॉजिटिव असर डालता है. यह जरूरत के अनुसार शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है.

अमेरिकन प्रेगनेंसी एसोसिएशन ने भी रीढ़ की ताकत और लचीलेपन को बढ़ाने और प्रसव प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए सांस और विश्राम तकनीकों की भूमिका के रूप में योग के लाभों का समर्थन किया है.

वहां यह सलाह दी जाती है कि प्रसव पूर्व योग का अभ्यास एक ट्रेनेड योग गुरु की देखरेख में ही किया जाना चाहिए, जो सही तरीकों और मुद्राओं के बारे में बता सके और मार्गदर्शन कर सके.

योग प्रतिरक्षा, आंतरिक शक्ति और शरीर और मन पर कंट्रोल बनाकर कई पुरानी बीमारियों को रोकने और ठीक करने में मदद करता है. यह शारीरिक अवस्था को ठीक करता है और तनाव को प्रबंधित करने में काम करता है. यह मतली और उल्टी से राहत देता है और मिजाज को दुरुस्त करने में भी मदद करता है, जो गर्भावस्था के दौरान पहली तिमाही की आम परेशानी होती हैं.

यह पेट की आंत्र क्रिया को मजबूत करता है और भूख लगने में मदद करता है. एक तरफ योग ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है, तो दूसरी तरफ यह शांत और ध्यान केंद्रित करने के लिए चयापचय को धीमा करने में मदद करता है.

यह पर्याप्त वजन बढ़ाने और एक स्वस्थ भ्रूण के विकास में सहायता करता है.

यह अंतिम तिमाही में एडिमा और ऐंठन से राहत देता है और जन्म नली को फैलाकर, प्रसव प्रक्रिया को तेज करके सामान्य शिशु जन्म की सुविधा देता है. जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान योगाभ्यास करती हैं, उन्हें अक्सर प्रसव के दौरान होने वाले दर्द की परेशानी से राहत मिलती है और इससे उन्हें प्रसव के बाद के समय में मांसपेशियों को सही तरह से वापस लाने में मदद मिलती है.

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योग आसन, प्राणायाम और ध्यान का मेल है

आसन

आसन एक प्रकार की विशिष्ट (specific) शारीरिक मुद्राएं हैं, जो शरीर की जागरूकता और मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार के लिए बेहद उपयोगी है.

जब इसे सांस की तकनीक के साथ किया जाता है, तो ऊर्जा नाड़ियां खुल जाती हैं. इस प्रकार आसन शरीर, सांस और मन के कार्यों में एडजस्टमेंट बना पाता है.

प्राणायाम

प्राणायाम सांस लेने का एक अनुशासित अभ्यास है, जो चेतना (consciousness) से कंट्रोल किया जाता है. यह इमोशनल स्थिरता को बढ़ाकर चिंता और भय को दूर करके शांति, विश्राम और कल्याण की भावना लाता है. यह गर्भावस्था के दौरान फायदेमंद है और इसे दैनिक दिनचर्या में शामिल किया जाना चाहिए. प्राणायाम तकनीक जब सही तरीके से की जाती है, तो इससे अनिद्रा और उच्च रक्तचाप को ठीक करने में मदद मिलती है.

ध्यान

जब हमारा मन पूरी तरह से नियंत्रित और एकाग्र (concentrated) हो जाता है, तो उसे ध्यान कहते हैं. इसके लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है. इस प्रक्रिया के दौरान दिमाग में तैरने वाले अनावश्यक विचारों को अनदेखा करते हुए और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करके शुरुआत कर सकते हैं. हर सुबह पांच से दस मिनट के लिए ध्यान के नियमित अभ्यास से शरीर और दिमाग को कई फायदे होते हैं.

(ये आर्टिकल चंडीगढ़ के क्लाउड नाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के स्त्री रोग विभाग की एसोसियेट डायरेक्टर, डॉ. ऋतंभरा भल्ला ने फिट हिंदी के लिए लिखा है.)

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