International Yoga Day 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र की आमसभा के 69वें सत्र को संबोधित करने के दौरान विशेष रूप से योग दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया था. 11 दिसंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों ने एकमत से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के प्रस्ताव को सहमति दी.
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए संपूर्ण प्रक्रिया के तौर पर योग को लेकर लोगों के बीच जागरूकता का प्रसार करना था. योग की शुरुआत भारत में हुई और इसका इतिहास 5,000 वर्षों से भी पुराना है.
योग किडनी के मरीजों को पहुंचा सकता फायदा
डायलिसिस, सीकेडी स्टेज 5 के मरीजों के लिए ऐसी प्रक्रिया है, जो उनके जीवन के लिए बेहद जरूरी है. इसे हर हफ्ते 2-3 बार करना होता है. यह देखा गया है कि ऐसे मरीज शारीरिक रूप से निष्क्रिय हो जाते हैं, जिसकी वजह से उनके उपचार के परिणाम अच्छे नहीं आते हैं.
पिछले कुछ वर्षों के दौरान किए गए साइंटिफिक स्टडीज से मिली जानकारी के मुताबिक, नियमित व्यायाम करने से ऐसे मरीजों की सेहत में तेजी से सुधार होता है.
डायलिसिस के मरीजों को योग करने का कोई फायदा होता है, इसे साबित करने के लिए कोई पुष्ट वैज्ञानिक डेटा नहीं है, लेकिन प्रमाण न होने का मतलब यह नहीं है कि कोई फायदा होता ही नहीं है. एक दूसरे स्टडी के मुताबिक, 6 महीनों का योग कार्यक्रम इन मरीजों के ब्लड प्रेशर को कम करने, उनकी किडनी के फंक्शन को बेहतर बनाने और क्यूओएल में सुधार करने के लिहाज से उपचार के पारंपरिक तरीके के साथ-साथ एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय साबित हो सकता है.
पिछले 5 वर्षों से हम अपनी डायलिसिस यूनिट में विश्व योग दिवस मना रहे हैं और अपने डायलिसिस मरीजों को नियमित रूप से योग करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद व्यक्ति का ब्लड प्रेशर जितना नियंत्रित रहता है, ट्रांसप्लांट की गई किडनी का जीवन उतना ही लंबा होता है. इसलिए, इस बात के पर्याप्त अप्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि योग किडनी के मरीजों के लिए फायदेमंद है. हालांकि, यह विशेषज्ञों की देखरेख में किया जाना चाहिए.
किडनी की बीमारी के मरीज नहीं कर सकते हर तरह का योग
योग करना सुरक्षित है, लेकिन किडनी की बीमारी से जूझ रहा हर मरीज हर तरह का योग नहीं कर सकता है. उदाहरण के लिए, अगर मरीज को पॉलिसिस्टिक किडनी बीमारी हो, तो झुकाव और ऐसे योग से बचना चाहिए जिससे पेट और पीठ पर दबाव पड़ता हो. अगर मरीज को हाई ब्लड प्रेशर हो या पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो, तो लेग लिफ्ट यानी पैर उठाने वाले योग नहीं करने चाहिए.
अगर आपको किडनी से संबंधित बीमारी है, तो यह जरूरी है कि आप किसी पेशेवर योग ट्रेनर के मार्गदर्शन में ही योग करें.
योग में कई ऐसी क्रियाएं हैं, जो डायलिसिस मरीजों के लिए उपयुक्त होती हैं. इनमें से कुछ का अभ्यास डायलिसिस सेशंस के दौरान सावधानीपूर्वक किया जा सकता है. हालांकि, खास ध्यान दिया जाना चाहिए कि हाथ के उस हिस्से में कोई परेशानी न हो जहां एवी फिश्चुला लगा हो और जहां डायलिसिस की जाती है. मैं डायलिसिस सेशंस के दौरान नीचे बताए गए सभी योग करने की सलाह देता है. ये योग खास तौर पर स्नैक्स खाने और चाय पीने से पहले किए जाने चाहिए.
डायलिसिस के दौरान किए जाने वाले योग
अनुलोम विलोम: व्यक्ति को नाक के बाएं छिद्र से हवा अंदर लेनी चाहिए और दाएं छिद्र से बाहर निकालनी चाहिए और इसके बाद दाएं छिद्र से हवा अंदर लेनी चाहिए और बाईं ओर से बाहर निकालनी चाहिए. एक-एक करके नाक के छिद्रों से किए जाने वाले व्यायाम से रक्त का संचार बढ़ सकता है. ये व्यायाम सुबह सबसे पहले करना चाहिए.
कपाल भाती: इसमें व्यक्ति पूरी जोर से सांस बाहर निकालता है और इसके बाद धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष (indirect) रूप से सांस अंदर लेता है. सुविधा के हिसाब से इसे कुछ बार दोहराना चाहिए और इसके बाद थोड़ी देर के लिए ब्रेक लेना चाहिए और 3 से 5 बार करना चाहिए.
भस्तृका: इसमें व्यक्ति गहरी सांस भरता है और इसके पूरी जोर से सांस बाहर निकालता है. इसे ज्यादा से ज्यादा 3 से 5 बार दोहराया जाता है.
शवासन: इसमें काउच पर बिल्कुल सीधे होकर लेट जाना होता है और कुछ मिनटों के लिए बिल्कुल स्थिर रहना है और हाथों-पैरों को ढीला छोड़ देना है.
बिना-डायलिसिस के दिनों के लिए योग
वृक्षासन: इसमें व्यक्ति सीधा खड़ा होता है और दाएं पैर को बाईं जांघ के भीतरी हिस्से पर रखा जाता है और हाथ जोड़कर सिर के ऊपर की ओर ले जाना होता है. कुछ मिनटों बाद, हाथ नीचे की ओर लाना होता है. अब बाएं पैर को दाईं जांघ के भीतरी हिस्से में रखना होता है और हाथों को जोड़कर सिर के ऊपर ले जाना होता है.
ताड़ासन: इसमें व्यक्ति को अंगूठों पर खड़े होकर अपने सिर के ऊपर बांहों को लेकर जाना होता है और हाथों को जोड़े रखना होता है. इसी स्थिति में व्यक्ति खुलकर सांस लेता है और जितनी देर तक हो सके इसी स्थिति में बने रहना होता है.
कोबरा पोज: इसमें व्यक्ति को हाथों को सतह पर रखकर पेट के सहारे लेटना होता है और सांस भीतर लेकर रीढ़ की हड्डी को आगे की ओर बढ़ाना होता है और सीने को ऊपर की ओर उठाना होता है. व्यक्ति को यह पक्का करना होता है कि पैर बराबर में हों और इसी स्थिति में कई सांसें लें. इससे किडनियों पर हल्का दबाव पड़ता है और किडनी के कामकाज में सुधार होता है.
कैमेल पोज: इस आसन में व्यक्ति को घुटनों को जमीन पर रखना होता है, रीढ़ को सीधा रखना होता है, सीने को खोलकर पैरों तक ले जाना होता है. व्यक्ति को यह पक्का करना होता है कि जांघें जमीन की सतह के वर्टिकल हों और अंगूठे जुड़े हुए हों. इस स्थिति से खून का संचार बेहतर होता है और साथ ही शरीर का सर्कुलेटिंग सिस्टम में भी सुधार होता है.
पश्चिमोत्तान आसन: इस आसन में, आपको आगे की ओर झुकना होता है और अपने पैर के अंगूठों को छूने की कोशिश करनी होती है.
सूर्य नमस्कार: यह सबसे अच्छे योग आसनों में से एक है क्योंकि इसमें 11 चरण होते हैं. आप इसकी जानकारी यूट्यूब पर देख सकते हैं.
कटि चक्र आसन: इसमें व्यक्ति को जमीन पर लेट जाना होता है और हाथों को किनारे की ओर खींचना होता है और पैरों को 3 फीट की दूरी तक ले जाना होता है. सिर को एक ओर घुमाना होता है और घुटनों को उल्टी ओर रखना होता है.
योग आंतरिक अंगों को सेहतमंद रखता है, शरीर की विभिन्न प्रणालियों को संतुलित रखता है और शरीर और मस्तिष्क के तनाव को कंट्रोल में रखता है. कुछ योग आसन और प्राणायम आंतरिक तौर पर सफाई करने में मदद करते हैं और यह पक्का करता है कि शरीर के सभी दूषित तत्व बाहर आ जाएं.
(ये आर्टिकल वसंत कुंज, फोर्टिस हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट के प्रिंसिपल डायरेक्टर- डॉ. संजीव गुलाटी ने फिट हिंदी के लिए लिखा है.)
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