World Yoga Day 2023: इन्फर्टिलिटी का सामना करने वाले जोड़ों के लिए माता-पिता बनने का सुख पाने में योग अक्सर मददगार साबित होता है. शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम और योग काफी महत्त्वपूर्ण हैं. इन्फर्टिलिटी का इलाज कराने वाली महिलाओं में तनाव और डिप्रेशन का स्तर अधिक होता है. यह शरीर की गतिशीलता में रुकावट पैदा करता है, जो गर्भधारण की संभावना को और कम कर देता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए योग को एक नेचुरल सप्लीमेंटरी एक्सरसाइज के रूप से स्वीकार किया जा रहा है.
आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं योग कैसे फर्टिलिटी हेल्थ में सुधार लाता है.
योग कैसे मदद करता है?
"अगर देखा जाए तो बांझपन एक वैश्विक समस्या है और इसे दुनिया भर में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जाता है. दंपति गर्भधारण करने में सक्षम नहीं हैं, तो यह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है."डॉ. पारूल अग्रवाल, निदेशक- आईवीएफ एण्ड फर्टिलिटी, क्लाउड नाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पीटल्स, नोएडा
योग प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है और रिप्रोडक्टिव पार्ट्स में उपस्थित कमी को दूर करता है. कुछ योग आसन ऐसे हैं, जो विशेष रूप से रिप्रोडक्टिव पार्ट्स को लाभ पहुंचाते हैं. ये आसन इन अंगों में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाते हैं और अंगों की स्थिति में सुधार होता है.
रिसर्च से पता चला है कि योग हाइपोथैलेमिक पिट्यूटरी गोनाडल ऐक्सिस को नियंत्रित करता है, हार्मोनल प्रोफाइल को संतुलित करता है, तनाव के स्तर को कम करता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है.
योग और मॉडर्न साइंस का रिश्ता
योग फर्टिलिटी में सुधार करने और फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के दौरान बेहतर परिणाम प्राप्त करने के तरीकों में से एक है. योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और स्प्रिचल ग्रोथ के लिए भी बहुत उपयोगी है. योग के प्रति लोगों में चेतना बढ़ रही है. इसका कारण यह है कि यह कई तरह के स्वास्थ्य लाभ देता है फिर चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक.
इन्फर्टिलिटी की समस्या होने पर में तनाव का इलाज क्यों जरुरी ?
तनाव से रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव के बारे में एक्सपर्ट बता रहीं हैं.
तनाव से एंडोक्राइन सिस्टम, कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन जारी होते हैं, जो खतरनाक है. एलएच (LH) का स्तर कम हो जाता है और इसलिए ओव्यूलेशन बाधित होता है.
बढ़ा हुआ कोर्टिसोल लेवल गर्भपात का एक बड़ा कारण हो सकता है.
एड्रेनालाईन के स्तर में कमी के बाद इम्प्लांटेशन रेट में वृद्धि भी देखी गई है.
लंबे समय से तनावग्रस्त महिलाएं हार्मोन से संबंधित कई तरह के परिवर्तनों से गुजरती हैं. उनके शरीर में कम (GnRH) हार्मोन का उत्पादन होता है, जो ओव्यूलेशन को रोकने के लिए अच्छी स्थिति नहीं होती.
योग शरीर और दिमाग को पहुंचाता अनेक फायदा
तनाव और चिंता को कम करना- तनाव के कारण भी गर्भधारण करने में दिक्कतें आती हैं. योग तनाव के मैनेजमेंट, आराम को बढ़ावा देने और मन को शांत करने के लिए एक सही दृष्टिकोण प्रदान करता है. गहरी सांस लेने के व्यायाम, ध्यान और खिंचाव के माध्यम से, योग शरीर की विश्राम प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है, तनाव हार्मोन के उत्पादन को कम करता है. इसलिए नियमित योगासन करना काफी जरूरी हैं.
हार्मोनल संतुलन बहाल करने में मदद करना - पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या थायरॉयड की समस्या, हार्मोनल असंतुलन और बढ़े हुए वजन के कारण प्रजनन संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता हैं. आहार और लाइफस्टाइल में बदलाव के अलावा नियमित योगाभ्यास कैलोरी जलाने और बेहतर चयापचय में योगदान कर सकता है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि योग हार्मोनल असंतुलन के लिए फायदेमंद है.
"पति-पत्नी अगर दोनों योगाभ्यास करें, तो दोनों शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनते हैं, जो उनके फर्टिलिटी हेल्थ को फायदा पहुंचाता है."डॉ. स्नेहा साठे, फर्टिलिटी कंसल्टेंट, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, चेंबूर
ब्लड सर्कुलेशन में सुधार – नियमित योगासन करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन में सुधार होता है. बढ़ा हुआ ब्लड फ्लो रीप्रोडक्टिव सिस्टम के कामकाज को अनुकूलित (customised) करने में मदद कर सकता है और साथ ही सफल गर्भ धारण की संभावना को बढ़ाता है.
मन-शरीर संबंध को मजबूत बनाना – योगाभ्यास अपनाने से मानसिक और शारीरिक गतिविधियों में संतुलन पैदा होता है, तन और मन मजबूत बनते हैं. नियमित योगाभ्यास से रीप्रोडक्टिव हेल्थ समस्याओं के साथ-साथ दूसरी शारीरिक समस्या भी दूर होती है. जैसे की, पेट के निचले हिस्से में दर्द में कमी, पीठ के निचले हिस्से में दर्द में कमी, नींद की गुणवत्ता में सुधार.
गर्भधारण की कोशिश करते समय योग का फायदा
डॉ. स्नेहा साठे ने फिट हिंदी से कहा, "गर्भावस्था के लिए शरीर को तैयार करने के लिए नियमित व्यायाम करना बेहद फायदेमंद है. गर्भवती होने से पहले योग करने की आदत बनाने से गर्भावस्था के दौरान इस आदत को बनाए रखना आसान हो सकता है. योगासन करने से प्रेगनेंसी में डायबिटीज और दूसरी समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है".
गर्भधारण होने के बाद आप अपनी डॉक्टर की सलाह पर ही कोई भी एक्सरसाइज और योग करें.
रिप्रोडक्टिव हेल्थ में सुधार के लिए बताए गए योग
डॉ. पारूल अग्रवाल ने बताए रिप्रोडक्टिव हेल्थ में सुधार के लिए किए जाने वाले योग के बारे में.
उत्तानासन (आगे की ओर झुकना)
मलासन (स्क्वाट या गारलैंड पोज)
जानू शीर्षासन (सिर से घुटने तक आगे की ओर झुकना)
सुप्त बद्ध कोणासन (आकर्षित बाउंड एंगल)
बद्ध कोणासन (तितली मुद्रा)
सेतु बंधासन (पुल मुद्रा)
पश्चिमोत्तोस्नासा (बैठकर आगे की ओर झुकना)
हस्तपादासन (आगे की ओर झुकना)
सलम्बा सर्वांगासन (समर्थित शोल्डर स्टैंड)
सलम्बा शीर्षासन (समर्थित हेड स्टैंड)
कपालभाति प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम (मधुमक्खी सांस)
नाड़ीशोधन प्राणायाम (वैकल्पिक नासिका श्वास)
डॉ. पारूल अग्रवाल आगे कहती हैं, "कई तरह के रिसर्च के दौरान किए गए स्टडीज इस बात का सबूत देते हैं कि योग किसी भी कपल को बांझपन से उबरने में मदद कर सकता है. यह स्ट्रेस, डिप्रेशन और तनाव को कम करके, हार्मोनल फ्लो को कंट्रोल करके लगातार जीवन की क्वालिटी में सुधार लाते हुए प्रजनन दर को बढ़ाकर एआरटी की सफलता दर में सुधार कर सकता है".
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)