मशरूम कॉफी लेटेस्ट 'सुपरफूड' है, जिसके बारे में हर कोई बात कर रहा है.
अगर आप सोशल मीडिया पर डूमस्क्रोलिंग करते हैं, तो आपने भी शायद उनके विज्ञापन देखे होंगे और हो सकता है उनमें आपका इंटरेस्ट भी जगा होगा.
सभी ट्रेंडी खाद्य पदार्थों की तरह, श्रूम कॉफी (कॉफी के साथ खाने वाले मशरूम का मिश्रण) को एक 'एलिक्सिर' माना जा रहा है, जिसके कई हेल्थ बेनेफिट हैं, जैसे कि आपको कॉन्सन्ट्रेट करने में मदद करना, स्ट्रेस कम करना, एंटी-इन्फ्लेमेटरी होना और पेट के स्वास्थ्य को बढ़ावा देना.
तो, क्या आप अपनी सुबह की कॉफी को मशरूम पाउडर के साथ पीकर मंडे ब्लूज से बच सकते हैं, अधिक प्रोडक्टिव बन सकते हैं और अपने स्वस्थ रहने के न्यू ईयर रेजोल्यूशन को पूरा कर सकते हैं?
मशरूम कॉफी एक बेव्रेज मिक्स है, जिसमें एक खास प्रकार का पिसा हुआ मेडिसिनल मशरूम (जिनमें लायन्स मेन सबसे लोकप्रिय है) और पिसी हुई कॉफी बीन्स और कभी-कभी दूसरी सामग्री जैसे अश्वगंधा, नारियल तेल शामिल होते हैं.
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इन मिश्रणों में इस्तेमाल किए गए मशरूम में कोई भी साइकोएक्टिव प्रॉपर्टी नहीं है.
'बड़े-बड़े दावे, लेकिन उनका कोई मतलब नहीं'
भारत में बेचे जाने वाले कई अलग-अलग श्रूम कॉफी प्रॉडक्ट्स की पैकेजिंग के अनुसार, उनमें यह सारे गुण होते हैं:
आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद करना
ब्रेन फंक्शन बढ़ाना और आपको अधिक प्रोडक्टिव बनाना
स्ट्रेस हार्मोन को बैलेंस करना
इम्यूनिटी बढ़ाना
स्वस्थ गट माइक्रोबायोम को बढ़ावा देना
फिट ने जिन विशेषज्ञों से बात की उन्होंने कहा कि इन उत्पादों पर किए गए दावों के सच होने की संभावना बहुत कम है.
"ये बिना किसी साइंटिफिक समर्थन के दावे हैं," हेपेटोलॉजिस्ट डॉ. सिरियेक ऐबी फिलिप कहते हैं, जिन्हें ऑनलाइन 'द लीवर डॉक' के नाम से जाना जाता है.
न्यूट्रिशन कोचों की ऑनलाइन न्यूट्रिशन एडवाइजरी कंपनी, न्यूट्रिवेल हेल्थ की संस्थापक डॉ. शिखा शर्मा कहती हैं, "यह बालों को बढ़ाने के लिए स्नेक ऑइल इस्तेमाल करने की तरह है. मैं बहुत आश्वस्त (convinced) नहीं हूं."
वह कहती हैं, "गट हेल्थ एक बहुत ही कॉम्प्लेक्स इकोसिस्टम है, जिसे केवल एक इनग्रीडिएंट से ठीक नहीं किया जा सकता है."
दूसरे दावों के लिए, वह कहती हैं, "ऐसा लगता है, जैसे उन्होंने मिश्रण में इस्तेमाल किये गए प्रत्येक इनग्रीडिएंट से जुड़े स्वास्थ्य लाभों के दावों को लेकर लेबल पर चिपका दिया है. यह कॉम्बिनेशन मुझे लॉजिकल नहीं लगता है."
"इसमें कॉफी और चाय का एक्सट्रैक्ट है, जो स्टिम्युलेंट हैं और कहा जाता है कि ये दोनों ही में एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं. फिर अश्वगंधा है, जिसमें स्ट्रेस को कंट्रोल करने वाले गुण हैं, लेकिन ये दोनों एक दूसरे को कैन्सेल आउट कर देंगे," वह बताती हैं.
"यह एक मसाला फिल्म की तरह है, जिसमें एक्शन, रोमांस और कॉमेडी जैसे सभी बिकने वाले कम्पोनेन्ट हैं, लेकिन इसमें स्टोरी प्लॉट का अभाव है. यह एक फ़्रीवोलस प्रोडक्ट है."डॉ. शिखा शर्मा, संस्थापक-न्यूट्रिवेल हेल्थ
इस फिल्म में मशरूम का क्या रोल है? समझ लें कि यह बिना डायलॉग वाला लीड रोल है.
हां, मशरूम आपके लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन यह कोई जादू की छड़ी नहीं है
फिट से बात करते हुए डॉ. शर्मा कहती हैं, "सिर्फ अपनी कॉफी में मशरूम डालने से किसी को स्वस्थ होने में मदद नहीं मिलेगी, ठीक वैसे ही जैसे कॉफी के साथ कुछ मशरूम खा लेने से नहीं होगा."
जबकि खाने वाले मशरूम की कुछ किस्मों में विटामिन डी, विटामिन बी 6, पोटेशियम और फोलेट जैसे पोषक तत्व होते हैं और एक संतुलित आहार में शामिल करने के लिए अच्छे फूड सोर्स हैं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनका कोई विशेष स्वास्थ्य लाभ नहीं है.
"किसी भी हेल्थ इशू के इलाज के लिए मशरूम में कोई जादुई फार्मूला नहीं है."डॉ. शिखा शर्मा, संस्थापक-न्यूट्रिवेल हेल्थ
जबकि सूखे मशरूम और मशरूम के एक्सट्रैक्ट का उपयोग ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन में सदियों से किया जाता रहा है. अभी भी इंसानों की बीमारियों के इलाज में इनकी प्रभावशीलता का कोई सॉलिड साइंटिफिक एविडेंस नहीं है.
'एंटी-इंफ्लेमेटरी', 'एंटी-ऑक्सीडेंट' और दूसरे बज-वर्ड
डॉ. ऐबी फिलिप का कहना है कि 'एंटी-इंफ्लेमेटरी', 'एंटी ऑक्सीडेंट' और 'इम्युनिटी बूस्टिंग' जैसे कुछ शब्दों का इस्तेमाल अक्सर सप्लीमेंट्स और 'वेलनेस' उत्पादों को बेचने के लिए किया जाता है.
एंटी-इंफ्लेमेटरी कहने का क्या मतलब है? डॉ एबी फिलिप्स कहते हैं, "एक कप साधारण कॉफी या चाय में भी एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. यहां तक कि आपके शरीर में भी दोनों एंटी-इंफ्लेमेटरी और प्रो-इंफ्लेमेटरी मोलेक्यूल होते हैं."
"किचन में मौजूद हर पौधे, हर मसाले में कुछ न कुछ एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इनका सेवन करने पर ये शरीर में सूजन को कम करने में मदद करेंगे."डॉ. सिरियेक ऐबी फिलिप्स
हालांकि इन दावों का उपयोग अक्सर प्रॉडक्ट्स को बेचने के लिए किया जाता है, लेकिन इन्हें शायद ही कभी साइंटिफिक एविडेंस द्वारा समर्थित किया जाता है. बाजार में बिकने वाली मशरूम कॉफी का भी यही हाल है.
श्रूम कॉफी से जुड़े इन दावों में से किसी भी दावे को साबित करने के लिए कोई बड़े पैमाने पर क्लीनिकल स्टडी उपलब्ध नहीं हैं.
"एकमात्र 'सबूत' है एक स्टडी जो जनवरी 2023 में प्रकाशित हुई थी लेकिन यह चूहों पर किया गया था. डॉ. ऐबी फिलिप्स कहते हैं, "मनुष्यों में इसका कोई सबूत नहीं है."
यह निर्धारित करने के लिए भी कोई साइंटिफिक स्टडी नहीं है कि इसको कितनी मात्रा में पीना सेफ है और इन प्रॉडक्ट्स से जुड़े क्या लॉन्ग-टर्म बुरे प्रभाव हो सकते हैं.
डॉ. शर्मा कहती हैं, आखिरकार, कॉफी एक स्टिम्युलेंट है और यह बिकेगी, भले ही मिश्रण के दूसरे कम्पोनेन्ट के कोई स्पष्ट स्वास्थ्य लाभ हों या नहीं.
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