सुप्रीम कोर्ट के रो बनाम वेड के मुकदमे के फैसले को पलटने के बाद बताया जाता है कि सीवीएस (CVS), वॉलमार्ट (Walmart), और राइट एड (Rite Aid) जैसे अमेरिकी फार्मेसी और मेडिकल स्टोर ने लोगों द्वारा खरीदी जाने वाली इमरजेंसी बर्थ कंट्रोल की पिल्स की संख्या पर सीमा लगा दी है.
द गार्डियन (The Guardian) की रिपोर्ट बाताती है कि फैसले के बाद, वॉलमार्ट ने इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स पर चार से छह यूनिट की सीमा तय की है, जबकि राइट एड और सीवीएस ने प्रति उपभोक्ता इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स पर प्रतिब्रांड तीन की सीमा तय की है.
सीवीएस के प्रवक्ता ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया था कि सभी को पिल्स मिल सकें. साथ ही यह भी कहा कि फैसले के बाद बिक्री में बढ़ोत्तरी हुई है.
शुक्रवार, 24 जून को रो बनाम वेड के मुकदमे के फैसले को पलटते हुए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने बुनियादी रूप से देश में गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को खत्म कर दिया, जो कि 50 सालों से अस्तित्व में था.
इस फैसले से पूरे अमेरिका में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है, क्योंकि इसके बाद 13 राज्यों ने अबॉर्शन पर पाबंदी लगाने या गंभीर शर्तें लगाने का कानून पारित कर दिया है, और रिपब्लिकन पार्टी के शासन वाले अमेरिका के आधे से ज्यादा राज्यों में भी ऐसा ही होने की उम्मीद है.
इस फैसले से यह सवाल भी उठ रहा है कि इसे लागू करने से किस तरह अबॉर्शन पिल्स (abortion pills) और यहां तक कि कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (contraceptive pills), खासकर इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (emergency contraceptive pills) के इस्तेमाल पर असर पड़ेगा.
दो तरह की पिल्स और उनके इस्तेमाल को लेकर अस्पष्टता से भी काफी असमंजस है.
फिट हिंदी समझा रहा है.
इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स: कानून का क्या रुख है
रो बनाम वेड के फैसले को रद्द करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला राज्य सरकारों की मर्जी पर छोड़ देता है कि वे अपने राज्यों के भीतर अबॉर्शन पर कानूनी स्थिति तय करें, हालांकि अबॉर्शन या कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स इसमें शामिल नहीं हैं.
हालांकि, कई राज्यों में कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है, और एक्सपर्ट को डर है कि यही तर्क इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स, या “अगली सुबह की गोलियों” (morning-after pills), और यहां तक कि आईयूडी (IUD) जैसे कॉन्ट्रासेप्टिव उपायों पर भी लागू हो सकते हैं, जो न केवल फर्टिलाइजेशन को रोकते हैं, बल्कि कभी-कभी फर्टिलाइज्ड एम्ब्रियो को यूट्रस से जुड़ने से भी रोकते हैं.
फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस क्लेरेंस थॉमस ने कहा कि कॉन्ट्रासेप्टिव तक पहुंच की गारंटी देने वाले दूसरे बुनियादी अधिकारों, जिसमें कॉन्ट्रासेप्टिव तक पहुंच का अधिकार देने वाला ग्रिसवॉल्ड बनाम कनेक्टिकट का मुकदमा भी शामिल है, पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.
गलत व्याख्याएं जैसा कि कुछ लोग पेश कर रहे हैं, को परे रखकर आइए इसे साफ तौर से समझ लें कि गर्भनिरोध (contraception) गर्भपात (abortion) के जैसा नहीं है.
अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट की एक प्रतिनिधि ने फिट को बताया, “इस समय हम इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के इस्तेमाल पर फैसले के असर के बारे में अंदाजा नहीं लगा सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स से अबॉर्शन नहीं होता है.
वह कहती हैं, “यह प्रेगनेंसी को रोकने में मददगार है, लेकिन प्रेगनेंसी को खत्म नहीं करती.”
इमरजेंसी पिल्स किस तरह अबॉर्शन पिल्स से अलग हैं?
आइए इसे समझें.
इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स प्रेगनेंसी को रोकती हैं, या कम से कम प्रेगनेंसी की संभावना को कम करती हैं.
ये अनप्रोटेक्टेड सेक्स के बाद लेने के लिए हैं, या अगर आप पूरी तरह से निश्चिंत नहीं हैं कि आपका कॉन्ट्रासेप्टिव काम करेगा- कंडोम फट जाता या बह जाता है, या बर्थ कंट्रोल लेना भूल गए हैं.
हालांकि, ध्यान रखना चाहिए कि एक बार प्रेग्नेंट हो जाने पर यह गोली काम नहीं करती है.
दूसरी ओर अबॉर्शन की पिल्स गर्भ गिरा कर प्रेगनेंसी को खत्म करने के लिए होती हैं.
इसके लिए दो दवाएं मिफेप्रिस्टोन (mifepristone) और मिसोप्रोस्टोल (misoprostol) ली जाती हैं.
पहली गोली मिफेप्रिस्टोन है, जो प्रोजेस्टेरोन नाम के एक हार्मोन को रोकती है, जिसकी प्रेगनेंसी को जारी रखने के लिए शरीर को जरूरत होती है.
दूसरी दवा, मिसोप्रोस्टोल, 24 से 48 घंटे बाद ली जाती है. यह दवा ऐंठन और ब्लीडिंग की वजह बनती है और यूटेरस को खाली कर देती है.
ACOG के अनुसार फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने हाल ही में मेडिकल प्रोफेशनल के लिए व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहकर दवा देने की शर्त को हटा दिया है, “क्योंकि आंकड़े यह दर्शाते हैं कि अबॉर्शन की दवा सुरक्षित है और व्यक्तिगत रूप से दिए बिना भी इसका असरदार ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे टेली-हेल्थ के जरिये दवा से अबॉर्शन हो जाता है.
“सबूत यह भी बताते हैं कि मुश्किल हालात होने पर लोगों को सही जानकारी, भरोसेमंद दवाएं और मदद हासिल होती है, तो लोग डॉक्टर की निगरानी के बिना भी खुद सुरक्षित रूप से दवा से अबॉर्शन कर सकते हैं.”अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स
हकीकत में महामारी के दौरान टेली-मेडिसिन के जरिये अबॉर्शन की पिल्स की ऑनलाइन बिक्री बढ़ गई है.
हालांकि, कई महिलाएं अब डर रही हैं कि टेली-मेडिसिन प्लेटफॉर्म और पीरियड ट्रैकिंग ऐप उनका डेटा जमा कर रहे हैं, जिनका इस्तेमाल उनके खिलाफ किया जा सकता है.
अमेरिका के जिन राज्यों में अबॉर्शन पिल्स पर पाबंदी है, वहां कई महिलाएं उन्हें दूसरे राज्यों से मंगाती हैं. हालांकि, लुइजियाना जैसे कुछ राज्यों ने पहले ही इस चलन पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.
ऐसे हालात में जब सुरक्षित अबॉर्शन के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं, किसी भी कीमत पर प्रेगनेंसी को रोकना कई लोगों के लिए एकमात्र मुमकिन उपाय रह जाता है.
क्या इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स की मांग बढ़ेगी?
इनकी मांग पहले ही बढ़ चुकी है.
अमेरिका से आ रही कई रिपोर्ट्स के मुताबिक अनिश्चितताओं और डर के बीच लोग इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का स्टॉक कर रहे हैं, खासकर उन राज्यों में जहां अबॉर्शन पर पहले ही पाबंदी लगा दी गई है.
लेकिन मुद्दा यह है कि, इमरजेंसी पिल्स का इस्तेमाल केवल इमरजेंसी के लिए किया जाता है, और बार-बार या लंबे समय तक इनके इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जाती है.
एसोसिएट डायरेक्टर और ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की हेड ऑफ यूनिट डॉ. दीपा दीवान ने पहले के एक लेख के लिए फिट से बात करते हुए कहा था, “इमरजेंसी पिल्स को किसी वजह से ही ‘इमरजेंसी’ कहा जाता है.”
“इनमें हार्मोन की बहुत अधिक डोज होती है और केवल इमरजेंसी के मामलों में बैकअप के तौर पर इस्तेमाल के लिए होती हैं.”डॉ. दीपा दीवान, एसोसिएट डायरेक्टर और हेड ऑफ यूनिट, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी
अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट के अनुसार कुछ साइड इफेक्ट्स में शामिल हैं-
सिरदर्द
मितली और उल्टी
ब्रेस्ट में दर्द
पेट में दर्द
चक्कर आना
थकान
जैसा कि कई लोग सवाल उठा रहे हैं, अबॉर्शन पर पाबंदी लगाने से अबॉर्शन खत्म नहीं हो जाता, बल्कि इससे सेफ अबॉर्शन खत्म हो जाता है.
जैसे-जैसे सुरक्षित और निगरानी वाले अबॉर्शन के विकल्प कम होते जाएंगे, गर्भवती महिलाओं में घबराहट बढ़ेगी और वो मामला अपने हाथ में लेंगी, और मेडिकल गाइडेंस के बिना विकल्पों की तलाश करने के लिए मजबूर होंगी जो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं.
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