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World Sight Day 2023: कलर ब्लाइंडनेस की समस्या को कैसे पहचाने? बता रहे एक्सपर्ट्स

जब आप रंगों के बीच भिन्नता को ठीक से पहचान नहीं पा रहे होते हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि आप इस समस्या से पीड़ित हैं.

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World Sight Day 2023: वर्ल्ड साइट डे के दिन हम चर्चा करेंगे कलर ब्लाइंडनेस के बारे में. रंगों की समझ और उन्हें महसूस करना हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है. लेकिन, कुछ लोगों के लिए इस सामान्य अहसास को महसूस करना संभव नहीं होता और वे रंगों को ठीक से नहीं देख पाते. इसे ही हम 'वर्णांधता' या 'कलर ब्लाइंडनेस' कहते हैं.

कलर ब्लाइंडनेस की समस्या को कैसे पहचाने? क्या कलर ब्लाइंडनेस का टेस्ट सभी को कराना चाहिए? कलर ब्लाइंडनेस का पता किस उम्र में चलता है? क्या कलर ब्लाइंडनेस ठीक हो सकता है? क्या ये समस्या गंभीर हो सकती है? इन सवालों के जवाब जानते हैं आंखों के एक्सपर्ट्स से.

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कलर ब्लाइंडनेस की समस्या को कैसे पहचाने?

"एक वैश्विक अनुमान के मुताबिक कलर ब्लाइंडनेस की समस्या से दुनियाभर में लगभग 4 से 8% पुरुष और लगभग 1% महिलाएं ग्रसित हैं. यह समस्या कुछ लोगों में जेनेटिक कारणों से होती है, तो कुछ लोग इस समस्या का शिकार दूसरे कारणों से होते हैं."
डॉ. पुनीत जैन, सीनियर ऑप्थल्मोलॉजिस्ट, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स

जब आप रंगों के बीच भिन्नता को ठीक से पहचान नहीं पा रहे होते हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि आप इस समस्या से पीड़ित हैं.

अधिकांश लोग जो कलर ब्लाइंडनेस की समस्या से पीड़ित हैं, उन्हें लाल और हरे रंग में अंतर करने में परेशानी होती है.

डॉ. समीर कौशल कहते हैं कि ज्यादातर मामलों में कलर ब्लाइंड व्यक्ति को बस कुछ रंगों के बीच फर्क करने में मुश्किल होती है. बाकी उसके सामान्य जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

"इसी कारण कई बार बहुत लंबे समय तक व्यक्ति को यह पता नहीं होता है कि वह कलर ब्लाइंड है. पता तभी चल पाता है, जब कोई और नोटिस करे."
डॉ. समीर कौशल, हेड- ऑप्थल्मोलॉजिस्ट, ऑर्गन ट्रांस्प्लांट, आर्टेमिस हॉस्पिटल

वहीं डॉ. राशि ताओरी सवाल कहती हैं कि इसकी पहचान के लिये एक्सपर्ट्स 'इशिहारा टेस्ट' करते हैं. इस टेस्ट में कुछ विशेष प्रकार के चित्र दिखाए जाते हैं, जिनमें अलग-अलग रंगों के डॉट्स होते हैं.

"जिन लोगों को कलर ब्लाइंडनेस है, वे इन चित्रों में छुपे रंग या पैटर्न को ठीक से नहीं देख पाते."
डॉ. राशि ताओरी सवाल, सीनियर ऑप्थल्मोलॉजिस्ट, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स

इस समस्या के लक्षण दिखने पर तुरंत आंखों के एक्सपर्ट से सलाह लें.

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क्या कलर ब्लाइंडनेस का टेस्ट सभी को कराना चाहिए?

"कलर ब्लाइंडनेस का शिकार कोई भी हो सकता है. इसलिए इसकी जांच करा लेने में कोई समस्या नहीं है. इसकी जांच भी बहुत आसान है. आज की तारीख में इंटरनेट पर कई ऐसे टेस्ट उपलब्ध हैं, जिनसे यह पता आसानी से लग सकता है कि कोई व्यक्ति कलर ब्लाइंड है या नहीं. इस टेस्ट के लिए कुछ खर्च करने या कहीं जाने की जरूरत नहीं होती है."
डॉ. समीर कौशल, हेड- ऑप्थल्मोलॉजिस्ट, ऑर्गन ट्रांस्प्लांट, आर्टेमिस हॉस्पिटल

एक्सपर्ट आगे कहते हैं कि कुछ रंगों और अंकों के टेस्ट से आसानी यह पता लग जाता है कि आपकी आंखें सभी रंगों में फर्क कर पाती हैं या नहीं. अगर आप ग्राफिक डिजाइनिंग या किसी दूसरे ऐसे पेशे में करियर बनाने के बारे में सोच रहे हों, जहां रंगों का महत्व है, तो आपको कलर ब्लाइंडनेस की जांच जरुर करा लेनी चाहिए, जिससे आगे चल कर निराशा की स्थिति न बने.

"खास कर जो लोग गाड़ी चलाते हैं या जिनका काम रंगों की पहचान पर आधारित है, उन्हें विशेष रूप से इसका टेस्ट कराना चाहिए."
डॉ. राशि ताओरी सवाल, सीनियर ऑप्थल्मोलॉजिस्ट, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स

सभी व्यक्तियों को जीवन में कम से कम एक बार इसका टेस्ट कराना चाहिए ताकि वे समय रहते इस समस्या की पहचान कर सकें और उचित उपाय कर सकें.

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कलर ब्लाइंडनेस का पता किस उम्र में चलता है?

"सही मायने में हर बच्चे को 5 साल की उम्र में डिटेल्ड आई टेस्ट कराना चाहिए और उसके बाद हर 2-3 साल में. ऐसा करने पर आंखों से जुड़ी समस्याओं का पता शुरुआत में ही लगाया जा सकता है."
डॉ. संजय धवन, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड हेड- ऑप्थोमोलॉजी, मैक्स मल्टीस्पेशियलिटी सेंटर, पंचशील पार्क

कलर ब्लाइंडनेस के कारणों से स्पष्ट है कि इसका उम्र से कोई सीधा संबंध नहीं है. ज्यादातर मामलों में तो जन्म से ही यह समस्या होती है. जब बच्चे स्कूल जाते हैं और रंगों, उनके नामों और उनके अर्थों के बारे में सीखते हैं, तब आमतौर पर कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण पकड़ में आते हैं. टीचर और माता-पिता को इस समय ध्यान देना चाहिए कि उनके बच्चे को रंगों में भिन्नता पहचानने में कोई समस्या तो नहीं हो रही.

"इसके अलावा अगर किसी बीमारी, दवा या एक्सीडेंट के कारण ऐसा हो, तो व्यक्ति खुद ही अनुभव करने लगता है कि उसे कुछ रंगों का फर्क नहीं समझ आ रहा है."
डॉ. समीर कौशल, हेड- ऑप्थल्मोलॉजिस्ट, ऑर्गन ट्रांस्प्लांट, आर्टेमिस हॉस्पिटल
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कलर ब्लाइंडनेस को ठीक करने के लिए क्या किया जा सकता हैं?

एक्सपर्ट्स के अनुसार, कलर ब्लाइंडनेस का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है, लेकिन कुछ उपाय हैं जिससे इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है. यह समस्या आमतौर पर जन्मजात होती है और जीवनभर बनी रहती है. हालांकि, विशेष चश्मे और कांटेक्ट लेंस से इस समस्या को कुछ हद तक सुधारा जा सकता है.

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कलर ब्लाइंडनेस के प्रकार, कारण और लक्षण 

शार्प साईट आई हॉस्पिटल के सीनियर ऑप्थल्मोलॉजिस्ट, डॉ. पुनीत जैन ने फिट हिंदी को बताया कलर ब्लाइंडनेस के प्रकार, कारण और लक्षणों के बारे में.

कलर ब्लाइंडनेस के कई प्रकार होते हैं :

  • ट्राइटनोपिया: इसमें व्यक्ति नीले और पीले रंग को ठीक से नहीं पहचानता.

  • ड्यूटेरोनोपिया: इसमें व्यक्ति हरे और लाल रंग के बीच अंतर नहीं कर पाता.

  • प्रोटानोपिया: व्यक्ति मुख्य रूप से लाल रंग को सही तरीके से नहीं देख पाता.

  • मोनोक्रोमेटिक: यह कलर ब्लाइंडनेस का सबसे गंभीर प्रकार हैं. इसमें व्यक्ति किसी भी रंग को ठीक से नहीं देख सकता.

ये हैं कारण: कलर ब्लाइंडनेस की समस्या कई कारणों से होती है, इसके कुछ प्रमुख कारण इस तरह से हैं :

  • जेनेटिक: ज्यादातर मामलों में कलर ब्लाइंडनेस जेनेटिक होती है और जन्म से ही होती है. यह X-क्रोमोजोम से संबंधित है, इसलिए पुरुष में इसका प्रकोप अधिक होता है.

  • बीमारियां और दवाईयां : कुछ बीमारियां जैसे डायबिटीज और मलेरिया और कुछ दवाईयां भी कलर ब्लाइंडनेस का कारण बन सकती हैं.

  • आंख की चोट: किसी भी प्रकार की आंख की चोट कलर ब्लाइंडनेस का कारण हो सकता है.

  • हार्मफुल केमिकल: कई विषैले पदार्थ रेटिना या ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इन हार्मफुल केमिकल में कार्बन डाय सल्फाइड और स्टायरेन मौजूद होता है, इससे भी रंगों को देखने की क्षमता प्रभावित होती है.

ये हैं लक्षण: कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण अक्सर इतने हल्के होते हैं कि आप उन्हें जल्दी नोटिस नहीं कर सकते हैं. जब एक बार आप रंगों को देखने के आदती हो जाते हैं, तो आपको कलर ब्लाइंडनेस है ये बात आपको पता भी नही चलती है.

  • रंगों की भ्रांति: अक्सर लाल और हरे रंग को एक-दूसरे से अलग करने में कठिनाई होती है.

  • रंग की तीव्रता: कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित व्यक्तियों को अक्सर रंगों की तीव्रता में अंतर करने में परेशानी होती है.

  • दूसरे लक्षण: गंभीर कलर ब्लाइंडनेस के मामलों में ट्रेफिक सिग्नल्स को देखने में परेशानी होती है. उन कामों को करने में भी परेशानी होती है, जिनमें रंगों में भेद करना पड़ता है.

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क्या ये समस्या गंभीर हो सकती है?

कलर ब्लाइंडनेस आमतौर पर जीवन को खतरे में डालने वाली स्थिति नहीं है. हालांकि, इसके कारण जीवन के कुछ क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. व्यक्ति के लिए यह जरूरी है कि वह इस समस्या को समझे और उचित उपाय करें. जब तक व्यक्ति अपनी समस्या को जानता है और सतर्क रहता है, तब तक इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है.

"कभी-कभी इसे दूसरे रेटिनल डिसऑर्डर से जोड़ा जाता है, जो संभावित रूप से अंधेपन की ओर बढ़ सकता है."
डॉ. संजय धवन, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड हेड- ऑप्थोमोलॉजी, मैक्स मल्टीस्पेशियलिटी सेंटर, पंचशील पार्क

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