तमिलनाडु में सत्ता पर काबिज ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के अंदर की जंग आखिरकार खत्म हो चुकी है. एआईएडीएमके के दोनों धड़ों का विलय हो चुका है. इनमें से एक धड़े का नेतृत्व मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी और दूसरे का पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम करते हैं. सोमवार को इस विलय का औपचारिक ऐलान किया गया.
विलय के महज कुछ ही देर बाद पनीरसेल्वम ने राजभवन जाकर तमिलनाडु के उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. हालांकि, विलय के तुरंत बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की गई थी कि पनीरसेल्वम को सूबे का उप-मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि पनीरसेल्वम मंगलवार शाम 4.30 बजे उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. लेकिन अचानक बदले घटनाक्रम के बाद पनीरसेल्वम ने राजभवन पहुंचकर उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
तमिलनाडु के सीएम ई पलानीस्वामी ने विलय के ऐलान के बाद बताया कि ओ. पनीरसेल्वम पार्टी के संयोजक होंगे, जबकि वह खुद सह-संयोजक का पद संभालेंगे.
पनीरसेल्वम बने तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री, संभालेंगे वित्त मंत्रालय
अन्नाद्रमुक के दोनों धड़ों के बीच सोमवार को हुए विलय के कुछ घंटे बाद तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम को पलानीस्वामी मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. राजभवन में एक सादे समारोह में राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने पनीरसेल्वम को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
पूर्व मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम अपने पिछले वित्त विभाग में वापस आ गये हैं. साल 2011 में जब जयललिता सरकार सत्ता में आई थी, तब उन्हें यही मंत्रालय मिला था और वह अपना इस्तीफा देने तक इस विभाग का कामकाज देख रहे थे. उन्होंने अन्नाद्रमुक प्रमुख वी के शशिकला को मुख्यमंत्री बनाने के लिए फरवरी में इस्तीफा दे दिया था. हालांकि शशिकला अन्नाद्रमुक विधायक दल की नेता चुने जाने के बाद भी मुख्यमंत्री नहीं बन पायी. उन्हें आय के ज्ञात स्रोत से अधिक की संपत्ति रखने के मामले में दोषी पाया गया और बाद में बेगलुर की जेल में डाल दिया गया.
हमारी पहली प्राथमिकता पार्टी के चुनाव चिह्न को दोबारा प्राप्त करना है. पार्टी के सभी पदाधिकारी मिलकर अम्मा (जयललिता) के वादों को पूरा करेंगे. अम्मा ने कहा था कि उनके बाद भी AIADMK 100 सालों तक रहेगी. हम सब सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा ही हो. कोऑर्डिनेशन कमेटी के 11 सदस्य मिलकर पार्टी को चलाएंगे. ओ पनीरसेल्व को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा. वह कल मंगलवार को पद की शपथ लेंगे.सीएम ई पलानीस्वामी
जयललिता की मौत के बाद पार्टी की कमान को लेकर शशिकला और पनीरसेल्वम में जंग छिड़ी थी. इस बीच पनीरसेल्वम अपने समर्थकों के साथ पार्टी से अलग हो गए. लेकिन बाद में शशिकला को भी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल हो गई.
शशिकला के जेल जाने के बाद से ही दोनों धड़ों का विलय करने की कोशिशें चल रही थीं. पिछले कुछ दिनों से पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी समर्थकों के बीच बैठकों के दौर चल रहे थे.
आंकड़ों का खेल, दिनाकरन हटे तो गिर सकती है सरकार?
शशिकला जेल में बंद हैं. बाहर उनके वफादारों ने बागियों को साथ मिलाकर सरकार में शामिल कर लिया है. ऐसे में आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल में सजा काट रही पार्टी प्रमुख शशिकला और उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरन अलग-थलग पड़ गए हैं.
पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम गुटों के एक हो जाने के बाद पार्टी के महासचिव टीटीवी दिनाकरन अलग-थलग पड़ने के बाद भी पलानीस्वामी की सरकार गिरा सकते हैं. अगर दिनाकरन 17 विधायकों के समर्थन पर अपना दावा पेश करते हैं तो ऐसी स्थिति में सरकार गिर जाएगी.
बीती 18 फरवरी को पलानीस्वामी ने 122 विधायकों के समर्थन के साथ विधानसभा में विश्वासमत हासिल किया था. इनके अलावा बागी पनीरसेल्वम गुट के 11 विधायक ऐसे थे जिन्होंने पलानीस्वामी के खिलाफ वोट किया था.
क्या फिर फ्लोर टेस्ट पास कर पाएंगे पलानीस्वामी?
अगर दिनाकरन दावा पेश करते हैं तो तमिलनाडु में फिर से फ्लोर टेस्ट की स्थिति पैदा हो सकती है. बीते हफ्ते मेलूर में हुई रैली में दिनाकरन के साथख 20 विधायक देखे गए थे. टीटीवी दावा कर चुके हैं कि पलानीस्वामी कैंप में उनके कई 'स्लीपर सेल' विधायक मौजूद हैं. सोमवार को दिनाकरन ने चेन्नई स्थित अदयार के आवास पर बैठक की, जहां कम से कम 18 विधायक देखे गए. ऐसे में अगर दोबारा फ्लोर टेस्ट की स्थिति पैदा होती है तो पलानीस्वामी को एक बार फिर बहुमत साबित करना होगा.
तमिलनाडु विधानसभा में 234 विधायक हैं, लेकिन जयललिता के निधन के साथ ही यह आंकड़ा घटकर 233 पर आ गया. तमिलनाडु में सरकार बनाने के लिए 117 विधायक होना जरूरी होता है.
एआईएडीएमके ने जयललिता की अगुवाई में साल 2016 के विधानसभा चुनाव में 136 सीटों पर जीत हासिल की थी. उनके निधन के साथ ही यह आंकड़ा अब 135 हो गया है. अगर स्पीकर को भी छोड़ दें तो एआईएडीएमके के विधायकों की संख्या 134 है.
अगर टीटीवी के पास 17 विधायकों का समर्थन है, तो यह पलानीस्वामी की सरकार गिराने के लिए काफी होगा.
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