महंगाई के बढ़ते दबाव और राजकोषीय घाटे को लेकर बढ़ी चिंताओं के कारण रिजर्व बैंक ने अपने अहम ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है. रिजर्व बैंक की 6 मेंबर वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) में साफ इशारा है कि आगे ब्याज दरों में किसी भी तरह की कटौती की गुंजाइश नहीं है.
इस साल के लिए महंगाई दर का अनुमान 4.2 % से बढ़ाकर 4.6 % कर दिया गया है, वहीं अगले फाइनेंशियल ईयर के लिए महंगाई दर को बढ़ाकर 4.5 % से 4.9 % कर दिया गया है. ऐसे में साफ है कि RBI का जो लक्ष्य है यानी 4 %, वो अगले 18 महीने तक हासिल नहीं हो सकती. यानी लोकसभा चुनाव तक बैंकों के ब्याज दर घटाने के आसार काफी कम हैं.
विकास दर का अनुमान घटाया
वहीं केंद्रीय बैंक ने फाइनेंशियल ईयर 2017-18 के लिए देश का विकास दर अनुमान घटाकर 6.7% कर दिया है. RBI ने पहले इसी फाइनेंशियल ईयर के लिए जीवीए (Gross Value Added) विकास दर का अनुमान 7.3% किया था. बता दें कि
यहां समझिए क्रेडिट पॉलिसी के मायने
रेपो रेट-रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
द्विमाही मौद्रिक नीति समीक्षा (bimonthly review of the monetary policy) में रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. फिलहाल, रेपो रेट 6.25 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी पर बरकरार रहेगी. बता दें कि RBI ने अगस्त में अपनी पिछली समीक्षा में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती कर उसे 6.25% से घटाकर 6% कर दिया था.
Q-जानकारी
रेपो रेट: रेपो रेट वह दर होती है, जिसपर बैंको को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं.
रिवर्स रेपो रेट: यह वह दर होती है, जिसपर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है.
आपके लिए ये बातें जानना जरूरी है-
महंगाई के संकेत
रिजर्व बैंक ने इस मौद्रिक समीक्षा में आशंका जताई है कि खुदरा महंगाई दर बढ़ सकती है. बैंक का कहना है कि इस फाइनेंशियल ईयर की दूसरी छमाही यानी अक्टूबर-मार्च के बीच मुद्रास्फीति (इंफ्लेशन रेट) 4.2 से 4.6 फीसदी रह सकती है.
बैंक का कहना है कि किसानों की कर्जमाफी और सरकारी कर्मचारियों के भत्ते का प्रभाव महंगाई दर पर पड़ सकता है. बैंक ने मौसम के फसलों के अनुकूल नहीं होने के कारण को भी महंगाई दर में बढ़ोतरी से जोड़ा है,
लोन सस्ते होने की गुंजाइश नहीं
रेपो रेट में रिजर्व बैंक ने कोई बदलाव नहीं किया है, मतलब ये है कि लोन सस्ता नहीं होने जा रहा है. इस समीक्षा से अनुमान ये लगाया जा रहा है कि ऐसी स्थिति अभी कुछ दिनों तक बनी रहेगी, यानी अगर आप सस्ते कर्ज की तलाश में हैं तो अभी ये सही वक्त नहीं है. वहीं मैन्युफैक्चरिंग पर नए टैक्स सिस्टम GST का असर पड़ा है.
सुधार के आसार
रिजर्व बैंक के आसार हैं कि सर्विस सेक्टर में दिख रहे सुधार से औद्योगिक उत्पादन में आई कमजोरी की भरपाई हो सकेगी. हाल ही में आए सर्विस सेक्टर के आंकड़े इस आसार को मजबूती दे रहे हैं.
SLR में कटौती
बैंक ने सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) को 0.5 % घटाकर 19.5 % कर दिया है. इससे बैंकों के पास उधार देने के लिए 57,000 करोड़ रुपयेे से अधिक की एक्स्ट्रा रकम उपलब्ध होगी. बता दें कि SLR बैंक जमा वो हिस्सा होता है जो उन्हें सरकारी
एसएलआर बैंक जमाओं का वह हिस्सा होता है जो उन्हें गवर्नमेंट सिक्योरिटी के तौर पर रखना होता है. इस ऐलान के बाद बैंक शेयरों में तेजी दर्ज की गई है. इससे पहले रिजर्व बैंक ने जून में एसएलआर को 0.50 % घटाकर 20 % किया था.
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC)
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की अध्यक्षता RBI के गवर्नर उर्जित पटेल कर रहे थे. इस कमेटी में 6 मेंबर होते हैं जिसमें से 3 मेंबर सरकार और 3 RBI के होते हैं. MPC की अगली बैठक 5-6 दिसंबर को.
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