टेलीकॉम सेक्टर में कर्ज के बोझ और घाटे की वजह से नौकरियों पर खतरा छाने लगा है. इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक, करीब 1,50,000 डायरेक्ट और इनडायरेक्ट नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं.
टेलीकॉम सेक्टर पर करीब 8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. कंपनियां ग्राहक बढ़ाने के लिए 'मुफ्त' ऑफर्स की वजह से भी घाटे में जा रही हैं.
हाल ही में संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस में कहा:
सरकार सेक्टर में मौजूद दबाव से परिचित है. हमने पहले भी हस्तक्षेप किया और जररूत पड़ी तो फिर ऐसा करेंगे. हम ये तय करेंगे कि ये सेक्टर मरे नहीं.
टेलीकॉम सेक्टरों पर मुश्किल का सिर्फ इससे ही पता नहीं चलता, बल्कि अप्रैल में RBI ने भी कमर्शियल बैंकों को टेलीकॉम सेक्टर की कंपनियों को दिए जा रहे लोन को लेकर सचेत किया था.
इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियों के पास कॉस्ट कटिंग के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. इसलिए अब छंटनी का सहारा लिया जा सकता है.
इंडस्ट्री का अनुमान है कि टेलीकॉम सेक्टर में मौजूद संकट की वजह से करीब 1,25,000 डायरेक्ट नौकरियां जा सकती हैं. एक एक्सपर्ट के मुताबिक, ''अर्थव्यवस्था में गिरावट आ रही है और अधिकतर सेक्टर में ग्रोथ निगेटिव या फ्लैट है. इसका असरा बहुत बुरा होने जा रहा है. नई नौकरियां नहीं पैदा हो रही हैं और री-इंप्लॉइमेंट कठिन हो चुका है.''
(इनपुट IANS से)
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