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बिना तैयारी के 500-1000 के नोट पर बैन? परेशानी का जिम्मेदार कौन?

मोदी सरकार अगर तैयारी के साथ फैसले लेती, तो एटीएम के बाहर लाइनें न लगतीं

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भारत
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पीएम मोदी 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए के नोट बैन किए जाने का ऐलान कर चुके हैं. देशभर में अफरा-तफरी मची हुई है. पीएम मोदी जापान में हैं. लोग बैंकों के बाहर नोट बदलवाने के लिए लाइनों में खड़े हैं. एटीएम के अंदर पैसा नहीं है. ज्यादातर एटीएम खाली हो चुके हैं. लोगों की जेब भी खाली हो चुकी है.

विपक्ष ने सरकार को निशाने पर लिया तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसके जवाब में अजीब तर्क दिया है.

बीजेपी चीफ अमित शाह ने कहा - ATM मशीन है मानव नहीं. इसके अंदर जो नोट होते हैं उसके साइज के हिसाब से वो ऑपरेट होता है. नई नोट जो बनाई गई है उसका वजन भी अलग है और साइज भी अलग है. व्यवस्था बदलने में थोड़ा समय लगेगा. सौ-सौ के नोट ATM में उपलब्ध हैं लेकिन सौ-सौ के नोट ATM में ज्यादा आ नहीं सकते. वह जल्दी खत्म हो जाते हैं. इसलिए जब तक व्यवस्था नहीं बदल जाती तबतक थोड़ी तकलीफ जरूर होगी.

जब तैयारी नहीं थी तो हड़बड़ी क्या थी?

पीएम मोदी ने नोट बैन का ऐलान करने के साथ ही कहा कि दो दिन तक बैंक और एटीएम बंद रहेंगे. ताकि इन दो दिनों के भीतर व्यवस्था परिवर्तित की जा सके. बैंकों और एटीएम में नए नोट उपलब्ध कराए जा सकें. लेकिन दो तीन दिन बीत चुके हैं, लोगों के पास पैसा है लेकिन जेब खाली है. हालात ये हैं कि किराए से लेकर खाने तक हर जगह लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. बड़े नोट कोई लेता नहीं और छोटे नोट खत्म हो चुके हैं. उस पर बीजेपी चीफ का कहना है कि व्यवस्था बदलने में वक्त लगता है और तब तक तकलीफ सहनी होगी.

अब सवाल ये उठता है कि जब तैयारियां ही पूरी नहीं थीं तो इतना बड़ा ऐलान क्यों किया गया? क्या आरबीआई, सरकार और बैंकों के बीच कोई सामंजस्य नहीं था? आखिर ऐसा क्यों हुआ कि एटीएम में लगने वाली नोटों की प्लेट और नए नोटों के साइज में डिफरेंस है?

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ATM से विड्रॉल क्यों नहीं हो सकते 500 और 2000 के नए नोट?

ATM के अंदर कैश रखने के लिए 4 कैसेट्स लगे होते हैं. अलग-अलग कैसेट्स में अलग-अलग नोट रखे जाते हैं. एटीएम के कैसेट्स नोटों की लंबाई-चौड़ाई को ध्यान में रखकर डिजाइन किए गए थे. एटीएम में अबतक 100, 500 और 1000 के नोट रखे जाते थे, जिनकी लंबाई भले ही अलग-अलग थी लेकिन चौड़ाई बराबर थी. लेकिन अब जारी किए गए 500 और 2000 के नोटों की चौड़ाई पुराने नोटों के मुकाबले कम है. लिहाजा एटीएम के कैसेट इन नोटों को विड्रॉल के वक्त बाहर निकालने में अक्षम हैं.

मोदी सरकार अगर तैयारी के साथ फैसले लेती, तो एटीएम के बाहर लाइनें न लगतीं
मोदी सरकार अगर तैयारी के साथ फैसले लेती, तो एटीएम के बाहर लाइनें न लगतीं

ऐसे में जबतक नए नोटों के अनुकूल कैसेट्स एटीएम में नहीं लगाए जाते, तबतक बैंक एटीएम में सौ-सौ रुपए के नोट ही रखने को मजबूर होंगे. लिहाजा, एटीएम के बाहर लंबी कतारें लगी रहेंगी और एटीएम में कैश भी जल्दी खत्म हो जाएगा.

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आखिर कब तक चलेंगे सौ के नोट?

500 और 1000 के पुराने नोट बंद हो चुके हैं और 500 और 2000 के नए नोट एटीएम के अनुकूल नहीं हैं. अब 100 रुपए के नोट के रूप में एक ही ऑप्शन बचता है. लेकिन समस्या ये है कि भारत में एटीएम की संख्या और एटीएम में रखे नोटों की संख्या के मुकाबले विड्रॉल करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है. लिहाजा 100 रुपए की सप्लाई करना बैंकों के लिए बहुत ही मुश्किल हो जाएगा.

मोदी सरकार अगर तैयारी के साथ फैसले लेती, तो एटीएम के बाहर लाइनें न लगतीं
आमतौर पर एटीएम में 100, 500 और 1000 रुपए के नोटों को मिलाकर कुल 15 से 20 लाख रुपए तक का कैश एक बार में भरा जाता है. लेकिन अब केवल 100 रुपए के नोट रखने की स्थिति में एटीएम के अंदर अधिकतम 4 लाख रुपए ही रखे जा सकेंगे. 

कैश मैनेजमेंट कंपनियों की मानें तो एटीएम में कैश लोड करना अपने आप में ही चुनौतीपूर्ण काम है. एक एटीएम में चार कैसेट्स होते हैं. ऐसे में पूरे देश में एटीएम के कैसेट्स को रिफंक्शन करने में कम से कम 10 दिन का वक्त लगेगा. लिहाजा खाली जेब, खाली पेट, एटीएम के बाहर लाइनों में खड़े होने की परेशानी तो झेलनी पड़ेगी, क्योंकि बीजेपी चीफ के मुताबिक व्यवस्था परिवर्तन में वक्त तो लगता है? लेकिन अगर एक्सरसाइज पहले कर ली होती, तो आम जनता की परेशानी जरूर बच जाती.

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