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अशोक चक्र पाने वाले जवान हंगपन दादा की बहादुरी को धोनी का सलाम

देखिए- हंगपन दादा की बचपन से लेकर सेना में बहादुरी तक की पूरी कहानी

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शहीद हवलदार हंगपन दादा को गुरुवार को रिपब्लिक डे के मौके पर अशोक चक्र से नवाजा गया. यह शांति काल में दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. आंखों में गर्व का भाव लिये हंगपन दादा की पत्नी चासेल लवांग ने सम्मान स्वीकार किया.

शहीद हवलदार हंगपन दादा ने जम्मू-कश्मीर में एक एनकाउंटर में चार आतंकवादियों को मार गिराया था हालांकि इसी मुठभेड़ में उन्हें अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी. दादा को सर्वोच्च सम्मान मिलने के बाद टीम इंडिया के पूर्व कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी ने भी उनकी बहादुरी को सलाम किया है.

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यहां देखिए- हवलदार हंगपन दादा की बहादुरी की पूरी कहानी

उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में बीती 27 मई को करीब 12500 फीट पर कुछ आतंकवादी भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे. 36 साल के हंगपन दादा ने घुसपैठ की कोशिश कर रहे चार आतंकियों का मुकाबला बड़ी ही बहादुरी से किया और उन्हें अकेले ही मौत के घाट उतार दिया.

अरुणाचल प्रदेश के बोदुरिया गांव के रहने वाले हवलदार हंगपन अपनी बटालियन में 'दादा' के नाम से लोकप्रिय थे. साल 1997 में सेना की असम रेजीमेंट में शामिल किए गए दादा को 35 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात किया गया था.

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